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नव निर्मित पुल को संपर्क सड़क का इंतजार



तीन महीने से निर्माण कार्य ठप्प प्रशासन और तकनीकी अमले की लापरवाही कहीं रह न जाए पुल के उपभोक्ताओं के सपने अधूरे
राहुल तिवारी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ संवाददाता
रीवा(जवा) : प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क के डिहिया खुर्द से डोंडौ - सलैया तक बन जाने से बरसात के दिनों में तीसरी दुनिया के कहे जाने वाले छदहना डोडौ  पुर्वा बरदिया छिवलहा टड़हर आजाद पुर्वा बिहरिया सलैया खारा चटेह रंगपतेरा तुर्का रंगपतेरा कालोनी भटमोजरा तिलरी आदि गाँवों के लोगों को एहसास हुआ था की अब शासन ने हमें भी याद किया ।हम भी भारत के नागरिक हैं ।खुशी तब और बढ़ गई जब नदी बढने पर आवागमन वाधित होने से प्रताड़ित होने वालों को दिखा की उन्नति पुल के निर्माण शुरू हो गया है।परंतु पुल के बन जाने के बाद सड़क से सम्पर्क न जोड़े जाने से लोगों को एक धोखा जैसा लगने लगा।
जवा ब्लाक मुख्यालय से कई गाँवों को जोड़ने वाले डिहिया खुर्द से डोडौ सलैया सड़क के सुकाढ नदी पर लोगों की माँग पर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क के अमले ने बरसात में भी आवागमन जारी रखने के लिए उन्नति पुल का निर्माण कराया।तकनीकी अमले ने पुल निर्माण की स्वीकृति देते समय इस बात की चिंता नही की कि पुल को सड़क से जोड़ने के लिए सड़क को पुल के समनान्तर ऊँचा करने के लिए सरकारी जमीन है या नहीं ।सड़क पुल से जुड़ पायेगी या नहीं ।
पुल तो तीन महीने पूर्व बनकर तैयार हो गया परंतु जब ठेकेदार ने सम्पर्क सड़क बनाने का प्रयास किया तो पुल के दोनों किनारों के भूमि स्वामियों ने सम्पर्क सड़क बनाने से रोंक दिया ।जिस पर ठेकेदार ने काम बंद कर विभाग को सूचना देकर अपना तामझाम समेट लिया।तीन महीने से काम बंद होने के बाद भी शासन प्रशासन की चुप्पी से उक्त सड़क के उपभोक्ता  जनता में आक्रोश ब्याप्त है।
इस संबंध में जब हमारे जवा संवाददाता मनोज शुक्ला ने प्रस्तावित  सम्पर्क सड़क की भूमियों के भूमि स्वामियों से बात की तो उन्होंने कहा शासन भूमि लेती है तो हमें मुआवजा दे दे तो हम उक्त भूमि के जाने की भरपाई करने का प्रयास करें और सड़क शासन बनवा ले।
एसडीएम के के पाण्डेय से जब इस संबंध में प्रशासनिक पहल की जानकारी चाही गई की बरसात तक क्या पुल को सड़क से जोड़ा जायेगा ? क्या भूमि स्वामियों से प्रशासन ने सम्पर्क किया  है ?
इस पर एसडीएम ने कहा हमारी जानकारी में यह बात है हमने पटवारी को वास्तविक स्थिति की जानकारी लेने के लिए निर्देश दिया है।
अब सवाल उठता है की जहाँ लगभग दो करोड़ रुपए की लागत से पुल बनकर तैयार है ।सम्पर्क सड़क के लिए सरकारी भूमि नही है इसके बाद भी प्रशासन के आला अधिकारियों के पास समय नही है स्थल की हकीकत जानने के लिए ।क्या यह जनता के प्रति घोर उदासीनता नहीं है ? क्या विभाग और शासन पीड़ित कई गाँवों की आवाम के साथ धोखा नही कर रहा ? आखिर कौन ठहराया जायेगा जिम्मेदार  ?

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