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कोर्ट की फटकार से उच्च शिक्षा के अफसरों में खलबली


ग्वालियर : हाईकोर्ट की फटकार के बाद उच्च शिक्षा विभाग के आला अफसरों में खलबली मच गई है। अभी तक वे कोर्ट जाने वाले अतिथि विद्वानों को ज्वाइन कराने में टालमटोल कर रहे थे। अब आनन-फानन में सभी कॉलेजों के प्राचार्यों को निर्देशित किया है कि कोर्ट के आदेश वाले अतिथि विद्वानों को ज्वाइन कराएं। अगर संबंधित पदों पर इस साल की चयन प्रक्रिया के जरिए मैरिट से कोई अतिथि विद्वान नियुक्त कर दिए हों तो उनसे पदों को खाली कराएं। इस साल वाले अतिथि विद्वानों को पूर्व निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार फॉलेन आउट कर दूसरे कॉलेजों में भेजा जाए। 

बता दें कि सरकारी कॉलेजों में रिक्त पदों के विरुद्ध जो अतिथि विद्वान पिछले कुछ वर्षों से सेवाएं दे रहे थे। उनमें से कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी कि उन्हें निरंतर रखा जाए। पद खाली हैं पड़े हैं,हर साल नए सिरे से चयन प्रक्रिया अपनाने से परेशानी होती है। कोर्ट ने ऐसे इनके पक्ष में फैसला देते हुए उच्च शिक्षा विभाग को पूर्व के पदों पर ही बने रहने के आदेश दिए। लेकिन विभाग के अफसरों ने इन आदेशों को हल्के में लेते हुए उन्हें ज्वाइन नहीं कराया। इस साल अपनाई गई प्रक्रिया की मैरिट वालों के संबंधित पदों पर ज्वाइन करा दिया। इस रवैए को लेकर कोर्ट वाले अतिथि विद्वानों ने अवमानना याचिका लगा दी,जिस पर कोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों की खिंचाई कर दी। इसलिए अब हड़बड़ाहट में कोर्ट के आदेश वाले अतिथि विद्वानों को ज्वाइन कराने के आदेश प्राचार्यों को भेजे गए हैं। जिसमें साफतौर पर कहा हे कि वर्ष 2016-17 में कॉलेज जिन अतिथि विद्वानों ने कार्य किया है और वर्तमान सत्र 2017-18 में आवेदन नहीं किया है या करने के उपरांत आवंटन सूची में स्थान नहीं पा सके हैं,उनके पास कोर्ट का आदेश है तो उन्हें ज्वाइन कराया जाए। वे अतिथि विद्वान जिन्होंने वर्ष 2016-17 में कार्य नहीं किया है,इससे पहले कार्य करने के आधार पर कोर्ट का आदेश प्राप्त कर लिया है तो उन्हें ज्वाइन नहीं कराया जाए। 

नियमित शिक्षक  वहां राहत नहीं
जिन कॉलेजों में शिक्षकों के रिक्त पदों को उच्च शिक्षा विभाग ने नियमित शिक्षकों की पोस्टिंग कर भर दिया है। वहां पर तैनाती के लिए जो अतिथि विद्वान कोर्ट से आदेश ले जाए हैं,तो उन पदों पर संबंधित विद्वानों को ज्वाइन कराने से उच्च शिक्षा विभाग ने साफ इनकार कर दिया है। 

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