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बिजली तो नहीं पहुंची लेकिन पहुॅच रहे है बिल



नीरज केशरवानी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ संवाददाता
अनूपपुर : जिला मुख्यालय अनूपपुर से 40 कि.मी. दूर ग्राम पंचायत कदमसरा के डोकरी कछार गाॅव में आज भी देश की आजादी के 68 वर्ष बीत जाने के बाद भी विकास की डगर से कोसो दूर है। जहाॅ एक ओर गाॅव की आबादी लगभग 50 से 60 लोगो के गोड़ जनजाति सुमदाय की है,आज भी ग्राम के लोग मूलभूत आवश्यकतों कोउ तरस रहे हैं। वही आज भी गाॅव आजादी के इतने वर्षो के बाद भी विकास कर बाट जोह रहा है। गाॅव में रहने वाले गरीब आदिवासी हाड़ तोड मेहनत कर दो वक्त का भोजन नही कर पाता है। सरकारी उपेक्षा व शासकीय संसाधनो के अभाव एवं अधिकारियों व नेताओं के आगे अपनी समस्या रखते-रखते वो अपने को अब ठगा महसुस कर रहे है। जहाॅ एक ओर गाॅव के विकास लिये किये गये वादो सिर्फ चुनावी जुमला ही बन कर रह जाते है। वही जनता बस उनके कोरे आश्वसनों को सिर्फ याद करती रह जाती है। जहाॅ एक ओर आजादी के इतने वर्षो के बाद भी ग्रामीणों की जीवन शैली में कोई बदलाव नही आया । आज भी इस बारिस के इस मौसम में आज भी गाॅव पहुॅचने का वही कच्चा कीचढ़ युक्त रास्ता,वही लालटेन के सहारे जिंदगी गुजर बसर करते लोग,वही मजदूरी रोजगार के लिये गाॅवों से पलायन करते युवा।






बस पहुॅच रहे है बिजली बिल
वेंकनगर से 2 से 3 कि-मी- दूर ग्राम पंचायत कदमसारा के अतगर्त  आने वाले ग्राम डोकरीकछार के लोगो आज भी सड़क,बिजली,पानी,स्वास्थ्य जैसी सुविधा के लि, तरस रहे है। जहॅा आज भी डोकरी कछार में रहने वाले लग पक्का सडको को में चलने के लिये, मोहताज है। जहाॅ आज भी इन गाॅव में जाने का रास्ता वही पुराना कच्चा उबड़-खबड़ व पंगडंडीनुमा कीचढ़ युक्त सड़क में चलने को वर्षो से मजबूर हो रही है। जहा एक ओर आजादी 68 साल बीत जाने के बाद भी इन गाॅव में न तो बिजली पहुॅची न ही पक्की सड़क और नही बिजली बस इन दिनों सरकारी अधिकारियों के लापरवाही से बिजली के बिल समय पर पहॅुच रहे।हमारी तो कई पुस्ते निकाल गई लेकिन हमारे गाॅव में बिजली नही आई लेकिन ये पहली बार बिजली के बिल जरूर आ गये। देश के प्रधानमंत्री जी ने जहाॅ सारे देश के गाॅवों मजार टोलों में बिजली पहुचने की बात कही वही आज भी डोकरी कछार जनजाति बहुल गा्रम में बिजली के खंबे तक नही पहुॅच पाये,वही सरकारी अधिकारी आज भी प्रधानमंत्री जी हर गाॅवों से बिजली पहुॅचने की योजना में पतीला लगाने से बज नही आ रहे है।

 



बिजली के अभाव मे दम तोड़ते नजर आते लोग रोजी-रोजगार के लिये पलायन को मजबूर
वही डोकारी कछार के लोगो आज भी चिमनी और लालटेन के सहारे जीवन यापन करने को मजबूर है , जहाॅ आजादी के इतने वर्षो के बाद भी बिजली,पानी व सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वाचिंत व उपेक्षित है। जहाॅ एक ओर गाॅव में सड़क व बिजली के अभाव में लोगो सारे काम प्रभावित हो रहे है,वही रही सही खेती व कृषि का काम रहा वो भी इन दिनों बिजली के अभाव में दम तोड़ती नजर आ रही है,जहाॅ एक ओर पूर्व में सूखे,भूखमरी व रोजगार के अभाव में गाॅव की नई पीढ़ी पलायन करती चली आ रही है,वही खेती बाड़ी की हाड़ तोड़ मेहनत और संसाधनों के अभाव में उत्पादन में कमी होने से क्षे़त्र के रहवासी व्यथीत एवं चिंचित है। जहाॅ क्षेत्र में रोजगार का एक मात्र साधन खेती व इससे लगे कार्य ही बचे थे है,वही कृषि के क्षेत्र में पिछडने व क्षेत्र में समुचित संसाधन में अभाव में क्षेत्र नवयुवा रोजगार अपने जीवन यावन के लिये अन्यत्र क्षेत्रों में जाने के लिये मजबूर हो रहे है।

इनका कथन
गाॅव में आज भी बिजली नहीं आई है,वही रोजी रोजगार के साधन न होने सेे क्षेत्र के सारे युवा अपने परिवार का पेट पालने के लिये गाॅव से बाहर जाने के लिये मजूबर हो गये है।
जमुना गोड़,ग्रामीण डोकरी कछार

हमारी तो कई पुस्त बीत गई साहब हम लोगों तो किसी तरह अपने बच्चों का पेट पाल लिये,लेकिन आज के इस दौर में अन्य जरूरते लगी रहती है,मेरे दो बच्चे खुद ही अपने परिवार चलाने के लिये गाॅव छोड़कर ड्रायवरी कर रहे है।
शंभु गोड़,ग्रामीण डोकरी कछार

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