-->

Breaking News

अव्यवस्था एवं अपेक्षाओं की विरासत सौंप अलविदा कहता 2017 जवा से

राहुल तिवारी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ संवाददाता
रीवा(जवा) : प्रशासनिक एवं प्राकृतिक उपेक्षा का मिला जुला दंश झेलता जवा तहसील में पूरा सन् 2017 शासन से उम्मीदें सीने में छिपाये जवा तहसील वासियों को 2018 की उम्मीदों की विरासत सौंपते अलविदा कह रहा है।बहुत सारी उम्मीदें सपनों से हकीकत में तब्दील करने में नाकामी की टीस दिल में लिए नई उम्मीदों के सपने संजोने का ढाढस बंधाते अपनो से विदा हो रहा है।

जहाँ अल्प वर्षा से समूचा तराई अंचल सिसकता रहा वहीं पीने के पानी के संकट से अभी से दो चार हो रहा है।जंगली जानवरों के साथ साथ अवारा पशुओं से किसानों के जीवन आधार फसलों पर जहाँ संकट गहराया वहीं निदान की कोई किरण नहीं दिखी।जनकहाई में गौ अभ्यारण्य निर्माण का सपना अवश्य शासन द्वारा सुनाया गया।
जहाँ जदुआ -- चाकघाट सड़क का निर्माण बनते उखड़ते तराई वासियों को विकास का एहसास कराने का प्रयास किया वहीं शेष तराई अंचल की सारी सड़कों ने धूल और गड्ढे से अपना चेहरा छुपा लिया । सड़कों की खस्ताहाल के लिए जहाँ 2017 याद किया जायेगा वहीं प्रशासनिक संरक्षण में कई भवनों के घटिया निर्माण के लिए भी जनमानस की यादो में रहेगा ।जवा तहसील अंतर्गत स्वच्छ भारत अभियान का दम तोड़ता चेहरा भी 2017 के सीने में टीसता रहेगा।
अधूरे रह गये अरमान --
जवा तहसील वासियों  को 2017 के आगमन के साथ उम्मीद जगी थी की अनुविभागीय न्यायालय का संचालन शुरू हो जायेगा।त्योंथर अनुभाग की वैशाखी से मुक्ति मिलेगी जो सपना ही रह गया ।एक और बड़ा सपना कि जवा तहसील में व्यवहार न्यायालय की स्थापना हो जायेगी और जवा तहसील वासियों को त्योथर आने जाने से मुक्ति मिलेगी ।परंतु वह भी सपना ही रह गया ।
जाते जाते देखा किसानों का बेचारा चेहरा -- साल जाते जाते भी किसानों के चेहरे पर खुशी न देख सका।शासन द्वारा खरीदी केन्द्रों को तो भरमार की गई परंतु किसानों को केवल उत्पीड़न ही मिला।खरीदी केन्द्र खुले खरीदी चालू हुई परंतु बोरियों का अकाल खत्म नही हुआ।दिसंबर माह के भीषण ठंडी की रातों में हफ्ते - पन्द्रह दिनों की राते खुले आसमान में अपनी खून पसीने से उपजाये धान को बेंचने के लिए बिताने की मजबूरी की टीस भी 2017 दिल में लिए जाने को है ।किसानों की धान तौलाई में वजन की लूट -- मजदूरी के नाम पर किसानों की जेब की लूट   और   प्रशासनिक शून्यता भर्रेशाही तथा संवेदनहीनता का दंश 2017 के हिस्से पड़ा।
आखिर आने वाला जाता ही है।उसी क्रम में अपनी असफलताओं के घावों को सांत्वना के पर्दे में छिपाये तराई वासियो को 2018 के उम्मीदों के सपनों के साथ अलविदा कह रहा है।

No comments

सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com