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छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने जाना जनजातीय विकास और शोध में आईजीएनटीयू का योगदान छत्तीसगढ़ एडमिनिस्ट्रेशन के दल ने किया विश्वविद्यालय का स्टडी टूर

छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने जाना जनजातीय विकास और शोध में आईजीएनटीयू का योगदान

छत्तीसगढ़ एडमिनिस्ट्रेशन के दल ने किया विश्वविद्यालय का स्टडी टूर


जनजातीय विकास में विश्वविद्यालय के साथ स्वयं के योगदान का संकल्प व्यक्त

अनूपपुर / अमरकटंक /प्रदीप मिश्रा - 8770089979

छत्तीसगढ़ एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे 22 अधिकारियों के एक दल ने 11 और 12 मई को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय का स्टडी टूर किया। इसके अंतर्गत इन अधिकारियों ने विश्वविद्यालय में जनजातीय विकास के लिए उठाए जा रहे विभिन्न कदमों और इनकी संस्कृति के संरक्षण पर किए जा रहे शोध को जाना। दल ने प्रमुख रूप से विश्वविद्यालय में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, लाइवलीहुड बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर, हर्बल गार्डन, लुप्त प्रायः भाषा केंद्र और ट्राइबल म्यूजियम का दौरा कर इनके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। अधिकारियों के समक्ष जनजातियों की चुनौतियों और संभावनाओं को प्रस्तुत करते हुए प्रो. प्रसन्ना कुमार सामल ने बताया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की जनजातियां प्रमुख रूप से अपनी संस्कृति और रीतियों को संरक्षित रखने, प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार, मानव विकास सूचकांक में अग्रिम स्थान बनाने, जनजातीय क्षेत्रों में आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने और स्वास्थ्य जैसी प्रमुख चुनौतियों से जूझ रही हैं। इनमें उच्च शिक्षा का प्रसार न हो पाना और इनकी भाषा में पाठ्यक्रम का न होना भी इनके विकास में बाधक बन रहा है। उन्होंने इनकी संस्कृति का दस्तावेजीकरण करने और इनके पारंपारिक ज्ञान को संग्रहित कर उसका वैज्ञानिक आधार पता करने पर विशेष बल दिया। प्रो. दिलीप सिंह का कहना था कि जनजातियों की भाषा उनके स्वभाव के अनुरूप सरल होती है। उन्होंने प्रत्येक वर्ग को निश्चित नाम दिए हुए हैं जो प्रकृति के विषय में उनके असीम ज्ञान को प्रदर्शित करता है। डॉ. पूनम शर्मा ने जनजातीय महिलाओं में फैल रहे संक्रमण के बारे में जानकारी दी। डॉ. रविंद्र शुक्ला ने हर्बल गार्डन और विभिन्न शोध परियोजनाओं के माध्यम से अमरकटंक क्षेत्र की आयुर्वेदिक औषधियों के वैज्ञानिक आधार का पता लगाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान की। अधिकारियों ने विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए इसमें हर संभव मदद का संकल्प व्यक्त किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. टी.वी. कटटीमनी ने सभी अधिकारियों से जनजातियों के ज्ञान को संरक्षित करने में विश्वविद्यालय के प्रयासों का साथ देने का आह्वान किया। कार्यक्रम में कुलसचिव पी. सिलुवेनाथन, प्रो. किशोर गायकवाड़ और केवीके के प्रमुख डॉ. एस.के. पांडे भी उपस्थित थे।

 

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