आरक्षण को लेकर सरकार को सताने लगी मिशन 2018 की चिंता
भोपाल। उत्तरप्रदेश सहित पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने एक बार फिर आरक्षण को लेकर बयान जारी किया है, संघ के अखिल भारतीय प्रचारक मनमोहन वैद्य ने आरक्षण खत्म किए जाने की वकालत की है, तो वहीं पदोन्नति में आरक्षण मामले में प्रदेश के कर्मचारी सरकार से सख्त आरोप हैं उनका आरोप है कि हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अजाक्स सम्मेलन में पहुँचकर उनके समर्थन में आरक्षण का बयान दिया, यही नहीं इन कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि सरकार लगातार आरक्षित वर्ग के पक्ष में काम कर रही है, कर्मचारियों में बढ़ रहे इस तरह के असंतोष को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आगामी विधानसभा चुनाव मिशन-२०१८ की चिंता सताने लगी है। तो वहीं सुप्रीम कोर्ट कोर्ट में प्रदेश के कर्मचारियों की पदोन्नति बहाली को लेकर २४ जनवरी को मामले की सुनवाई शुरू हो रही है। सुनवाई के दौरान सरकार सुप्रीम कोर्ट से प्रदेश में सशर्त पदोन्नति बहाल करने को लेकर गुहार लगाएगी बताया जाता है कि इस मामले को लेकर भी कर्मचारियों में आक्रोश पनप रहा है। पहले दिन की सुनवाई में सरकार के वकील कर्मचारियों से जुड़े तथ्यों के साथ कोर्ट के सामने यह बात भी रखेंगे। सरकार का तर्क है कि ऐसा करने से कर्मचारियों को रिटायर होने से पहले वाजिब हक मिल जाएगा, जिससे उनका गुस्सा भी कम होगा। पदोन्नति में आरक्षण मामले में राज्य सरकार लगातार घिरती जा राही है। मामला खिंचने से कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ता जा राह है। इसे देखते हुए सरकार को विकल्प तलाशना पड़ रहा है। सपाक्स, अजाक्स और सरकार भी तैयारी में जुटी है। उल्लेखनीय है कि जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर पहली सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस की (यथास्थिति) कह दिया था। इसके बाद से प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद से अब तक प्रदेश में २२ हजार कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं। इनमें से करीब १५ हजार कर्मियों को ३० अप्रैल के बाद पदोन्नति मिलना थी, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले से नहीं मिली। अगले ती न माह में करीब दस हजार कर्मचारी और रिटायर हो रहे हैं। इनमें से ज्यादातर तो वर्ष 2016-17 में पदोन्नति मिलन है।
संभार : (हिन्द न्यूज सर्विस)
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