रीवा के इस नामी-गिरामी कॉलेज में पढ़ना अब मुश्किल
रीवा। प्रदेश का एक ऐसा नामी गिरामी शासकीय स्वशासी महाविद्यालय भी है जहां अब छात्र-छात्राओं का पढ़ना मुश्किल होता जा रहा है, CCTV से लैस इस महाविद्यालय में कोई भी अन्दर घुसकर किसी भी छात्र-छात्रा को गोली मारकर फरार हो सकता है. बता दें TRS COLLEGE, REWA में गोली मारकर छात्र की हत्या जैसी घटना अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय सहित जिले के दूसरे कॉलेजों में भी हो जाए तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा। विश्वविद्यालय सहित कॉलेजों में बाहरी लोगों की बेरोकटोक एंट्री और हस्तक्षेप कुछ ऐसा ही हाल बयां कर रहा है। हालात यह है कि सडक़ से लेकर कक्षा तक पहुंचने में छात्राओं को न जाने कितने कमेंट सुनने पड़ते हैं।
बिना रोक कक्षाओं तक पहुंच रहे बाहरी लोग
टीआरएस कॉलेज के अलावा शहर में स्थित मॉडल साइंस कॉलेज हो या न्यू साइंस कॉलेज या फिर कन्या महाविद्यालय। कोई भी कभी भी न केवल कॉलेज परिसर में प्रवेश कर सकता है। बल्कि बिना किसी रोकटोक के कक्षाओं तक पहुंच सकता है। वजह कागजी खानापूर्ति में कॉलेजों में अनुशासन समिति का गठन तो कर लिया गया है। लेकिन सत्र की शुरुआत से लेकर नाम मात्र के लिए भी कभी अभियान नहीं चलाया गया।
आए दिन होता है धरना प्रदर्शन व नारेबाजी
ज्यादातर कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के बिना ड्रेस में पहुंचने पर भी कोई रोकटोक नहीं है। वैसे तो छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर अनुशासन समिति की जिम्मेदारियां निर्धारित हैं। लेकिन न ही समिति उस पर गौर फरमाती है और न ही कॉलेज के प्राचार्य इस मामले में सख्ती बरतने की जरूरत समझते हैं। नतीजा नेतागिरी चमकाने कॉलेज में ऐसे लोगों को पूरा हस्तक्षेप बना हुआ है, जिनका पढऩे और पढ़ाने से कोई लेना देना नहीं है। आए दिन धरना प्रदर्शन व नारेबाजी कॉलेजों में आम बात हो गई है।
निजी सुरक्षा गार्डों के जिम्मे सुरक्षा
कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा व्यवस्था चंद निजी सुरक्षा गार्डों की तैनाती तक सीमित है। सुरक्षा गार्ड भी महज औपचारिकता पूरी करते नजर आते हैं। घटना-दुर्घटना के वक्त भी सुरक्षा गार्डों की भूमिका केवल तमाशबीन बने रहने तक सीमित है। टीआरएस कॉलेज में छात्र को गोली मार दो गेट पार कर आरोपी के निकल जाने का मामला इसका जीता-जागता उदाहरण है। गौरतलब है कि कॉलेज के सभी गेट पर सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं।
पुलिस अधिकारी भी भूले निर्देश
कॉलेज में छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर गेट पर पुलिस बल की तैनाती से संबंधित शासन के निर्देश को पुलिस विभाग के साथ उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी भी भूल गए। पुलिस विभाग की ओर से न ही पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित हो सकी और न ही उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी दोबारा अपील करने की जरूरत समझ सके। पूर्व में जीडीसी में एक कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने छात्राओं से कॉलेज के बाहर पुलिस बल तैनात करने का आश्वासन तो दिया। लेकिन अभी तक पूरा नहीं कर सके।
ये है अनुशासन समिति की जिम्मेदारी
कॉलेज परिसर में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध
बिना यूनीफॉर्म के कॉलेज आने पर छात्र-छात्राओं पर रोक
अभिभावकों के कॉलेज परिसर में प्रवेश के लिए समय निर्धारण
छात्रों को अनुशासित रखने और दोषी छात्रों पर कार्रवाई करने
समय-समय पर कॉलेज परिसर में चेकिंग अभियान चलाने
अनुशासन के मद्देनजर समय-समय पर छात्रों को जागरूक करने
बिना रोक कक्षाओं तक पहुंच रहे बाहरी लोग
टीआरएस कॉलेज के अलावा शहर में स्थित मॉडल साइंस कॉलेज हो या न्यू साइंस कॉलेज या फिर कन्या महाविद्यालय। कोई भी कभी भी न केवल कॉलेज परिसर में प्रवेश कर सकता है। बल्कि बिना किसी रोकटोक के कक्षाओं तक पहुंच सकता है। वजह कागजी खानापूर्ति में कॉलेजों में अनुशासन समिति का गठन तो कर लिया गया है। लेकिन सत्र की शुरुआत से लेकर नाम मात्र के लिए भी कभी अभियान नहीं चलाया गया।
आए दिन होता है धरना प्रदर्शन व नारेबाजी
ज्यादातर कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के बिना ड्रेस में पहुंचने पर भी कोई रोकटोक नहीं है। वैसे तो छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर अनुशासन समिति की जिम्मेदारियां निर्धारित हैं। लेकिन न ही समिति उस पर गौर फरमाती है और न ही कॉलेज के प्राचार्य इस मामले में सख्ती बरतने की जरूरत समझते हैं। नतीजा नेतागिरी चमकाने कॉलेज में ऐसे लोगों को पूरा हस्तक्षेप बना हुआ है, जिनका पढऩे और पढ़ाने से कोई लेना देना नहीं है। आए दिन धरना प्रदर्शन व नारेबाजी कॉलेजों में आम बात हो गई है।
निजी सुरक्षा गार्डों के जिम्मे सुरक्षा
कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा व्यवस्था चंद निजी सुरक्षा गार्डों की तैनाती तक सीमित है। सुरक्षा गार्ड भी महज औपचारिकता पूरी करते नजर आते हैं। घटना-दुर्घटना के वक्त भी सुरक्षा गार्डों की भूमिका केवल तमाशबीन बने रहने तक सीमित है। टीआरएस कॉलेज में छात्र को गोली मार दो गेट पार कर आरोपी के निकल जाने का मामला इसका जीता-जागता उदाहरण है। गौरतलब है कि कॉलेज के सभी गेट पर सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं।
पुलिस अधिकारी भी भूले निर्देश
कॉलेज में छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर गेट पर पुलिस बल की तैनाती से संबंधित शासन के निर्देश को पुलिस विभाग के साथ उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी भी भूल गए। पुलिस विभाग की ओर से न ही पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित हो सकी और न ही उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी दोबारा अपील करने की जरूरत समझ सके। पूर्व में जीडीसी में एक कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने छात्राओं से कॉलेज के बाहर पुलिस बल तैनात करने का आश्वासन तो दिया। लेकिन अभी तक पूरा नहीं कर सके।
ये है अनुशासन समिति की जिम्मेदारी
कॉलेज परिसर में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध
बिना यूनीफॉर्म के कॉलेज आने पर छात्र-छात्राओं पर रोक
अभिभावकों के कॉलेज परिसर में प्रवेश के लिए समय निर्धारण
छात्रों को अनुशासित रखने और दोषी छात्रों पर कार्रवाई करने
समय-समय पर कॉलेज परिसर में चेकिंग अभियान चलाने
अनुशासन के मद्देनजर समय-समय पर छात्रों को जागरूक करने
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