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मां-बेटी मेला बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने का दे गया संदेश



बेटियों की शिक्षा के लिए समर्पित
रोस्या की कृष्णा एवं गोपालदास

एक परिवार की चार बेटियों के
‘‘पढ़ने और आगे बढ़ने‘‘ की कहानी


राजगढ़ : कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय सारंगपुर में विगत दिनो वृहद ‘‘मां-बेटी मेले‘‘ का आयोजन किया गया । आयोजित मेले में कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा और विधायक कुंवर कोठार ने रोस्या गांव के श्री किशोरदास बैरागी और श्रीमति कृष्णा बैरागी का पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मान किया गया, तो पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कारण था गरीबी आर्थिक परेषानियों के बावजूद उन्होंने  चार बेटयों को पढाने में कोई कसर नहीं रखी । वे कहते है बेटियां को अवसर मिले तो वे साबित कर देंगी तो वे बेटों कम नहीं उनसे बढकर हैं ।

गरीब और विषम परिस्थितियों से जूझते हुए इस दम्पत्ति ने सामाजिक कार्यकर्ता श्री जमनालाल बैरागी की प्रेरणा से एक बेटी को बालिका छात्रवास में प्रवेश दिलाया और अन्य 3 बेटियों की भी पढाई को सत्त जारी रखा। परिणामस्वरूप एक बेटी आशा 12वीं (गणित), दूसरी दीपिका 12वीं (कला) तथा बड़ी बेटी माधुरी नर्सिंग का कोर्स कर रही है और छोटी बेटी उमा 8वीं में अध्यनरत है। दृढ़़ इच्छाशक्ति और पढाई के प्रति अपनी लगन के चलते जहां चारो बेटियां अपने लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर हैं, वहीं माता-पिता भी बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने में अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति को आडे आने नही दे रहे है।

नवम्बर 2012 में तत्कालीन कलेक्टर (वर्तमान में उज्जैन सम्भाग कमिश्नर) श्री एम. बी. ओझा के समक्ष किशोरदास एवं कृष्णा ने बेटियों की शिक्षा को लेकर अपनी चिन्ता प्रकट की थी। बेटियों ने एक मत से अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए अपनी रूची को जाहिर किया था। प्रोफेसर बासंती मोघे, सुश्री बबीता मिश्रा और रोस्या गांव के समाजसेवी श्री इन्दर सिंह नागर एव श्री रामेश्वर नागर ने इनकी मदद कर आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। तत्कालीन जिलाधीश  ने माता-पिता और बेटियों की शिक्षा के प्रति लगन का सम्मान किया और प्रशासन की ओर से मदद उपलब्ध करवाई।

इसका सुखद परिणाम इन चारों बेटियोें की निरंतर शैक्षणिक प्रगति के रूप में सामने हैं। पिता श्री बैरागी ने इन पंक्तियो के माध्यम से अपनी सुन्दर सोच को समारोह मे प्रस्तुत किया ’’मेरे बेटे नही हैं, इसका मुझे गम नहीं। मेरी बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं ’’।

मां-कृष्णा और पिता किशोरदास को उम्मीद है, कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर उनकी चारों बेटियां आत्मनिर्भर बनेगी और कुल का नाम रोशन करंेगी। उन्होंने शासन का आभार व्यक्त किया कि बेटियों के कल्याण और बेहतरी के लिए बनाई गई योजनाओं से बेटियों को पढने के साथ-साथ सभी क्षेत्रो में आगे बढने के समान अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि किशोरदास और कृष्णा की चारो बेटियां पढाई के साथ नृत्य, गायन और अन्य कलाओं में भी प्रवीण है। पूरे परिवार को इस बात की खुशी है कि सर्वशिक्षा अभियान के तहत संचालित बालिका छात्रवासों में बालिकाओं को गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ उनके अन्दर छिपी कला को भी प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है । बेटियोें को आत्मनिर्भर बनाने के साथ -साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए पहल की जाती है।

आशा, दीपिका, माधुरी और उमा का कहना है कि वे खुद तो अपनी पढाई पूरी करके अपने पैरांे पर खड़ी तो होंगी ही साथ ही गावं की सभी बालिकाओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित भी करेंगी । उन्होंने कहा कि जिले में बाल विवाह और नातरा जैसी कुप्रथाएं प्रचलित हैं । यह सामाजिक बुराई है । वे अपने गांव और समाज को बाल विवाह, नातरा प्रथा एवं ‘‘खुले में शौच‘‘ प्रथा से मुक्ति दिलाने का सतत प्रयास भी करेंगी।  कुल मिलाकर मां -बेटी मेला बेटियों को पढाने और उन्हें आगे बढने का अवसर देने का संदेष दे गया ।

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