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संजय: दूर तलक जाएगी’ बात’ या आई- गई ….

(राकेश अग्निहोत्री)’ सवाल दर सवाल’
दिल्ली रवाना होने से पहले आनंदम की शुरुआत के साथ कटी Axis Bank किताब हवाला से झुकने के मामले में जो दो महत्वपूर्ण बातें कहीं वह गौर करने लायक है चाहे फिर वह किसी पर आरोप लगा देने से जुड़ी हो या फिर भ्रष्टाचार को संरक्षण और बढ़ावा देने को नजरअंदाज नहीं करने से जुड़ी हो। शिवराज का रुख साफ है कि जरूरी जांच के निष्कर्ष तक पहुंचने का इंतजार करना चाहेंगे। बावजूद इसके मंत्री संजय पाठक को लेकर हो-हल्ला थमने की वजह बढ़ता जा रहा है। चाहे फिर उसकी वजह जांच की कमान केंद्रीय एजेंसी द्वारा कराया जाना हो या फिर पहले प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे द्वारा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को फीड बैक देने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में शिरकत करने को लेकर दिल्ली यात्रा जिसमें इस मुद्दे के और गर्म होने के आसार हैं। 

देखना दिलचस्प होगा प्रदेश के मुखिया द्वारा निकाले गए बीच के रास्ते के बावजूद हाई प्रोफाइल संजय पाठक के इस्तीफे को लेकर निकली बात दूर तलक जाएगी या फिर अगले कुछ दिनों में बात आई गई हो जाएगी। संजय पाठक शिवराज कैबिनेट के स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री हैं। प्रदेश के 1 बड़े कारोबारी जिन्हें सियासत हो या कारोबार विरासत में मिला। इस बार चर्चा में है तो वह नोट मंदी के दौर में सामने आए हवाला कारोबार के कारण जिसके चार विरोधी उनसे जोड़ रहे हैं। मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है जिसको लेकर शिवराज-नरेंद्र मोदी दोनों फिलहाल सख्त रुख अख्तियार किए हुए हैं। 

पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी के स्थानांतरण के बाद आए एक नए मॉल…. इस मामले को मैं सिर्फ हाई प्रोफाइल बना दिया बल्कि अब नजर मुख्यमंत्री निवास ही नहीं pmo और गृह मंत्रालय की …विधि… कटनी से जुड़ गई है। इस दौरान आम जनता का सड़क पर उतरना है या फिर विपक्ष की राजनीति कर रही कांग्रेस के हमले अंदरखाने भी बात ठंडी नहीं हो रही बल्कि संघ भी दो धड़ों में नजर आ रहा है चाहे फिर वह कटनी और महाकौशल के स्थानीय स्वयंसेवक और पदाधिकारी हो या फिर भोपाल के वरिष्ठ और जिम्मेदार पदों पर बैठे जिस तरह पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे के मार्ग पर इस पूरे मामले में फीडबैक लिया उसके बाद इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राष्ट्रीय नेतृत्व को भरोसे में लेकर ही इस मामले में बोल रहे हैं चाहे फिर उसे किसी पर आरोप लगा देने से ही जोड़कर देखा जाए तो लगता है कि वह संजय पाठक के साथ खड़े हैं। हां होना भी लाजिमी है क्योंकि उनकी कैबिनेट के एक जिम्मेदार मंत्री है वह और वह अच्छी तरह जानते हैं कि यदि जल्दबाजी में नौबत संजय के इस्तीफे तक पहुंची तो इस मामले का और पूल पकड़ना है। 

इस्तीफा मंजूर किए जाने ही नहीं लिए जाने की चर्चा से ही पूरी सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष आरोप लगाने में देर नहीं लगाएगा और यदि इस्तीफा दबाव में ही सही लिया गया तो फिर इसकी गूंज दिल्ली से लेकर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी सुनाई दे सकती है और विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा बना सकता है इसलिए जांच के नाम पर संजय को फिलहाल राहत कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज ने दी है क्योंकि यदि घोटाला सामने आता है और ईडी की जांच से हवाला कारोबार में मंत्री संजय पाठक लिप्त पाए जाते हैं तो फिर सरकार के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा ऐसे में शिवराज ने भ्रष्टाचार के मामले में कोई समझौता न करते हुए जाट पर भरोसा जताया है विरोधियों की माने तो प्रदेश से लेकर देश में बीजेपी की सरकार है और ऐसे में उनकी पार्टी के किसी मंत्री के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित करने का संदेश जल्दबाजी में तो सामने नहीं आएगा ऐसे भी दिल्ली दौरे के दौरान शिवराज की इस मुद्दे पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।

ऐसे भी भोपाल लौटने के बाद शिवराज के किसी नए बयान पर सबकी नजर रहेगी कि आखिर राष्ट्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद संजय मामले में उनका रुख वही रहता है या फिर कुछ बदलाव नजर आता है जरूरी नहीं केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद शिवराज इस मुद्दे पर दिल्ली के नेताओं को अपनी ओर से कोई फीडबैक दे। लेकिन यह भी सच है कि प्रदेश की राजनीति से जुड़े दूसरे नेता जो दिल्ली में पहले से ही सत्ता और संगठन से जुड़े हैं इस मुद्दे पर सुविधा की राजनीति शुरू कर चुके हैं। खबर यह भी आ रही है संघ का शीर्ष नेतृत्व भी अपने स्तर पर संजय पाठक से ज्यादा हवाला कारोबार को लेकर सतर्क हो गया है क्योंकि जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव चरम पर होगी तब संघ प्रमुख मोहन भागवत का 8 फरवरी से मध्यप्रदेश के द्वारा होने वाला है और इस दौरान वह ना सिर्फ नर्मदा सेवा यात्रा में शामिल होंगे जिसमें समाज के लोग शिरकत कर रहे हैं तो मोहन भागवत भोपाल प्रवास के दौरान एक परिचर्चा में भी शामिल होने जा रहे हैं ऐसे में मीडिया की घेराबंदी से भी इनकार नहीं किया जा सकता जो भी हो शिवराज ने काफी कुछ स्पष्ट कर दिया है लेकिन इस मामले में कोई और संदेश सत्ता और संगठन ही नहीं संघ को भी देना पड़ सकता है संजय पाठक पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा है लेकिन उनके लिए राहत की बात यह है मुख्यमंत्री जल्दबाजी के मूड में नहीं है वह भी संजय से मुलाकात के बाद और दिल्ली जाने से पहले कही गई बात को यदि माना जाए तो लगता है कि सियासी गलियारों से लेकर आम जनता के बीच हवाला कारोबार और उसमें एक मंत्री के लिप्त होने के आरोप प्रत्यारोप के बीच जो परसेप्शन बन रहा है उसे नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता ऐसे में शिवराज के मुख्यमंत्री रहते उन मंत्रियों के कैबिनेट से इस्तीफा हटाए जाने पर यदि गौर किया जाए तो यह मामला कुछ अलग है सीधे तौर पर ना तो इससे पहले मंत्री रहते अनूप मिश्रा और ना ही अजय विश्नोई लिप्त पाए गए थे लेकिन उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था और बात यदि विजय शाह की जाए तो वह मामला कुछ और ही था ।

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