गोहपारू के विद्यालय की जगह बीईओ कार्यालय से उठा रहे वेतन जुगाड़ से जमे बीईओ, चैपट हुई विकास खण्ड की शिक्षा व्यवस्था
गोहपारू के विद्यालय की जगह बीईओ कार्यालय से उठा रहे वेतन
जुगाड़ से जमे बीईओ, चैपट हुई विकास खण्ड की शिक्षा व्यवस्था
वर्ष 2016 में गोहपारू के बालक विद्यालय से बीईओ जयसिंहनगर के प्रभारी बने
एल.के.पाण्डेय की मनमानी के कारण विकास खण्ड की षिक्षा व्यवस्था गर्त में
जाती दिख रही है। 3 वर्शो से अधिकारियों की आर्थिक सेवा कर बीईओ ने अंचल की
षिक्षा व्यवस्था को जुगाड़ का चारागाह बना दिया है। यही कारण है कि
छात्रावासों के परीक्षाफल लगातार नीचे गिरे और षिक्षा की गुणवत्ता भी न्यून
होती गई। 11 जनवरी 2016 को तात्कालीन संभागायुक्त डी.पी. अहिरवार के आदेष
पर प्रभारी विकास खण्ड षिक्षा अधिकारी बने एल.के.पाण्डेय गांधी और
चाटूकारिता के दम पर कुर्सी पर ऐसी जड़े जमाई की इस दौरान कई संभागायुक्त
आये और चले गये लेकिन एल.के.पाण्डेय मूल पद पर जाने की जगह अब अपना वेतन
गोहपारू स्थित बालक हाॅयर सेकेण्ड्री विद्यालय की जगह बीईओ कार्यालय से ही
निकालने लगे, नियमतः उनका वेतन उनके मूल पदस्थापना वाले स्थान से ही निकलना
चाहिए लेकिन जुगाड़ व गांधी के दम पर उनका वेतन अब बीईओ कार्यालय से ही
आहरित हो रहा है, बीते 3 वर्शो के दौरान अंचल के विभिन्न छात्रावासों में
भ्रश्टाचार और निरीक्षणों को लेकर भरे गये फर्जी लाॅक बुक और खर्चों के
दर्जनों आरोप श्री पाण्डेय पर लगे, लेकिन जनजातीय कार्य विभाग में उनकी जड़े
इतनी मजबूत हों चुकी है कि उनके खिलाफ हुई हर प्रमाणित षिकायत जांच से
पहले ही ठण्डे बस्ते मंे चली जाती है।
बदहाल है अंचल के छात्रावास
विकास
खण्ड शिक्षा अधिकारी ने अपने अधीनस्थ समस्त छात्रावासों में पहले मनमाफिक
प्रभार की रेवडी बांटी गई, उसके बाद छात्रावास को मिलने वाले मासिक बजट में
फर्जी बिलों की बाढ़ सी ला दी गई, हालात यह है कि छात्रावासों में पदस्थ
अधीक्षक महज मोहरा बनकर रह गये है, विकास खण्ड षिक्षा अधिकारी इन अधीक्षकों
के माध्यम से बजट पर न सिर्फ पूरी नजर रखते है, बल्कि बच्चों के लिए क्रय
की जाने वाली हर सामग्री और उनके बिल उनके मर्जी के माफिक ही भुगतान होते
है। षिक्षा अधिकारी की इस मनमानी और धन लोलुपता के कारण छात्रावास बदहाल
स्थिति से गुजर रहे हैं। आदिवासी बच्चों के लिए आये बजट का एक बड़ा हिस्सा
सीधे-सीधे डकार लिया जा रहा है।
शिकायतें ठण्डे बस्ते में
विकास
खण्ड अंतर्गत स्थित छात्रावासों की अव्यवस्था को लेकर परिजनों और स्थानीय
ग्रामीणों द्वारा जो भी षिकायतें षिक्षा अधिकारी को दी जाती है उन पर
कार्यवाही या उन्हें आधार मानकर सुधार करने की जगह, षिकायतों को रद्दी की
टोकरी में डाल दिया जाता है, यही नहीं यहां हो रहे भ्रश्टाचार की षिकायत जब
वरिश्ठ कार्यालयों में होती है तो उसकी जांच बीईओ अपने हाथों में या फिर
अपने लोगों को दिलवाकर उसे ठण्डे बस्ते में डाल देते है।
गिर रहा शिक्षा का स्तर
बीते
वर्शो के दौरान विकास खण्ड अंतर्गत आने वाले छात्रावासों और विद्यालयों
में षिक्षा का स्तर लगातार नीचे खसक रहा है। आदिवासी बच्चों के लिए आने
वाली तमाम योजनाएं और बजट खुर्द-खुर्द हो रहा है, जिसका सीधा असर बच्चों के
भविश्य पर पड़ रहा है, जिला मुख्यालय से दूर होने के कारण जनजातीय कार्य
विभाग के अधिकारी ही विकास खण्ड अंतर्गत छात्रावासों और विद्यालयों की जांच
नियमित नहीं कर पा रहे हे, इस कारण बीईओ की स्वेच्छाचारिता लगातार बढ़ती जा
रही है।
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