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स्याही के डर से बैंकों और ATM मशीनों पर कम हुई भीड़

इटावा: नोटबंदी के बाद बैंक में लाइन लगने वालों के लिए अच्छी खबर है। बार- बार नोट बदलने वालों पर नजर रखने के लिए सरकार ने मंगलवार को घोषणा की थी कि अब नोट बदलने वाले लोगों के हाथों की उंगली पर चुनाव की तरह स्याही लगाई जाएगी, जो कि बेहद कारगर साबित होता दिख रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक अब बार-बार नोट बदलने वाले डर से बुधवार को बैंकों के बाहर लाइनें कम हो गई हैं।
गौरतलब है सरकारी की लाख कोशिशों के बाद भी बैंक और एटीएम मशीनों की लाइनों में कमी नहीं आ रही थी। हालांकि बैंकों में अभी भी कुछ बैंकों में उंगलियों पर स्याही उपलब्ध नहीं कराई गई है, जिसके कारण बिना स्याही के ही पुराने बडे़ नोट बदले गए। कुछ बैंकों में तो सिर्फ खाताधारकों को ही रुपए बदलने का लाभ मिल सका। वहीं, शहर की कई प्रमुख बड़ी बैंकों में जहां एक दो घंटे ही रुपए बदले गए जबकि कुछ बैंकों में रुपए न होने के कारण लोग निराश होकर वापस लौट गए।
उल्लेखनीय है मोदी सरकार ने गत 8 नवम्बर को एक हजार व पांच सौ के पुराने नोटों पर रोक लगा दी है। 10 नवम्बर से बैंकों में पुराने बडे़ नोट बदलने का सिलसिला शुरु हुआ था। पहले दिन से ही बैंकों में मारामारी की स्थिति थी और सुबह से ही लम्बी-लम्बी लाइनें लगना शुरु हो गई थी। कई लोगों ने नोट बदलने का एक धंधा से बना लिया था। दुकान के कर्मचारियों के साथ अन्य लोगों को लोग रुपए बदलवाने के लिए सुबह से ही लाइन में लगा देते थे। इससे भी बैंकों के साथ पुलिस के लिए भी एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई थी। लम्बी लाइनों के कारण जहां अफरा तफरी का माहौल रहता था।
वहीं लोग हंगामा भी काटते थे। बार-बार नोट निकालने वालों की पहचान के लिए सरकार ने उंगली पर स्याही लगाने का फैसला लिया और इसका फरमान भी मंगलवार को जारी किया था लेकिन शहर की बैंकों में यह फरमान कहीं भी बुधवार को नजर नहीं आया। इतना जरुर हुआ कि जो लम्बी-लम्बी लाइनें लग रहीं थी। वह स्याही के डर के कारण कम होने लगी हैं। इस संबंध में जब बैंक मैनेजरों से जानकारी की गई तो उनका कहना था कि उनके हेड ऑफिस से मतदान के समय प्रयोग होने वाली स्याही अभी उपलब्ध नहीं कराई गई है। जब स्याही उपलब्ध हो जाएगी तो इस नियम को सख्ती से लागू किया जाएगा।
एक घंटे में ही खत्म हो गए रुपए
चौगुर्जी स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य शाखा में बुधवार को एक घंटे में ही रुपए खत्म हो गए। जिसके कारण सुबह से लाइन में लगे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बैंक के बाहर सुबह आठ बजे से ही बंद हो चुके पुराने बडे़ नोटों को बदलने के लिए लम्बी-लम्बी लाइनें लग गई थी। सुबह पौने 11 बजे बैंक के काउंटर शुरु हुए कुछ लोगों का तो बदलकर रुपए मिल गए लेकिन 12 बजे यहां पर रुपए खत्म हो गए थे। दोपहर दो बजे तक काफी संख्या में लोग बैंक के बाहर इस उम्मीद में बैठे रहे कि रुपए आएंगे और उन्हें बदलकर दिए जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और लोग वापस लौटने को मजबूर हुए। लोगों का कहना था कि वह सुबह से भूखे प्यासे लाइन में लगे हुए थे लेकिन इसके बाद भी उनके रुपए नहीं बदल सके।

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