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सपाक्स एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौपेगा राष्ट्रपति को, पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने सहित कई प्रमुख हैं मांग



भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करने, अन्य पिछड़ा वर्ग के समान अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए भी क्रीमिलेयर लागू करने, अजा-जजा अत्याचार निवारण अधिनियम में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश यथावत रखने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सपाक्स द्वारा एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति जी को सौंपा जायेगा. प्रदेश के जिलों में सपाक्स कार्यकर्ताओं द्वारा आम लोगों के हस्ताक्षर लेने का अभियान 14 जुलाई से पूरे प्रदेश में शुरू किया जा रहा है. 

सपाक्स के सरंक्षक हीरालाल त्रिवेदी ने बताया कि यह हस्ताक्षर अभियान प्रदेश के सभी जिलों में अन्दर ग्रामीण क्षेत्रों तक एक माह के लिए चलाया जायेगा. ये हस्ताक्षर एक रजिस्टर पर लिए जायेंगे. इसी के साथ जन-जन को सपाक्स की विचारधारा से अवगत कराया जायेगा. साथ ही सदस्यता अभियान चलाकर अधिक से अधिक लोगों को संगठन से जोड़ा जायेगा.

यह अभियान 14 अगस्त तक चलेगा. माह के दौरान पूरे प्रदेश से एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर कराये जायेंगे. अभियान को सफल बनाने की लिए जिला स्तर पर दलों का गठन किया गया है. 

श्री त्रिवेदी ने बताया कि ज्ञापन में महामहिम से निवेदन किया गया है कि हम भारत के लोग आपसे प्रार्थना करते है कि भारत के संविधान में निहित स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श को संकट में देखकर हम चिंतित है. महोदय,  राजनैतिक लाभ के लिए संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों को निरंतर शिथिल किया जा रहा है. सामाजिक न्याय के नाम पर समृद्ध हो चुके लोगों का अभिजात्य वर्ग मात्र ही सभी विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए वास्तविक निर्धन लोगों तक असंवेधानिक प्रावधानों का लाभ पहुचने में दीवार बनकर खड़ा है और समस्त लाभ स्वयं ही हड़प रहा है.
महोदय, इस देश में स्वतंत्रता के बाद से लागू आरक्षण की व्यवस्था का दायरा निरंतर बिना किसी समीक्षा के बढाया जाता रहा है जबकि एक बड़ा वर्ग आज भी इसके लाभ में वंचित है. वर्तमान व्यवस्था ही ऐसी है की इसका सम्पूर्ण दोहन मात्र कुछेक लोग ही बार-बार पीढ़ियों से कर रहे है. योग्यता एक अभिशाप हो चुकी है और देश में अपनी उपेक्षा के कारण विदेश पलायन को मजबूर है. 

महोदय, आपसे हम यह मांग करते है कि-
1. पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था पूर्णरूप से समाप्त की जावे.
2. अन्य पिछड़ा वर्ग की भांति अनुसूचित जाति - जनजाति के लिए भी क्रिमिलयेर लागू हो.
3. एट्रोसिटी एक्ट में मान. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश यथावत लागू हो.
4. जिन लोगों ने मान. न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के लिए देश की संपत्ति को हानि पहुंचाई , उन पर कड़ी कार्यवाही की जावे.
5. इस देश में शिक्षा का समान अधिकार लागू है , तदनुरूप शिक्षा में भेदभाव पूरी तरह बंद हो.


हमारा आपसे निवेदन है की उपरोक्तानुसार संविधान सम्मत व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु तत्काल दखल देंवे.

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