थानगाॅव के इर्द गिर्द जंगल में मंगल मना रहे कोयला माफिया
थानगाॅव के इर्द गिर्द जंगल में मंगल मना रहे कोयला माफिया
अनूपपुर / बिजुरी/ प्रदीप मिश्रा - 8770089979
खनिज सम्पदा का दोहन जिस तरह बेधडक कोतमा अनुभाग मे हो रहा चाहे रेत हो या बोल्डर प्रसासन पर बडा प्रश्न चिंह है ?माइनिग विभाग हो या वन विभाग महीने दो मे चार छ टैक्टर पकड कर वाहवाही लुटती है और माफियाओ को अभयदान मिला हुआ जितना कर सकते है करे कारण माइनिंग विभाग मे वर्षो से जमे अधिकारी और कर्मचारी है जिनका उठना बैठना इंही लोगो के साथ हो चुका है ।वन परिक्षेत्र बिजुरी अंतर्गत स्थित ग्राम थाॅनगाॅव से सटे जंगल घोची मुडा,कनई टोला,करमघोघा, में इन दिनों कोयला माफियाओं की वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के मिलीभगत के कारण बल्ले बल्ले है । जंगल से बेतरतीब दिन रात काला पत्थर कोयला का खनन कार्य जारी है जिस पर लगाम लगाने की हिमायत वन विभाग के आला अफसर नही कर पा रहे हैं जो कहीं न कहीं प्रषासनिक जिम्मेदारी पर प्रष्न खडा करता है?। मिली जानकारी अनुसार वन परिक्षेत्र बिजुरी के ग्राम थानगाॅव से लगे जंगल बैगा डेबरा घोची मुडा,कनई टोला,करमघोघा, नामक स्थान पर हरियाली लिये एक पहाड पर कोयले का भण्डार पर्याप्त मात्रा मे हैं उक्त भंण्डार को कोयला माफियाओं की नजर लग गई है और वे बेतरतीब रुप से दिन रात एक करके जंगल के आसपास रहने वाले गाॅव के मजदूरों के माध्यम से खुदाई कराकर परिवहन धडल्ले से कर रहे हैं तथा सरकार, वन व वन्य जीवों को क्षति पहुॅचा रहे हैं।
दब गई थी एक महिला चोरी छिपे हुआ था इलाज
ग्राम थानगाॅव से कई महिला पुरुष कोयला का उत्खनन करने जंगल गए थे। बताया गया उत्खनन के दौरान एक केवट महिला सुरंग के भीतर कोयला खोदने का काम कर रही थी तभी कोयले का टीला भरभरा कर धसक गया और महिला दब गई थी उसे गंभीर चोंट आने के कारण बाहर भेज कर उसका चोरी छिपे इलाज कराया गया था। लेकिन प्रसाशन ने कभी कार्यवाही जांच उचित न समझा ।
लंबे समय से जारी है उत्खनन
थाॅनगाॅव के जंगल में साल दो साल से उत्खनन का कार्य ब्यापक पैमाने पर जारी है कोयला का उत्खनन व ब्यवसाय करने का काम भी जारी है बावजूद इसके वन विभाग के आला अफसरो की कार्यवाही अब तक देखने को नही मिली है। बताया जाता है कि इस उत्खनन कार्य को बढावा देने में बीट प्रभारी से लेकर ग्राम कोटवार की भूमिका संदिग्ध है।
धधक रहे ईंट भट्टे
जानकारी अनुसार ज्ंागल कें कोयले से थानगाॅव व आसपास के क्षेत्र में लगे ईंट भट्ठे धधक रहे हैं। ईंटों के कारोबारी जंगल के कोयले को अपना कोयला मानकर अपने हिसाब से गाॅव के मजदूर तपके को बोरी भरकर लाने का ठेका देकर कोयला का उपयोग अपने ब्यवसाय के रुप में करते हैं तथा गरीबों के जान को जोखिम में डालकर लाभ कमा रहे हैं। देखा गया कि मजदूर कोयला उत्खनन पहाड के नीचे करते हुए एक लंबी सुरंग लगभग 100 मीटर लंबा व 2 मीटर चैडा का बना डाले हैं। उत्खनन कार्य से पहाड के उपर के जंगल कमजोर हो रहे हैं साथ ही जंगल के वन्य प्राणी दिन रात आम आदमी के उपस्थिति व वाहन के प्रवेष होने होने के कारण जंगल से बाहर अपना डेरा डालने विवष हो रहे हैं।
वन विभाग को नही जानकारी
इस संबध में बिजुरी वन परिक्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी से जब संपर्क कर अंकुश लगाने व कार्यवाही करने के बारे में पूॅछा गया तो उनका कहना था कि आप बता रहे हैं तो जान रहा हूॅ मुझे नही पता कोयला की खदान व वह स्थान क्या मेरे परिक्षेत्र में है य नही समय मिलेगा तो जाकर देखॅूगा। बहरहाल वन अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैया व मिलीभगत से जंगल के माफियाओं की बल्ले बल्ले है वे कानूनी भय से निश्चिंत हो जंगल में मंगल मना रहे ह ैअब देखना यह है कि वन विभाग के आला अधिकारी कब तक अपने संपदा के लगातार खनन पर रोक लगाने की कवायद कर पाते हैं।ं

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