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'शिव'राज में परेशान किसानों की फिर होगी फजीहत


भोपाल : प्रदेश में किसान आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने आनन-फानन में प्याज खरीदी का फैसला लिया। जिसमें व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर होने से सरकार की किरकिरी हुई है। ऐसे में सरकार ने जल्द खराब होने वाली फसलें भविष्य में नहीं खरीदने का फैसला किया है। फसल के दाम गिरने पर किसान के नुकसान की भरपाई के लिए 'भावांतर' योजना लाई जा रही है। इसकी घोषणा सीएम रेडियो के माध्यम से 'दिल से' कार्यक्रम में कर चुके हैं। लेकिन कांग्रेस इस योजना का विरोध कर रही है। कांग्रेस सांसद कमलनाथ ने इस योजना को सरकार के लिए भ्रष्टाचार का नया तरीका बताया है।  

कमलनाथ ने ट्वीट कर भावान्तर योजना का विरोध किया है और सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है " शिवराज सरकार ने किसानो के कृषि उत्पाद समर्थन मूल्य में ख़रीदी, परिवहन , भंडारण , नीलामी में भ्रष्टाचार रोकने की बजाय इसे बंद कर, अधिकारियों के ज़िम्मे वाली भवान्तर योजना के माध्यम से भ्रष्टाचार करने का ख़ुद के लिये तो दूसरा तरीक़ा खोज लिया है" "लेकिन इस योजना से सबसे ज़्यादा फ़ज़ीहत पूर्व से ही शिवराज में परेशान किसानो की होगी" आगे कमलनाथ ने कहा है कि कांग्रेस इस निर्णय का विरोध करेगी।

सरकार दलहन, तिलहन और मक्का की खरीदी समर्थन मूल्य पर ना करके उसकी कीमत बाजार से कम होने पर अंतर राशि सीधे किसानों के खाते में डालेगी। ताकी फसल खरीदी को लेकर कोई गड़बड़ी ना हो। चुंकी पहले ही दालों और प्याज को लेकर करोड़ों का घोटाला सामने आया है, इस बार सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इसके लिए सरकार हर फसल का  मॉडल रेट तय करने के बाद समर्थन मूल्य के बीच की राशि मुख्यमंत्री भावांतर योजना के तहत दी जाएगी।  प्रदेश में प्याज, आलू, टमाटर समेत कम समय के खराब होने वाली फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन होता है। बंपर पैदावार की वजह से किसानों को उपज का उचित मुआवजा नहीं मिला है। किसान औने-पौने दामों में फसल बेचने पर मजबूर होते हैं। ऐसे में अब बंपर पैदावार में यदि फसल के भाव गिरते हैं, तो सरकार उसकी भरपाई भावांतर योजना के जरिए करेगी। अब हर फसल के समर्थन मूल्य तय होगा। यदि बाजार में इस कीमत से कम पर फसल बिकती है तो फिर विक्रय रसीद के आधार पर सरकार की ओर से भावांतर योजना से कीमत की भरपाई की जाएगी। 

भावांतर योजना का फायदा फसल का मूल्य गिरने पर ही मिलेगा। यदि सरकार ने किसी फसल का समर्थन मूल्य 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन बाजार में 2 से ढाई हजार प्रति क्विंटल बिक रही है, तो इस अंतर राशि की भरपाई भावांतर योजना से की जाएगी। यानी संबंधित किसान को 1 से 500 रुपए अलग से दिए जाएंगे। इसमें शर्त यह रहेगी कि किसान के पास फसल बिक्री की पक्की रसीद होना चाहिए। 

किसानों को बिचौलियों से बचाने और उपज को सीधे बाजार में बेचने लायक बनाने के लिए सरकार प्रदेश में 1 हजार फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगवाएगी। इन यूनिटों पर फसलों की पॉलिसिंग और पैकेजिंग होगी। इसके लिए संबंधित किसान को तय राशि देनी होगी। इसके बाद वह अपनी उपज को देश में कहीं भी बेच सकेगा। खास बात यह है कि फूट प्रोसेसिग के लिए कर्जा लेने पर 49 फीसदी सब्सिडी सरकार देगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार संभवत: 15 अगस्त को मुख्यमंत्री इसकी घोषणा भी कर सकते है। उनके बजट भाषण में खेती के क्षेत्र में कई घोषणाएं होना है। 

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