दो पूर्व सीएमओ सहित सिटी मैनेजर रहे पति-पत्नि पर मामला दर्ज 41 रू. लाख के गबन का, 4 माह बाद दर्ज हुआ
दो पूर्व सीएमओ सहित सिटी मैनेजर रहे पति-पत्नि पर मामला दर्ज
41 रू. लाख के गबन का, 4 माह बाद दर्ज हुआ
अनूपपुर /प्रदीप मिश्रा - 8770089979
नगर पालिका परिषद अनूपपुर में हुए 41 रू. लाख के गबन के
मामले में तत्कालीन सीएमओ कमला देवी कोल, आशीष
शर्मा व सिटी मैनेजर के पद पर पदस्थ रहे अभिलाष त्रिपाठी व उनकी पत्नी आरती
त्रिपाठी के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध किया गया है. कलेक्टर अनूपपुर से लेकर
लोकायुक्त रीवा तक भ्रष्टाचार की शिकायते भी हुई जिसके बाद 25 जून 2019 को अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास
विभाग भोपाल द्वारा कलेक्टर अनूपपुर के नाम पत्र लिखते हुए तत्कालीन सीएमओ कमला देवी
कोल, आशीष शर्मा व सिटी मैनेजर के पद पर पदस्थ रहे अभिलाष
त्रिपाठी व उनकी पत्नी आरती त्रिपाठी के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध कराने के निर्देश
दिये गये थे. इस आदेश के 4 महीने बाद 17 नवम्बर की देर शाम चारों के विरूद्ध धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में मामला
पंजीबद्ध किया गया. चारो अधिकारी-कर्मचारी अनूपपुर से स्थानांतरित हो चुके है. पुलिस द्वारा की जा रही जाँच में अब
तक 41 लाख 6
हजार 599 रूपए का गबन उजागर हुआ है. इन सभी ने
अपने पद का दुरूपयोग करते हुए वित्तीय अनियमितताएं की है. जिसका खुलासा भी पुलिस
ने कर लिया है. जाँच में आंकड़ा एक करोड़ के पार जा सकता है. नियमों को दरकिनार रखते हुए मुख्य नगरपालिका अधिकारियों ने अपने चहेतो को
नौकरी का लाभ दिया. जिसमें कमला देवी कोल पर सात कर्मचारियों अरविंद कुमार मिश्रा, सुभाष चोरे, सुचि श्रीवास्तव, गोकरण केवट,आशीष चौरसिया तथा बेबी राठौर को दैनिक
वेतनभोगी के रूप में नियुक्त करते हुए चार लाख पैंतीस हजार चार सौ संतावन रूपयों
का भुगतान किया गया. इसी तरह आशीष शर्मा ने भी चार कर्मचारियों तौसीफ अशरफ,
गुलाब सिंह, भानू प्रताप, अनिल राठौर को नियुक्त करते हुए 5 लाख 94 हजार 61 रूपए का अनियमित भुगतान किया. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन में
सिटी मैनेजर के पद पर पदस्थ रहे अभिलाष त्रिपाठी व उनकी पत्नि आरती त्रिपाठी
द्वारा मुख्यमंत्री स्वरोजगार एवं मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण ऋण योजना 2018-19 में बैंको द्वारा 69
हितग्राहियों का प्रकरण स्वीकार किया गया. 11 हितग्राहियों
के खाते में 4 लाख 95 हजार मार्जिन मनी
के रूप में डाले गये. जिसमें नगर परियोजना अधिकारी के हस्ताक्षर भी है. शासन के
निर्देशो के अनदेखी करते हुए 12 लाख 11 हजार 500 रूपए हितग्राहियों के खाते में जमा करते
हुए उनसे वापस भी लिये गये. यह सिर्फ 2018-19 का प्रकरण है.
इससे पूर्व के मामलो की जाँच होने पर आंकड़े और भी बढने की बात कहीं जा रही है. नपा द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार
व लापरवाही के संबंध में बार-बार हो रही शिकायतो को देख नगरीय प्रशासन एवं विकास
विभाग ने तीन सदस्यीय जाँच दल का गठन किया था. जिसमें आर पी सिंह संभागीय संयुक्त
संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास,
मनोज पांडेय एसएमएम, एचआर संचालनालय तथा
युवराज जैन,सहायक लेखा अधिकारी संचालनालय
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल शामिल थे. दो महीने तक चली जाँच के पश्चात
अपर आयुक्त को जाँच प्रतिवेदन सौंपा गया था. 25 जून को प्रतिवेदन
के आधार पर अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करने के निर्देश भी जारी कर दिये गये थे.
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