किसानो की पुकार डीएपी उपलब्ध कराये सरकार
किसानो की पुकार डीएपी उपलब्ध कराये सरकार
अनूपपुर / प्रदीप मिश्रा - 8770089979
आदिम जाति सेवा सरकारी समित मर्यार्दित राजेन्द्रगाम मै डीएपी यूरिया खाद कि उपलब्धता नही होने से किसानो को परेषानी का सामना करना पड़ रहा है,आये दिन किसान सहकारी समितियो के चक्कर लगाते देखे जा रहे है खरीफ की बोनी का सीजन अपने चरम पर है ऐसे में खाद का सहकारी समितियो में उपलब्ध न होना किसानो के लिये चिन्ता का विशय बना हुआ है खरीफ की बोनी में डीएपी खाद की आवष्यकता पड़ती है डीएपी में मौजूद फासफोरस बीज के साथ ही खेतो में डाला जाता है इसी लिये बीज बोनी के समय ही डीएपी खेतो में डाली जाती है डीएपी की पर्याप्त उपलब्धता नही होने से किसानो को खरीफ की बोनी में पिछड़ना पड़ रहा है वैसे तो सरकार दावे करती है कि किसान की आय दो गुनी कर दी जायेगी लेकिन वास्तविकता पर आकर यदि देखा जाये तो जिस डीएपी को 15 जून के पहले सहकारी समितियों के गोदामो में होना चाहिये जिसका सरकार द्वारा दावा किया जाता है वह डीएपी पर्याप्त मात्रा में आज दिनांक तक उपलब्ध नही है और इसकी बानगी राजेन्द्रग्राम में देखने को मिली जहां सैकड़ो किसान डीएपी के लिये लाईन लगाये खड़े थे और सहकारी समिति के संचालक आराम फर्मा रहे है किसानो की हितैसीे सरकार कहने के दावे को खोखला साबित करती है आधुनिकता के इस दौड़ में किसान भी डीएपी यूरिया जैसे रसायनिक खादो का स्तेमाल करने का आदी हो चुका है कारण साफ है किसी भी माध्यम से किसान अपनी आय बड़ाने की कोषिस करता है लगातार हो रहे रासायनिक खादो के स्तेमाल से भूमि बंजर होती जा रही है प्कृति रूप से मौजूद फसलों के लिये आवष्यक तत्व रसायनिक खादो के स्तेमाल से कम होते जा रहे है किसान की मजबूरी है कि आज किसानो को रासायनिक खाद का स्तेमाल करना पड़ रहा है
एस डी एम निवास पर पहुंची किसानो की भीड़
पुष्पराजगढ़ एसडीएम बालागुरू के. के निवास पर आज किसानो की भीड़ पहुची किन्तु एसडीएम के अपने निवास पर नही होने से किसान मायूस होकर लौट गये हमारे संवाददाता द्वारा पूछे जाने पर आदिवासी ग्रामीण किसानो का दर्द सामने आया किसानो ने सरकार को जमकर कोसा और बताया कि पिछले 10-15 दिवस से डीएपी खाद के लिये भटक रहे है कभी खाद की उपलब्धता नही होती तो कभी खाद वितरण करने वाला स्टाप उपलब्ध नही होता खरीफ की बोनी का सीजन चल रहा है क्षेत्र की पहचान माने जाने वाली फसल धान की बुवाई लगातार पिछड़ती जा रही है राजेन्दग्राम क्षेत्र में अधिकांष जगह सिंचाई की व्यवस्था नही होने के कारण बारिस के पानी पर निर्भरता रहती है बुवाई का समय जैसे जैसे पिछड़ता जा रहा है उसका असर फसल की उत्पादन में हो रहा है ग्रामीण किसानो ने बताया कि हमें सूचना देकर आज डीएपी दिये जाने के लिये बुलाया गया था सुबह से हम कतार में खड़े होकर 12 बजे तक अपनी बारी का ईन्तजार करते रहे बारी आना तो दूर गोदाम का ताला भी नही खोला गया मजबूर होकर हम सब ईसकी षिकायत माननीय एसडीएम साहब से करने गये थे लेकिन हम गरीब किसानो से वे भी न मिल सके यह तो भगवान ही जाने कि वो घर थे य नही हम तो सिर्फ इतना जानते है न हमे खाद मिली और न साहब
खाद के कालाबजारी के लग रहे आरोप
अक्सर देखा गया है कि सहकारी समितियो के माध्यम से बिकने वाले खाद ठीक उसी वक्त गोदामो में नही रहते जब उक्त खाद की किसानो को आवष्यकता होती है फासफोरस डीएपी जैसे खाद बीज बोनी के समय स्तेमाल किये जाते है ये खाद सरकारी आकड़ो में साल भर गोदामो में उपलब्ध रहते है लेकिन जैसे ही इनकी आवष्यकता होती है किसानो को पर्याप्त मात्रा में नही मिल पाता अभी बोनी का सीजन चल रहा है यूरिया की आवष्यकता न के बराबर है और सरकारी गोदाम यूरिया से भरे पड़े है बोनी के 30 दिन बाद जब यूरिया की आवष्यकता होगी डीएपी की तरह समय पर वो भी नदारद रहेगी यह बात समझ से परे है कि समय पर उपयोगी खाद के लिये किसानो को भटकरना क्यू पड़ता है,क्या सरकार कालाबजारियो को जानबूझ कर अपनी खाद बेचने का समय देती है क्या समय पर खाद की उपलब्धता नही होने पर किसानो की आय दोगुनी हो जायेगी क्या यह किसान हितैसी व्यवस्था है आज एक परेषान किसान केषव प्रसाद गुप्ता ग्राम बसनिहा के निवासी ने लैम्पस प्रबंधक आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित राजेन्दग्राम के उपर कालाबजारी करने का आरोप लगया केषव प्रसाद का कहना था कि खाद वितरण जानबूझ कर लेट किया जाता है ताकि परेषान होकर किसान बजार से ज्यादा रेट पर खाद लेने को मजबूर हो जाये और कालाबाजारी कर किसान के लिये आई खाद को अधिक दाम पर व्यापारियो को बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त करते है जबकि यह गैर कानूनी है पर हम गरीब किसान की सुनने वाला कोई नही है
केसीसी का नही मिल रहा लोन, काहे का जीरो प्रतिषत
केसीसी के माध्यम से जब लोन व खाद दिया ही नही जा रहा तो सरकार द्वारा जीरो प्रतिषत किसानो को दिये जा रहे लोन की भूमिका पर सवाल खड़ा होता है एक तरफ मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान जीरी प्रतिषत ब्याज पर लोन उपलब्ध कराने की बात कहना नही भूलते लगातार किसान हितैसी सरकार बताने का प्रयास करते है वही दूसरी तरफ अनुपपुर जिले के पुश्पराजगढ़ तहसील में स्थित आठो लैम्स में न तो केसीसी के माध्यम से लोन दिया जा रहा न तो केसीसी के माध्यम से खाद दिया जा रहा है ऐसे में सरकार की कथनी और करनी में अन्तर साफ दिखाई देता है किसानो को जब पैसो की सर्वाधिक आवष्यकता है तब न तो उसे पैसा मिल रहा न ही खाद ऐसे में सरकार द्वारा जीरी प्रतिषत पर कर्ज दिये जाने की बात बेमानी साबित होती है अन्य दाता कहे जाने वाले किसान दर दर की ठोकरे खाता घूम रहा है उस किसान की सुध किसी को नही है इसी किसान के नाम पर आगामी चुनाव लड़े जायेंगे किसान हित की अनगिनत घोसणाये होंगी बड़ी बड़ी बाते की जायेंगी कागजी आकड़ो पर हजारो लाखो किसानो को खुषहाल बताया जायेगा पर हकीकत में देखा जाये तो किसान को यदि समय पर कोई पैसे उपलब्ध कराता है तो वह गैरकानूनी तरीके से कार्य करने वाला साहूकार ही है किसान की मुसीबत यही खत्म नही होती ये साहूकार भी कर्ज पर इतना ब्याज लगा देते है कि जिन्दगी भर किसान उबर ही नही पाता है ऐसे में किसे सही कहा जाये किसे गलत ये दूर की बात है पर जो बात साफ दिखाई देती है वह यह है कि किसान परेषान है परेषान था और ऐसी ही लफबाजी चलती रही तो किसान परेषान ही रहेगा।
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