रेलवे का नया फरमान जिससे उड़ जाएगी आपकी नींद, सोने के घंटे हुए कम
नई दिल्ली: अगर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो आपने एक बात जरूर ध्यान दी होगी कि आरक्षित कोच के नीचे की सीटों पर शाम होते ही लोग सोने लगते हैं. रेलवे की तरफ से आधिकारिक तौर पर अभी तक रात नौ बजे से सुबह छह बजे तक नीचे की सीट पर किसी और सीट वाले यात्री के बैठने का दावा नहीं था, क्योंकि रेलवे ने रात नौ बजे से सुबह छह बजे तक सोने का वक़्त तय कर रखा था, लेकिन रेलवे ने अब ये समय एक घंटा कम कर रात नौ की बजाय 10 बजे कर दिया है.
रेलवे के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने कहा कि यात्रियों की शिकायत के बाद हम लोग इस पर काफी पहले से विचार कर रहे थे कि सोने के समय को एक घंटा कम कर रात नौ के बजाय 10 कर दिया जाए जिससे और यात्रियों को सीट पर न बैठ पाने की वजह से होने वाली दिक्कतें कम हो जाएं.
अनिल ने साइड अपर सीटों के यात्रियों के बारे में भी स्पष्ट करते हुए कहा कि इन सीटों पर भी यही नियम मान्य होंगे. इस नियम से रेलवे ने विकलांगो, बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को छूट दी है.
रेलवे की शताब्दी और राजधानी ट्रेनों की सुविधाओं में भी काफी सुधार हुआ है लेकिन बीते समय में हुए रेल हादसों पर नजर डालें तो ये सुविधाएं बौनी साबित होंगी. हालांकि, रेलवे के नए फैसले से एक ओर जहां कुछ यात्रियों को इससे लाभ होगा वहीं कुछ यात्रियों के लिए ये उनके सोने के समय से एक घंटे का समय कम करने जैसा है.
रेलवे के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने कहा कि यात्रियों की शिकायत के बाद हम लोग इस पर काफी पहले से विचार कर रहे थे कि सोने के समय को एक घंटा कम कर रात नौ के बजाय 10 कर दिया जाए जिससे और यात्रियों को सीट पर न बैठ पाने की वजह से होने वाली दिक्कतें कम हो जाएं.
अनिल ने साइड अपर सीटों के यात्रियों के बारे में भी स्पष्ट करते हुए कहा कि इन सीटों पर भी यही नियम मान्य होंगे. इस नियम से रेलवे ने विकलांगो, बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को छूट दी है.
रेलवे की शताब्दी और राजधानी ट्रेनों की सुविधाओं में भी काफी सुधार हुआ है लेकिन बीते समय में हुए रेल हादसों पर नजर डालें तो ये सुविधाएं बौनी साबित होंगी. हालांकि, रेलवे के नए फैसले से एक ओर जहां कुछ यात्रियों को इससे लाभ होगा वहीं कुछ यात्रियों के लिए ये उनके सोने के समय से एक घंटे का समय कम करने जैसा है.
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