SATNA NEWS : गैवीनाथ धाम में मासिक शिवरात्रि पर उमड़ी भक्तों की भीड़, हजारों श्रद्धालुओं ने टेका माथा
सतना। शिव आराधकों के लिए महाशिवरात्रि का बड़ा महत्व है। जिला मुख्यालय से 35 किमी. दूर स्थित गैवीनाथ धाम बिरसिंहपुर में अधिक मास के कारण अभिषेक पूजन के लिए रोजाना हजारों भक्त पहुंच रहे है। मासिक शिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ के भक्तों की आस्था देखते ही बनती है। बाबा की एक झकल पाने के लिए सतना, रीवा, सीधी सहित आसपास के भक्त प्रतिदिन पहुंचते है।
मंदिर में गैवीनाथ भगवान के स्नान के लिए अलसुबह 4 बजे से ही भक्तों की लाइनें लग जाती है। बारी-बारी से सभी भक्त भोलेनाथ का अभिषेक करते है। इसके बाद हवन-पूजन किया जाता है। दूर-दराज से आने वाले भक्त भगवान भोलेनाथ की कथा सुनते है। कई लोग बच्चों का मुंडन संस्कार के साथ भंडारा-प्रसाद बांटते है।
क्या है मासिक शिवरात्रि
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि को ही भगवान शिव -लिंगरूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि इसी समय ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पहली बार शिवलिंग का पूजन किया गया था। परंतु एक वर्ष में एक महाशिवरात्रि और 11 शिवरात्रियां पड़ती हैं, जिन्हें मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे।
चारोधाम का चढ़ता है जल
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां चारोधाम से लौटने वाले भक्त भगवान भोलनाथ के दर गैवीनाथ पहुंचकर चारोधाम का जल चढ़ाते है। पूर्वज बतातें है कि जितना चारोधाम में भगवान का दर्शन करने से पुण्य मिलता है। उससे कहीं ज्यादा गवौनाथ में जल चढ़ाने से मिलता है। लोग कहते है कि चारोधाम का अगर जल यहां नहीं चढ़ा तो चारोधाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
मंदिर में गैवीनाथ भगवान के स्नान के लिए अलसुबह 4 बजे से ही भक्तों की लाइनें लग जाती है। बारी-बारी से सभी भक्त भोलेनाथ का अभिषेक करते है। इसके बाद हवन-पूजन किया जाता है। दूर-दराज से आने वाले भक्त भगवान भोलेनाथ की कथा सुनते है। कई लोग बच्चों का मुंडन संस्कार के साथ भंडारा-प्रसाद बांटते है।
क्या है मासिक शिवरात्रि
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि को ही भगवान शिव -लिंगरूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि इसी समय ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पहली बार शिवलिंग का पूजन किया गया था। परंतु एक वर्ष में एक महाशिवरात्रि और 11 शिवरात्रियां पड़ती हैं, जिन्हें मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे।
चारोधाम का चढ़ता है जल
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां चारोधाम से लौटने वाले भक्त भगवान भोलनाथ के दर गैवीनाथ पहुंचकर चारोधाम का जल चढ़ाते है। पूर्वज बतातें है कि जितना चारोधाम में भगवान का दर्शन करने से पुण्य मिलता है। उससे कहीं ज्यादा गवौनाथ में जल चढ़ाने से मिलता है। लोग कहते है कि चारोधाम का अगर जल यहां नहीं चढ़ा तो चारोधाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
भोर से लग गई थी लाइन
मासिक शिवरात्रि को मंगलवार के दिन गैवीनाथ धाम बिरसिंहपुर में पुरुषोत्तम मास के कारण अच्छी खासी भीड़ रही। बाबा की एक झकल पाने के लिए सतना, रीवा, सीधी सहित आसपास के भक्तों का तांता लग गया। शिव सरोवर में भोर 3 बजे स्नान करने के बाद भगवान के दर्शन के लिए मंदिर का पट अलसुबह 4 बजे खोला गया। सबसे पहले भगवान की पूजा हुई फिर बाद में श्रद्धालुओं ने बारी-बारी से भोलेनाथ का अभिषेक किए। इसके बाद हवन-पूजन आदि का कार्यक्रम शुरू हो गया। दूर-दराज से आने वाले भक्त भगवान भोलेनाथ की कथा सुनी। कई लोग बच्चों का मुंडन संस्कार के साथ भंडारा-प्रसाद भी बांटे।
विंध्य क्षेत्र में प्रचलित
मंदिर के पुजारी की मानें तो महाशिवरात्रि के दिन विंध्यभर से भक्त पहुंचते है। इस तरह मलमास के माह में गैवीनाथ की पूजा का अपना एक महत्व है ही। वैसे तो हर सोमवार को हजारों भक्त पहुंचकर गैवीनाथ की पूजाकर मन्नत मांगते है। गैवीनाथ का प्रताप है कि यहां पर आने वाले हर एक भक्त की मनोकामना पूर्ण होती होती है।
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