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नोटबंदी का असर, तवायफें भी परेशान

बुरहानपुर: ऐतिहासिक नगरी बुरहानपुर की बोरवाड़ी की गलियों में सन्नाटा पसरा है। न वहां घुंघरुओं की खनक गूंज रही है और न साजों की आवाज। बड़े नोट बंद होने का असर मुगलकालीन मुजरे को इन गलियों में जीवित रखने वाले 22 परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। देशभर से यहां आने वाले मुजरे के शौकीनों की संख्या घट गई है। छोटे नोटों से किसी तरह काम चलाने का प्रयास हो रहा है, लेकिन वह इन घरों के चूल्हे जलाने के लिए काफी नहीं है।
बुरहानपुर में मुजरा पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर पूरी शालीनता से होता है। इसे तहजीब सिखाने की कला भी माना गया है। बोरवाड़ी में आमतौर पर हर दिन 5-7 मुजरे होते थे। रात 11 से सुबह के 5-6 बजे तक शौकीन यहां मुजरा सुनने में मशगूल रहते थे। रातभर स्र्पए की बरसात होती थी, वहीं अब 2-3 मुजरे ही हो रहे हैं। 500 व 1000 के नोट बंद होने से तवायफें मुजरे से पहले 100, 50, 20 व 10 स्र्पए की गड्डी देने की हिदायत दे रही हैं। छुट्टे स्र्पए नहीं होने पर मुजरा नहीं हो रहा।

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