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डेंगू रोग से बचाव हेतु जानकारी आवष्यक- डाॅ0 पाण्डेय

डेंगू रोग से बचाव हेतु जानकारी आवष्यक- डाॅ0 पाण्डेय

शहडोल -प्रदीप मिश्रा-8770089979

कलेक्टर श्री ललित दाहिमा के मार्गदर्षन एवं  मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ0 राजेष पाण्डेय के निर्देषन मंे जानलेवा डेंगू रोग से बचाव के लिए जिले में सतत् प्रयास किए जा रहे है। आम जन मानस को इसके प्रति जागरूक रहना पडे़गा। डेंगू रोग वर्षा ऋतु के दौरान फैलता है। इस रोग को फैलाने वाले मच्छर साफ पानी में अण्डे देते है, इनके शरीर में काली व सफेद पट्टी होती है। इन्हें टाइगर मच्छर भी बोला जाता है। डेंगू रोग मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है। इसके मच्छर अधिकतर दिन मंे काटते है, यह एक तरह का वायरल बुखार है।
       डेंगू बुखार तीन प्रकार की अवस्थाओं से ग्रसित हो सकता है इसमें साधारण डेंगू मंे मरीज को 2 से 7 दिवस तक तेज बुखार चढ़ता है एवं इसके साथ निम्न में से दो या अधिक लक्षण भी साथ में होते हैं, अचानक तेज बुखार, सिर में आगे की और तेज दर्द, आंखों के पीछे दर्द और आंखों के हिलने  से दर्द में और तेजी, मांसपेशियों (बदन) व जोड़ों में दर्द, स्वाद का पता न चलना, भूख न लगना, छाती और ऊपरी अंगो पर खसरे जैसे दानें, चक्कर आना, जी घबराना उल्टी आना, शरीर पर खून के चकत्ते एवं खून की सफेद कोशिकाओं की कमी, बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षण बड़ों की तुलना में हल्के होते हैं, रक्त स्त्राव वाला डेंगू (डेंगू हमरेजिक बुखार) मंे, खून बहने वाले डेंगू बुखार के लक्षण और आघात रक्त स्त्राव वाला डेंगू में  पाये जाने वाले लक्षणों के अतिरिक्त निम्न लक्षण पाये जाते हैं, शरीर की चमड़ी पीली तथा ठन्डी पड़ जाना, नाक, मुंह और मसूड़ों से खून बहना, प्लेटलेट कोशिकाओं की संख्या 1,00,000 या इससें कम हो जाना, फेंफडों एवं पेट में, पानी इकट्ठा हो जाना, चमड़ी में घाव पड़ जाना, बैचेनी रहना व लगातार कराहना, प्यास ज्यादा लगना (गला सूख जाना), खून वाली या बिना खून वाली उल्टी आना, सांस लेने में तकलीफ होना, डें़गू शॉक सिन्ड्रोम आदि मुख्य लक्षण है। इसके अतिरिक्त अन्य लक्षण नब्ज का कमजोर होना व तेजी से चलना, रक्तचाप का कम हो जाना व त्वचा का ठंड़ा पड़ जाना, मरीज को बहुत अधिक बेचैनी महसूस करना, पेट में तेज व लगातार दर्द, ऊपर की तीन स्थितियों में मरीज का यथोचित उपचार प्रारम्भ करें, मरीज के खून की सीरोलोजिकल एवं वायलोजिकल परीक्षण केवल रोग को सुनिश्चित करती है तथा इनका होना या ना होना मरीज के उपचार में कोई प्रभाव नहीं डालता क्योंकि डेंगू एक तरह का वायरल बुखार है।
       मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ राजेष पाण्डेय ने बताया कि मरीज के प्रारम्भिक लक्षणांे को देखते हुए तत्काल चिकित्सकीय सुविधा आवष्यक है। समय पर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध होने पर मरीज को जानलेवा बीमारी से बचाया जा सकता है। उन्होने कहा कि मरीज को आराम की सलाह दें, पैरासिटामोल की गोली (24 घन्टे में चार बार से अधिक नहीं) उम्र के अनुसार तेज बुखार होने पर देवें, एस्प्रीन और आईबुप्रोफेन नहीं दी जाएँ, एन्टीबायटिक्स नहीं दी जायें क्योंकि वे इस बीमारी में व्यर्थ है,  मरीज को ओ.आर.एस. दिया जाएँ, भूख के अनुसार पर्याप्त मात्रा में भोजन दिया जाएँ, साधारणतया डेंगू बुखार के मरीज को ठीक होने के 2 दिवस उपरान्त तक जटिलताऐं देखी गई है। प्रत्येक डेंगू बुखार के रोगी के बुखार ठीक होने के दो दिन के बाद तक निगरानी रखी जाएँ। डेंगू बुखार से ठीक होने पर मरीज एवं उसके परिजनों का निम्न लक्षणों के उभरने पर विशेष ध्यान देना आवष्यक है कि मरीज पेट में तेज दर्द, काले रंग का मल आना, मसूड़ो, त्वचा, नाक से खून रिसना, चमड़ी का ठन्डा पड़ जाना एवं ज्यादा पसीना आना ऐसी स्थिति में मरीज को तुरन्त अस्पताल में भर्ती होने की राय दी जाये। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सभी का सहयोग आवष्यक है। आस-पास साफ पानी इकठ्ठा न होने दें। कूलर, घडंे, टंकी आदि जहाॅ पानी संग्रहित होता है  एक सप्ताह में पानी परिवर्तित कर दें। गड्ढे़ आदि जहाॅ साफ पानी एकत्रित होता है, वहाॅ तेल या जला हुआ मोबीआयल आदि डाल दें। जिससे लार्वा न बन पायें। उन्होने कहा कि थोड़ी सी साॅवधानी आपको जानलेवा डेंगू के बीमारी से बचा सकती है। आप दस सप्ताह 10 मिनट सभी अपने घर और आस-पास इन साॅवधानियो पर अमल करें और डेंगू जैसी जान लेवा बीमारी से खुद को बचाएॅ।

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