सपाक्स एक क्रांति, एक नई उम्मीद की किरण, एक ताकत है सपाक्स
भोपाल : मध्यप्रदेश की जनता लम्बे समय से चाहती थी कि समाज का बुद्धिजीवी वर्ग नेतृत्व के लिए उठ खड़ा हो. अभी तक आम आदमी राजनैतिक दलों की स्थिति देख चुका है. सभी एक ही थैली के चट्टे- बट्टे लगते है. सपाक्स एक उम्मीद की किरण के रूप में दिखाई दे रही है. सभी दलों से उकता चुकी जनता सपाक्स को एक विश्वास के साथ परिवर्तन लानेवाले दल के रूप में इस नयी पार्टी से जुड़ रही है. यह पार्टी उन लोगों के नेतृत्व में खड़ी हो रही है जो राजनैतिक और प्रशासनिक दोंनो ही क्षेत्रों में अपनी पकड़ रखते है. ये वे लोग है जो अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ अपने कार्यकाल में दे चुके है. अब अपने अनुभवों को अपने कार्य का आधार बनाकर समाज के हित में उनके संरक्षक, उनके हितेषी बन कर प्रदेश तक केन्द्रित न रखते हुए एक ठोस धरातल पर उतारना चाहते है, ये वे लोग है जो ना केवल उच्च शिक्षित है बल्कि उच्चतम पदों पर रहकर अनुभवों से मंजे हुए है. प्रदेश का अगला विधानसभा चुनाव बेहद रोचक और रोमांचक हो सकता है. यह पार्टी उन लोगों ने बनायीं है जो समाज के सबसे बड़े वर्ग सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक के रूप में अब तक सभी राजनैतिक दलों से उपेक्षित महसूस कर रहा था.
आरक्षण की बैसाखियों को लेकर भारतीय लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाते सभी दल दलगत राजनीती में दलितों को अपना वोट बैंक बनाते आये है. जाति मुक्त भारत का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता जब तक समाज दो खांचों में बंटा रहेगा और इसके लिए जिम्मेदार वो लोग होंगे, जो कहते है कि कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ जो मध्यप्रदेश से आरक्षण को ख़त्म कर दे. सपाक्स कहता है हम है माई के लाल, हम जातिगत आरक्षण को ख़त्म करवा कर रहेंगे, हम आरक्षण के विरोधी नहीं है पर यह जाति आधारित नहीं होना चाहिए. यह आर्थिक आधार पर समाज के हर उस व्यक्ति को मिले जो इसका हकदार, विकास तब होगा. दलित समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए संविधान में खुद बाबा साहब ने सिर्फ दस साल दिए थे, जिसे खींचते खींचते आज समाज का सामान्य और पिछडा वर्ग एक उपेक्षा और निराशा के दौर में पहुँच गया है. सामान्य वर्ग को नौकरी नहीं, प्रमोशन नहीं, काबिल होने पर भी छात्रवृति नहीं, यह कैसा और किसका विकास कहा जायगा ? सपाक्स इन्ही सब सवालों के साथ आज आपके साथ है. इसलिए लोकप्रियता देखते देखते चोगुनी हो रही है क्योंकि यह हर दूसरे आदमी की चिंता से जुडी है. इसका बहुत कुछ श्रेय जाता है संगठन का ताना बाना बुननेवाले पूर्व आई.ए.एस., पूर्व सुचना आयुक्त श्री हीरालाल त्रिवेदी को. नेतृत्व वह योग्यता है जिसके द्वारा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए दूसरों को एक विशेष प्रकार से कार्य करने के लिए अभिप्रेरित किया जाता है। नेतृत्व करना एक ख़ास कला है, जो सामान्य व्यक्तित्व के अन्दर नहीं होती! श्रेष्ठतम लीडर वही बन पाता है, जो लोगों के दिलों पर राज करता है. श्री त्रिवेदी के साथ १२ से ज्यादा रिटायर्ड आई.ए.एस., आई.पी.एस.,वरिष्ठ पूर्व अधिकारी, कर्मचारी जुड़ते जा रहे है. यह दल मध्यप्रदेश में बहुत जल्दी उभरकर चुनौती देने वाला है.
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समाज का मतलब है सामान्य ना कि आरक्षित
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