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क्या आप सपाक्स के बारे में जानते है ये बातें, अगर नहीं तो जरूर पढ़िए...


 

सपाक्स क्यों गठित हुआ?
मप्र पदोन्नति नियम २००२, जो गैरसंवैधानिक हैं और वर्ग विशेष के पक्ष में रचे गए हैं, के विरोध के लिए। लेकिन अब संस्था हर उस विषय के विरुद्ध संघर्ष करती है जो किसी शासकीय सेवक को अनावश्यक प्रताड़ित करता हो या शासकीय कर्मियों के एक बड़े वर्ग को प्रभावित करता हो।


सपाक्स कितने सदस्य हैं और किस वर्ग के?
१ लाख से अधिक। वर्ग-१ से लेकर वर्ग -४ तक। कोई भी शासकीय सेवक संस्था सदस्य हो सकता है। वार्षिक सदस्य (शुल्क रू १०/ प्रति वर्ष), आजीवन सदस्य (शुल्क रू १००/ एक बार) अथवा संरक्षक सदस्य (शुल्क रू १०००/ एक बार)।


सपाक्स की विचारधारा क्या है?
सपाक्स वर्तमान आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की मांग करता है। सपाक्स जातिगत आधार पर आरक्षण के स्थान पर आर्थिक आधार पर सभी वर्गों को आरक्षण का पक्षधर है। इस व्यवस्था से वास्तविक वंचितों के अधिकार सीमित कर कुछेक लोग ही अपना और अपने परिवार का भला कर रहे हैं। सपाक्स अनुसूचित जाति/ जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था में अन्य पिछड़ा वर्ग की तरह क्रीमीलेयर की अवधारणा चाहता है। सपाक्स समाज को जातिवाद के जहर से बचाने के लिए सभी प्रकार की जाति आधारित सुविधाओं का विरोध करता है। सभी वंचितों को लाभान्वित करने का आधार केवल और केवल आर्थिक होना चाहिए।

सपाक्स के द्वारा कौन से कोर्ट केस लड़े गए और क्या नतीजे रहे?
सपाक्स द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के गैर संवैधानिक नियमों के विरुद्ध पहले मप्र उच्च न्यायालय में एवम् पश्चात सर्वोच्च न्यायालय में विभिन्न याचिका कर्ताओं को विधिक सहायता दी गई है। (संस्था के नाम से अभी कोई प्रकरण नहीं है।) मप्र उच्च न्यायालय से दिनांक ३० अप्रैल २०१६ को मप्र पदोन्नति नियम 2002 खारिज कर दिए गए और इन नियमों का लाभ लेकर पदोन्नत अनु.जाति/ जनजाति के कर्मियों को पदा वनत करने के आदेश दिए गए। वर्तमान में इस निर्णय के विरुद्ध मप्र शासन द्वारा मान सर्वोच्च न्यायालय में की गई अपील के विरोध में संस्था लड़ रही है। अभी प्रकरण पर अंतिम निर्णय नहीं आया है।

सपाक्स किस संरचना से काम करता है?

सपाक्स के मूलत: ३ स्तर है। १. प्रांत स्तरीय कार्यकारिणी २. जिला स्तरीय कार्यकारिणी ३. विकासखंड/ तहसील स्तरीय कार्यकारिणी। इसके अतिरिक्त प्रांत/ संभाग स्तर पर विभागीय कार्यकारिणियां भी कार्यरत हैं।

सपाक्स अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम २०१८ का विरोध क्यों करता है?
सपाक्स मान सर्वोच्च न्याया लय द्वारा दी गई इस व्यवस्था का समर्थक है कि बगैर जांच न तो कोई एफ आई आर होगी न गिरफ्तारी। इस निर्णय के विरोध में केंद्र सरकार लाए गए संशोधन का सपाक्स विरोध करती है। यह स्पष्ट हो चुका है कि इस कानून का बेहद दुरुपयोग किया जा रहा है और इससे सर्वाधिक प्रताड़ित अन्य पिछड़ा वर्ग हुआ है। मप्र हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने अध्ययन में पाया कि पंजीकृत प्रकरणों में से ७५% झूठे थे और कुल दर्ज प्रकरणों में से ८०% अन्य पिछड़ा वर्ग थे।


सपाक्स अचानक राजनैतिक क्यों हुआ?
सपाक्स एक शासकीय कर्मियों की पंजीकृत संस्था है और नियमानुसार न तो किसी राजनैतिक गतिविधि में सम्मिलित हो सकती है, न ही है। सपाक्स पार्टी एक राजनैतिक दल है, जो सपाक्स के मुद्दों से सहमत है। लेकिन दोनों अपने आप में स्वतंत्र हैं। वास्तव में इसे सपाक्स वर्ग के समाजों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर असंतोष के कारण खड़ा किया गया है।

सपाक्स दूसरे राजनैतिक दलों से कैसे अलग है?
सभी राजनैतिक दल किसी न किसी वर्ग की भावनाओं को उभार कर अपना अस्तित्व लिए हैं। भाजपा का आधार सवर्ण हैं, सपा का पिछड़ा वर्ग, बसपा का दलित! कांग्रेस स्वतंत्रता के बाद एकमात्र दल माना जाता रहा जहां सबको प्रतिनिधित्व मिलने की धारणा थी। कालांतर में यह मुस्लिम तुष्टिकरण से अछूता न रहा। सपाक्स एक ऐसा दल है जो संविधान की मूल भावना के अनुसार सबकी समानता की बात करता है न कि जाति/ वर्ग/ धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव की। आज भेदभाव का सबसे बड़ा कारण आर्थिक असमानता है न कि जाति/ धर्म या वर्ग। सपाक्स आर्थिक आधार पर विभिन्न योजनाओं से उनके उत्थान की बात करता है जो गरीबी के कारण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

क्या सपाक्स किसी राजनैतिक दल का समर्थन करता है....या चुनाव बाद करेगा?
सपाक्स शासकीय कर्मियों का संगठन है। शासकीय कर्मी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार की नीतियों का क्रियान्वयन करते हैं। लेकिन संगठन भारतीय संविधान से हटकर बने नियमों/ कानूनों का विरोध करता है और इसके लिए उन उचित रास्तों पर आगे बढ़ता है जो पूर्ण संवैधानिक हों। संस्था निश्चित रूप से उन सभी राजनैतिक दलों और संस्थाओं से सहयोग की अपेक्षा रखता है जो संस्था की न्यायपूर्ण मांगों का समर्थन करते हों।
 

सपाक्स अचानक राजनैतिक क्यों हुआ?
सपाक्स एक शासकीय कर्मियों की पंजीकृत संस्था है और नियमानुसार न तो किसी राजनैतिक गतिविधि में सम्मिलित हो सकती है, न ही है। सपाक्स एक बड़े वर्ग के साथ हो रहे अन्याय को लेकर सरकार से लगातार विसंगतियां दूर करने अनुरोध कर रही है। सरकार ने अन्याय दूर करने की बजाय मान उच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक पदोन्नति नियम खारिज करने के निर्णय को न मानते हुए मान सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। संस्था ने सरकार द्वारा न्याय की लगातार अवहेलना को देखते हुए इस भेदभाव के प्रति जनता को जागरूक किया तथा एक नए संगठन "सपाक्स समाज संस्था" का जन्म हुआ। इस संगठन ने सरकार का ध्यान इस ओर खींचा कि सिर्फ शासकीय सेवा ही नहीं सभी अन्य क्षेत्रों चाहे शिक्षा हो, रोजगार या व्यवसाय सभी जगह जातीय भेदभाव की योजनाएं हैं और इस वर्ग से योग्यता के बावजूद अवसर छीने जा रहे हैं। सभी राजनैतिक दल अपने लिए सत्ता सुनिश्चित करने की खातिर सिर्फ और सिर्फ तुष्टिकरण का काम करते हैं। यहां तक कि संविधान की न्यायालयीन व्याख्या को ताक पर रखकर, जैसा एस सी/ एस टी एक्ट के साथ किया गया। अत: सपाक्स समाज से जुड़े बुद्धिजीवियों द्वारा यह पहल की गई कि मात्र सांगठनिक विरोध से कोई परिणाम हासिल नहीं होगा और हमें राजनैतिक होना होगा। सपाक्स पार्टी एक राजनैतिक दल है, जो सपाक्स के मुद्दों से सहमत है। लेकिन तीनों अपने आप में स्वतंत्र हैं। वास्तव में इसे सपाक्स वर्ग के समाजों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर असंतोष के कारण खड़ा किया गया है।

क्या सपाक्स दलित विरोधी है और दलित क्यों इसका समर्थन करे ?
बिल्कुल नहीं! सपाक्स ही केवल एकमात्र संस्था या राजनीतिक दल है जो महादलितों के उत्थान की बात करता है। सपाक्स के नाम में पिछड़ा से आशय आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा चाहे वो एस. सी. एस. टी. वर्ग से हो या अन्य किसी और वर्ग से। सपाक्स मानता है कि आरक्षण और शासकीय योजनाओं को दलितों के लिए जाति के आधार पर लागू रहने से इसका लाभ केवल इस वर्ग के २-३% लोगों को ही पीढ़ी दर पीढ़ी मिल रहा है और वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। दलित वर्ग के इन संपन्न लोगों द्वारा आरक्षण और शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं छोड़ने से असल गरीब दलितों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। यदि आरक्षण और शासकीय योजनाओं का लाभ आर्थिक आधार पर मिलना शुरू होता है तो अपने आप दलित वर्ग के साथ साथ अन्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण और शासकीय योजनाओं का लाभ मिल सकेगा और गरीबों (चाहे वो किसी भी वर्ग से हो) का आर्थिक के साथ ही सामाजिक उत्थान भी होगा। सपाक्स इसी दिशा में कार्य कर रही है।

1 comment

Unknown said...

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