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भारत पहुंचे PM प्रचंड, सुषमा ने किया स्वागत,मोदी से की मुलाकात

नई दिल्‍ली। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड पद संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर गुरुवार को भारत पहुंचे। उनकी इस तीन दिवसीय यात्रा का मकसद भारत और नेपाल के संबंधों में आई कड़वाहट को दूर करने के साथ ही भूकंप के बाद पुनर्निर्माण, पनबिजली परियोजनाएं और सड़क निर्माण के लिए भारत से मदद मांगना है।
 

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनकी आगवानी की। वे यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर आए हैं। उनके साथ उनकी पत्नी सीता दहल भी हैं। शुक्रवार को वे प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एवं अन्य केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रचंड दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों की समीक्षा कर सकते हैं।

प्रचंड अपनी चीन यात्रा के पहले भारत आए हैं। उनके इस दौरे में भारत और नेपाल के संबंधों में नए बदलाव आने की संभावना जताई जा रही है। प्रचंड के पूर्ववर्ती ओली के कार्यकाल में नेपाल का झुकाव चीन की ओर हो गया था और भारत के साथ संबंधों में कड़वाहट आने लगी थी। ओली भी पिछले वर्ष फरवरी में अपनी चीन यात्रा से पहले भारत आए थे, लेकिन भारत के साथ संबंध मजबूत करने को लेकर उन्होंने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए थे। भारत आने से पहले प्रचंड काफी सकारात्मक दिख रहे हैं।

प्रचंड की यात्रा के एजेंडे को अंतिम रूप देने के लिए सोमवार को नेपाल के विदेश मंत्री नई दिल्ली आए थे। उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ मुलाकात की। दोनों ने व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, ढांचागत विकास, ऊर्जा और जल संसाधन के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने का एजेंडा तैयार किया। दोनों देशों के बीच उपभोक्ता वस्तुओं के आवागमन के लिए संपर्क बढ़ाना भी एजेंडे में शामिल है। 

नरेंद्र मोदी और प्रचंड की बातचीत में लंबे समय से लंबित पंचेश्वर मल्टीपर्पज प्रॉजेक्ट एक महत्वपूर्ण विषय होगा। इसकी क्षमता 6,720 मेगावॉट की है और यह नेपाल और उत्तरी भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पंचेश्वर डेवेलपमेंट अथॉरिटी के लिए चार्टर पर 2014 में दस्तखत हुए थे। यह 1996 में दोनों देशों के बीच हुई महाकाली संधि का हिस्सा है। इस प्रॉजेक्ट का उद्देश्य दोनों ओर की हजारों एकड़ जमीन के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना है। भारत चाहता है कि नेपाल के नए संविधान में मधेसियों की शिकायतों को दूर करने के लिए संशोधन किए जाएं और नेपाल अपनी विदेश नीति को वापस संतुलित करे।


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