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रीवा जेल प्रशासन की मेहनत लाई रंग, जेल से हर दिन स्कूल जाएगी 4 साल की प्रीति

रीवा। दो साल से केंद्रीय जेल ही उसका घर है और उसी की चारदीवारी भीतर ही उसका आंगन था। लेकिन जेल प्रबंधन की पहल ने जिंदगी बदल दी है। महज चार साल की उम्र की इस बच्ची को अब विद्यालय में दाखिला मिल गया और केंद्रीय जेल परिसर से ही हर दिन विद्यालय जाएगी। चार वर्षीय प्रीति के स्कूल का पहला दिन कई मायने में अन्य छात्रों से अलग रहा।

वह मां-बाप की बजाए जेल अधीक्षक की ऊगंली पकड़ कर पहुंची। दिलचस्प यह कि दो साल बाद पहली बार वह जेल से बाहर निकली। जेल प्रबंधन के प्रयासों से बच्ची को स्कूल जाते देख कैदी माता-पिता के चेहरे खिल उठे।

हत्या के मामले में आजीवन कारावास
दरअसल प्रीति जब दो साल की थी तो अक्टूबर 2014 में उसके पिता मिश्रीलाल केवट और मां चमेली बाई केवट को बैढऩ जिला न्यायालय की अदालत से हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

बाल संरक्षण समिति के समक्ष प्रस्ताव
कोई और पालक नहीं होने के कारण वह माता-पिता के साथ बैढऩ से केंद्रीय जेल रीवा आ गए। उसकी उम्र चार साल के होने पर जेल प्रबंधन ने उसे स्कूल भेजने के बाल संरक्षण समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा।

बच्ची को नि:शुल्क शिक्षा
समिति से अनुमति मिलने के बाद बीएनपी मेमोरियल स्कूल इस बच्ची को नि:शुल्क शिक्षा देने आगे आया। निजी विद्यालय के आगे आने पर जेल प्रबंधन के अधिकारी गुरुवार को स्कूल पहुंच कर प्रीति केवट का नर्सरी में दाखिला कराया है। जेल प्रबंधन ने बच्ची को रोजना स्कूल लाने व ले जाने के लिए जेल की महिला कर्मचारी को नियुक्त किया है।

सेंट्रल जेल का पहला मामला
केन्द्रीय कारागार रीवा में 1985 के बाद यह मामला है जब किसी जेल में बंद कैदी की बच्ची को स्कूल में दाखिला मिला है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बंदी के बच्चों के लिए झूला घर एवं नर्सरी विद्यालय जेल परिसर के अंदर संचालित करने का आदेश दिया है लेकिन रीवा जेल परिसर में व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के कारण निजी विद्यालय में दाखिला मिला है। जेल प्रबंधन के इस प्रयास से आने वाले दिनों में कैदियों के बच्चों बेहतर स्कूल में पढऩे का मार्ग खुल जाएगा।

वर्तमान में है चार बच्चे
केन्द्रीय कारागार में बंदी महिलाओं के साथ चार बच्चे हैं, इनमें एक डेढ़ माह और शेष तीन दो साल के अंदर की उम्र के हैं, प्रीति केवट ही चार वर्ष के ऊपर की है प्रीति माता पिता के साथ जेल में दो वर्ष तक और रहेगी।

जेल परिसर में नर्सरी की कोई व्यवस्था नहीं होने पर बाल संरक्षण समिति के सामने प्रीति केवट का मामला रखा गया था। वहीं विद्यालय ने भी बच्ची को पढ़ाने आगे आया। गुरुवार को प्रीति का दाखिला कराया गया है। इस प्रकरण के बाद जेल में बंद अन्य बच्चों के लिए भी रास्ता खुला है।
संतोष सोलंकी, जेल अधीक्षक रीवा

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