सूखी पड़ी रीवा की नहरें और छप गए एक करोड़, 33 लाख
रीवा। किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के विभागीय दावे फेल हो चुके हैं। नहरों की साफ-सफाई के लिए शासन द्वारा दिए गए 1 करोड़ 33 लाख 75 हजार के बजट में विभाग एवं विभिन्न संस्थाओं ने खेल कर दिया है। वहीं सिंचाई के लिए रखे गए 1 लाख 33 हजार 750 हेक्टेयर में 5 हजार हेक्टेयर से ज्यादा खेतों तक पानी अब भी नहीं पहुंच पाया है। जिन नहरों में पानी छोड़ा गया था, उसको भी पलेबा के पहले ही बंद कर दिया गया है।
गौरतलब है कि क्योंटी, पुरवा, बहुती एवं गुढ़-मऊगंज लिफ्ट की माइनर नहरें ज्यादातर अभी भी सूखी पड़ी हुई हैं। बताया गया है कि नहरों की साफ-सफाई एवं मेंटीनेंस न होने के चलते गांवों के आखिरी छोर तक पानी नहीं पहुंच पाया है। नवम्बर के प्रथम सप्ताह में विभाग ने खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहरों में पानी छोड़े जाने का दावा किया था लिहाजा नवम्बर माह समाप्त होने के बाद भी पांच हजार हेक्टेयर से ज्यादा के खेतों तक पानी पहुंच पाएगा, यह संभव नहीं है। खास वजह यह है कि खेतों तक पानी पहुंचने के लिए बनाई गई माइनर नहरें फूटी पड़ी हुई हैं जिससे पानी छोड़े जाने के बाद गांवों के आखिरी छोर तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। कागजों में किए जा रहे मेंटीनेंस एवं खेतों तक पानी पहुंचाने के विभागीय दावे हवा-हवाई लगने लगे हैं।
शाहपुर में पानी बंद
पुरवा केनाल से छोड़े गए शाहपुर नहर के पानी को खेतों में पलेबा होने के पहले ही बंद कर दिया गया है। गुरुवार को जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष द्वारा अधीक्षण यंत्री को की गई शिकायत के बाद उन्होंने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है एवं यह कहा है कि तुरंत फूलपुर के लिए पानी छोड़ा जाए। बताया गया है कि शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जब तक खेतों में पलेबा नहीं हो जाता है नहर का पानी बंद न किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर नहरों का पानी बंद पाया गया तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सेमरिया में आज छोड़ा जाएगा पानी
सेमरिया अंचल के किसानों को नहर का पानी अब तक इसलिए नहीं मिल पाया था कि वह नहर ही फूटी हुई थी। ऐसे में विभाग द्वारा नहर का मेंटीनेंस पूरा कराकर पानी छोड़े जाने का दावा किया है। बताया गया है कि उक्त नहर में 2.30 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जाएगा। नवम्बर महीना समाप्त होने के बाद किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाया है ऐसे में रबी की बोनी वह किस तरह से कर पाएंगे।
17 हजार हेक्टेयर माइनर का कार्य अधूरा
गुढ़-मऊगंज लिफ्ट की बनाई जा रही माइनर नहरें अधूरी पड़ी हुई हैं। वहीं विभागीय अधिकारी पानी छोड़े जाने का दावा कर रहे हैं। वास्तविकता यह है कि टीकर लिफ्ट से पानी छोड़े जाने की बात कही जा रही है जबकि गुढ़ क्षेत्र के गांवों में नहर का पानी पहुंच सके, इसके लिए बनाई जा रही माइनर नहरों का अभी निर्माण ही पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में जल संसाधन विभाग गुढ़-मऊगंज लिफ्ट में पानी छोड़ेगा, यह समझ से परे है।
जल उपभोक्ता संस्था के खाते में राशि
पानी छोड़े जाने के पहले नहरों की साफ-सफाई के लिए हर वर्ष शासन द्वारा आने वाली राशि पहले जल संसाधन विभाग के खाते में आती थी परंतु इसके लिए संस्था बन जाने के बाद यह राशि अब संस्था के ही खाते में आती है। सौ रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से साफ-सफाई के लिए आई राशि बगैर नहरों की सफाई के ही खर्च कर दी गई। हालांकि इस खर्च में जल संसाधन विभाग के एसडीओ की मिलीभगत भी बताई जा रही है। विभाग के अधीक्षण यंत्री राममणि शर्मा द्वारा बताया गया कि जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष इस राशि को खर्च करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सफाई के लिए आई राशि का दुरुपयोग होता है।
इतने के बाद भी जो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं वो ये हैं कि नहरों की सफाई न होने के बाद छोड़े गए नहर के पानी से कई माइनर नहरें फूट गई हैं। इतना ही नहीं लम्बे-चौड़े दिए गए इस बजट पर संथा के सदस्य एवं अध्यक्ष के साथ-साथ जल संसाधन विभाग के अधिकारी की भी मिलीभगत है। बताया गया है कि राशि आहरण में एसडीओ, जल संसाधन का हस्ताक्षर होता है।
गौरतलब है कि क्योंटी, पुरवा, बहुती एवं गुढ़-मऊगंज लिफ्ट की माइनर नहरें ज्यादातर अभी भी सूखी पड़ी हुई हैं। बताया गया है कि नहरों की साफ-सफाई एवं मेंटीनेंस न होने के चलते गांवों के आखिरी छोर तक पानी नहीं पहुंच पाया है। नवम्बर के प्रथम सप्ताह में विभाग ने खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहरों में पानी छोड़े जाने का दावा किया था लिहाजा नवम्बर माह समाप्त होने के बाद भी पांच हजार हेक्टेयर से ज्यादा के खेतों तक पानी पहुंच पाएगा, यह संभव नहीं है। खास वजह यह है कि खेतों तक पानी पहुंचने के लिए बनाई गई माइनर नहरें फूटी पड़ी हुई हैं जिससे पानी छोड़े जाने के बाद गांवों के आखिरी छोर तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। कागजों में किए जा रहे मेंटीनेंस एवं खेतों तक पानी पहुंचाने के विभागीय दावे हवा-हवाई लगने लगे हैं।
शाहपुर में पानी बंद
पुरवा केनाल से छोड़े गए शाहपुर नहर के पानी को खेतों में पलेबा होने के पहले ही बंद कर दिया गया है। गुरुवार को जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष द्वारा अधीक्षण यंत्री को की गई शिकायत के बाद उन्होंने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है एवं यह कहा है कि तुरंत फूलपुर के लिए पानी छोड़ा जाए। बताया गया है कि शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जब तक खेतों में पलेबा नहीं हो जाता है नहर का पानी बंद न किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर नहरों का पानी बंद पाया गया तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सेमरिया में आज छोड़ा जाएगा पानी
सेमरिया अंचल के किसानों को नहर का पानी अब तक इसलिए नहीं मिल पाया था कि वह नहर ही फूटी हुई थी। ऐसे में विभाग द्वारा नहर का मेंटीनेंस पूरा कराकर पानी छोड़े जाने का दावा किया है। बताया गया है कि उक्त नहर में 2.30 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जाएगा। नवम्बर महीना समाप्त होने के बाद किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाया है ऐसे में रबी की बोनी वह किस तरह से कर पाएंगे।
17 हजार हेक्टेयर माइनर का कार्य अधूरा
गुढ़-मऊगंज लिफ्ट की बनाई जा रही माइनर नहरें अधूरी पड़ी हुई हैं। वहीं विभागीय अधिकारी पानी छोड़े जाने का दावा कर रहे हैं। वास्तविकता यह है कि टीकर लिफ्ट से पानी छोड़े जाने की बात कही जा रही है जबकि गुढ़ क्षेत्र के गांवों में नहर का पानी पहुंच सके, इसके लिए बनाई जा रही माइनर नहरों का अभी निर्माण ही पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में जल संसाधन विभाग गुढ़-मऊगंज लिफ्ट में पानी छोड़ेगा, यह समझ से परे है।
जल उपभोक्ता संस्था के खाते में राशि
पानी छोड़े जाने के पहले नहरों की साफ-सफाई के लिए हर वर्ष शासन द्वारा आने वाली राशि पहले जल संसाधन विभाग के खाते में आती थी परंतु इसके लिए संस्था बन जाने के बाद यह राशि अब संस्था के ही खाते में आती है। सौ रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से साफ-सफाई के लिए आई राशि बगैर नहरों की सफाई के ही खर्च कर दी गई। हालांकि इस खर्च में जल संसाधन विभाग के एसडीओ की मिलीभगत भी बताई जा रही है। विभाग के अधीक्षण यंत्री राममणि शर्मा द्वारा बताया गया कि जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष इस राशि को खर्च करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सफाई के लिए आई राशि का दुरुपयोग होता है।
इतने के बाद भी जो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं वो ये हैं कि नहरों की सफाई न होने के बाद छोड़े गए नहर के पानी से कई माइनर नहरें फूट गई हैं। इतना ही नहीं लम्बे-चौड़े दिए गए इस बजट पर संथा के सदस्य एवं अध्यक्ष के साथ-साथ जल संसाधन विभाग के अधिकारी की भी मिलीभगत है। बताया गया है कि राशि आहरण में एसडीओ, जल संसाधन का हस्ताक्षर होता है।
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