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पिछड़ा वर्ग को साथ लाने की कवायद में अजाक्स, सपाक्स ने साधा निशाना




भोपाल । एक्ट्रोसिटी एक्ट में फिर से संसोधन के मामले के तूल पकड़ते ही आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों का संगठन अजाक्स पिछड़े वर्ग को साधने में जुट गया है।  अजाक्स ने पिछड़े वर्ग के साथ एक संयुक्त मोर्चे के गठन किया है। मोर्चा ने एलान किया है कि जो भी राजनीतिक-सामाजिक संगठन आरक्षण का विरोध करेगा, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उन्हें वोट नहीं देंगे।

राजधानी में शनिवार को प्रेसवार्ता में मोर्चा पदाधिकारियों ने सपाक्स को संविधान विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि आरक्षण संविधान प्रदत्त अधिकार है जिसका विरोध करना संविधान का विरोध है। 

अजाक्स संघ में पहली बार खुल कर पिछड़ा वर्ग की वकालत की है। संघ के महासचिव एस एल सूर्यवंशी ने कहा कि पिछडो को जनसंख्या के अनुपात में सीधी भर्ती और पदोन्नति में 52 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा प्रदेश में दो सौ विधानसभा सीटों पर आरक्षित वर्ग के सर्वाधिक मतदाता है। वहाँ से आरक्षण का विरोध करने वालों को वोट नहीं मिलेंगे।

सपाक्स ने साधा निशाना







वही सपाक्स समाज के अध्यक्ष के एल साहू ने कहा की अजाक्स के नाम में ही ओबीसी या पिछड़ा नहीं है। कोई पदाधिकारी पिछड़े वर्ग का नहीं है, पिछडा और अल्पसंख्यक वर्ग के लोग आजाक्स के सदस्य नहीं बन सकते है। केवल वो ही पिछड़े इसके सदस्य बनते है जो कुछ जिलो में SC में आते है तो कुछ जिलो में ओबीसी में आते है। आजाक्स आज तक किसी पिछड़े वर्ग के साथी के हितार्थ कोई कार्य नहीं किया है। प्रमोशन में आरक्षण की मलाई 2002 से खा रहे थे तब पिछड़े की याद नही आई, एट्रोसिटी एक्ट में सबसे अधिक पीड़ित ओबीसी वर्ग है, तब किसी ओबीसी साथी का साथ नहीं दिया तब केवल एट्रोसिटी एक्ट का समर्थन किया। भिंड में प्रधानाध्यपक श्रीमती अर्चना सोनी पर एट्रोसिटी एक्ट आजाक्स के दवाब में ही लगवाया गया। आजाक्स और भीम सेना ने ही थाने का घेराव और प्रदर्शन किया था। 2 अप्रैल को भारत बंद के समय हमारे देवी देवताओं को अपमानित किया गया तब ये आजाक्स संगठन ने विरोध क्यों नही किया। उनके ही सदस्य हमारे देवी देवताओं, धार्मिक ग्रंथों को तोड़फोड़ रहे थे, , देवी देवता तो सभी के है। आजक्स वालो के कारण ही ओबीसी वर्ग को 24 प्रतिशत की जगह मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है क्योकि आजाक्स वाले 10 प्रतिशत अधिक आरक्षण लिए हुए है।

इसके उलट सपाक्स का पिछड़ा वर्ग अहम हिस्सा है, सपाक्स समाज के प्रांताध्यक्ष डॉ साहू ( सेवा निवृत्त संचालक स्वस्थ) श्री अभिषेक सोनी( प्रंताध्यक्ष सपाक्स युवा संगठन), सपाक्स छात्र संगठन प्रंताध्यक्ष श्री विक्की शर्मा (कारपेंटर) तीनो पिछड़े वर्ग से है।

प्रदेश में कंही भी एट्रोसिटी एक्ट कायम हुआ चाहे वो ओबीसी पर हो या किसी पर सपाक्स वहाँ पहुच कर पूरी मदद किया। भिंड में अर्चना सोनी की गिरफ्तारी न होने पाए इसके लिए सपाक्स संरक्षक श्री त्रिवेदी जी स्याम घटना के अगले दिन भिंड SP और कलेक्टर को ज्ञापन देकर जाँच किये जाने तक गिरफ्तारी नही करने के लिए आवेदन दिया। अब आप ही सोचिये कौन किसके साथ है और कौन बरगला रहा है।


सपाक्स समाज अध्यक्ष के एल साहू द्वारा दी गई जानकारी...

1). 1 आरक्षण देने की न्याय संगत व्यवस्था नहीं की गई है मध्यप्रदेश के परिपेक्ष्य मे ST की जनसंख्या 20% को शत प्रतिशत आरक्षण 20%, SC की जनसंख्या 16% को शत प्रतिशत आरक्षण 16%, तथा ओबीसी की जनसंख्या 45% को आरक्षण मात्र 14% दिया गया है। यदि ईमानदारी से आरक्षण देना ही था तो सभी को अनुपातिक रूप से 50% 50% आरक्षण अर्थात SC को 8%, ST को 10% तथा ओबीसी को 23% एवं शेष सामान्य को दिया जा सकता था लेकिन यहां भी ओबीसी का हक SC ST द्वारा छीना जा गया है।

2). इसके अतिरिक्त जो 50% पद बचे वह सामान्य ओबीसी,अल्पसंख्यक मात्र के होने चाहिए लेकिन यहां भी सामान्य ,ओबीसी एवं अल्पसंख्यक ना करते हुए इन्हें अनारक्षित शब्द दिया गया जिसमें SC ST का मेरिट वाला बच्चा तथा अन्य प्रदेशों के SC ST तथा अन्य अभ्यर्थी भी स्थान ग्रहण करते हैं जो कि  सामान्य और ओबीसी के साथ अन्याय है।

3). OBC एवं अल्पसंख्यक वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ नही मिलता है सरकार यह भ्रम फैला रही है कि ओबीसी को भी पदोन्नति में आरक्षण देगी संविधान में पदोन्नति में आरक्षण के प्रावधान अनुच्छेद 14 में संविधान संशोधन से किए गए हैं जिसमें केवल SC ST को ही प्रावधान है वह भी 1995 से लगातार सुप्रीम कोर्ट द्वारा अमान्य किया जा रहा है।

4). OBC एवं अल्पसंख्यक  वर्ग पर भी SC/ST अट्रोसिटी एक्ट लागू होता है सबसे ज्यादा मामले OBC के खिलाफ ही है।

5). OBC एवं अल्पसंख्यक वर्ग को लोकसभा की 131 और विधानसभा की 1161 आरक्षित सीटो में भी आरक्षण का लाभ नही मिलता है*

6). OBC वर्ग पर क्रीमी लेयर लागू है मतलब आरक्षण आर्थिक आधार पर मिल रहा न कि जातिगत आधार पर।

7). 2 अप्रैल को sc st द्वारा आयोजित भारत बंद के समय sc st लोगो द्वारा हिन्दू देवी देवताओं का अपमान किया गया, देवी देवता की कोई जाति नही है वो सभी हिन्दुओ के लिए पूज्य है, किन्तु देवी देवताओं का अपमान करते वक्त sc st ने कभी ओबीसी भाइयो के धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखा, शायद नहीं।

8). शासन की रोजगार संबंधी, बैंकों में ऋण संबंधी ,शिक्षा, हॉस्टल, स्कॉलरशिप, कोचिंग, विदेशों में पढ़ाई इत्यादि समस्त योजनाएं एससी एसटी वर्ग के लिए हैं ओबीसी के लिए बहुत ही कम योजनाएं हैं।

9). ओबीसी को पदोन्नति में आरक्षण देने का लॉलीपॉप दिया जा रहा है संविधान में अनुच्छेद 14 (क) में पदोन्नति में आरक्षण केवल एससी और एसटी के लिए ही संशोधन कर जोड़ा गया है जिसे लगातार चैलेंज किया जा रहा है और इसके विरुद्ध में कई निर्णय आ चुके हैं तो फिर ओबीसी को पदोन्नति में आरक्षण कैसे दिया जाएगा यह सोचने का विषय है।

10). आजाक्स के नाम में भी ओबीसी या पिछड़ा या अल्पसंख्यक नहीं है, कोई पदाधिकारी पिछड़े वर्ग का नहीं है, पिछड़े वर्ग के लोग आजाक्स के सदस्य नहीं बन सकते है,  केवल वो ही पिछड़े इसके सदस्य बनते है जो कुछ जिलो में sc में आते है तो कुछ जिलो में ओबीसी में आते है,आजाक्स आज तक किसी पिछड़े वर्ग के साथी के हितार्थ कोई कार्य नहीं किया है, प्रमोशन में आरक्षण की मलाई 2002 से खा रहे थे तब पिछड़े एवं अल्पसंख्यक की याद नही आई, एट्रोसिटी एक्ट में सबसे अधिक पीड़ित ओबीसी वर्ग है, , तब किसी ओबीसी साथी का साथ नहीं दिया आजक्स वालो के कारण ही ओबीसी वर्ग को 24 प्रतिशत की जगह मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है क्योकि आजाक्स वाले 10 प्रतिशत अधिक आरक्षण लिए हुए है।

11). इसके उलट सपाक्स का पिछड़ा वर्ग अहम हिस्सा है, सपाक्स समाज के प्रांताध्यक्ष डॉ साहू ( सेवा निवृत्त संचालक स्वस्थ) श्री अभिषेक सोनी( प्रंताध्यक्ष सपाक्स युवा संगठन), सपाक्स छात्र संगठन प्रंताध्यक्ष श्री विक्की शर्मा ( कारपेंटर) तीनो पिछड़े वर्ग से है। प्रदेश में कंही भी एट्रोसिटी एक्ट कायम हुआ चाहे वो ओबीसी पर हो या किसी पर सपाक्स वंहा पहुच कर पूरी मदद किया, , भिंड में अर्चना सोनी की गिरफ्तारी न होने पाए सपाक्स संरक्षक श्री त्रिवेदी सर स्वयम घटना के अगले दिन भिंड SP और कलेक्टर को ज्ञापन देकर जाँच किये जाने तक गिरफ्तारी नही करने के लिए आवेदन दिया।

तो फिर OBC वर्ग को  SC/ST वर्ग के साथ जोड़ना वास्तव में ओबीसी साथियो को भ्रमित करने का प्रयास मात्र है आज पिछड़ा समाज जाग चूका है सभी अच्छे बुरे से वाकिफ है, यही कारण है सपाक्स समाज द्वारा 6 सितम्बर को आयोजित बंद कार्यक्रम में सामान्य,पिछड़ा और अल्पसंख्यक तीनो समुदाय की सक्रीय सहभागिता रही है और बंद को अभूतपुर्व समर्थन मिला है।

खुद OBC अल्पसंख्यक वर्ग को विचार करना चाहिये की कौन उनको भ्रमित कर रहा है और कौन उनको बरगलाकर अपने फायदे के लिए दुरुपयोग करने का प्रयास कर रहा है।


अब देखना होगा दोनों संगठनों में से आगे किसका पड़ला भारी पड़ता है। एक तरफ सपाक्स (सामान्य,पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग) के लोग राजनेताओं से नाराज चल रहे है और उन्हें वोट न देने की प्रतिज्ञा एवं पोस्टर लगा कर बैठे है वही अब अजाक्स भी सवर्ण नेताओं को वोट न देने की अपील कर रहा है।

1 comment

baba said...

Me sapax ke sath hu me obc mahasabha ka virodh isliye karta hu kyoki ye apne liye kamai ka sadhan dhundh rahe hai

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