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जब PM मोदी का नाम लिए बगैर बोले राष्ट्रपति, 'ऐसा देश बने जहां करोड़ों लोग सिर्फ एक व्यक्ति के सामने हां-हां ना कहें'

मुंबई। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि देश को एक मजबूत विपक्ष की आवश्यकता है। मुखर्जी ने यहां इंडिया टुडे कांक्लेव 2017 को संबोधित करते हुए कहा, ''मुझे यहां यह कहना है कि देश को एक मजबूत विपक्ष की आवश्यकता है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू कहा करते थे।''
उन्होंने कहा, ''मैं भारत को एक ऐसे देश के रूप में नहीं चाहता हूं जहां करोड़ों लोग सिर्फ एक व्यक्ति के सामने हां कहते रहें या सहमति व्यक्त करते रहें, मुझे एक मजबूत विपक्ष की आवश्यकता है।''
उन्होंने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों पर पंडित नेहरू के दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए कहा कि उनका मानना था कि सरकार की सभी नीतियों और कार्यक्रमों पर पूर्ण रूप से चर्चा कराई जानी चाहिए। इनके बारे में समझ पैदा करनी चाहिए और अच्छी तरह परख करके ही इन्हें स्वीकार करना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि बड़े मुद्दों पर सहमति बनाये जाने की आवश्यकता है ताकि लोग इनसे प्रेरित हो सकें और एक राष्ट्र के निर्माण में शामिल हो सकें ताकि देश की लोकतांत्रिक संस्थानों और इसकी स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके।
मुखर्जी ने संसद में गतिरोध पैदा किये जाने के मुद्दे पर कहा कि सासंदों का मुख्य काम कानून बनाना है ताकि देश के नागरिकों को इनका लाभ मिल सके। राष्ट्रपति ने सत्ता के केंद्रीकरण का जिक्र करते हुए कहा कि अत्यधिक शक्ति और लोकप्रियता के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुछ गलतियां की थी और देश में आपातकाल लगाया जाना इसका एक बड़ा उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि लोगों का यह भी मानना है कि वह फैसले लेने में सिर्फ अपनी ही बात को तवज्जो देती थी और किसी भी मुद्दे पर फैसले लेने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय एक शक्तिशाली केंद्र के रूप में तब्दील होता गया।
उन्होंने कहा, ''देश की आने वाली राजनीतिक पीढियों के लिए यह काफी अच्छा होगा कि वे इंदिरा गांधी के मजबूत और दुर्बल दोनों पक्ष से कुछ सबक लें। शासन की हमारी प्रणाली राष्ट्रपति के बजाय संसदीय है और संसदीय प्रणाली में सभी मंत्री सामूहिक रूप से संसद के प्रति जिम्मेदार होते हैं और इसके माध्यम से वे जनता के प्रति भी जवाबदेह होते हैं।''

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