दीपावली के ऐन पहले जबलपुर में भूकंप के झटके
जबलपुर। बुधवार को मप्र के जबलपुर, शहडोल और उमरिया में आए भूकंप से लोगों में दहशत फैल गई। भूकंप के झटके करीब 30 सेकेंड तक महसूस किए गए। रियेक्टर पैमाने पर इनकी तीव्रता 2.8 मैग्नीट्यूट दर्ज की गई है।
संस्कारधानी जबलपुर में सुबह करीब 10.49 मिनिट 52 सेकेंड पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र जबलपुर से 150 किलोमीटर दूर था। शहडोल में सुबह 8.1 मिनट पर करीब 30 सेकेंड तक झटके आए।
भूकंप के कारण ऐसी आवाज आई, मानों सड़क पर कोई रोड रोलर जा रहा हो। घर्र-घर्र...की आवाज सुनकर कुछ लोग बाहर निकले। जब उन्हें वहां कोई रोड रोलर नहीं दिखाई दिया, तो वे समझ गए कि, भूकंप आया है। देखते ही देखते लोग चिल्लाने लगे-भूकंप..भूकंप..और फिर लोग घरों से बाहर की ओर दौड़े। इन झटकों से कई मकानों में दरारें पड़ गईं। हालांकि किसी बड़े नुकसान की कोई खबर नहीं है।
जबलपुर संवेदनशील
नर्मदा वेली का क्षेत्र होने के कारण जबलपुर भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील इलाके में आता है। भूकंप का क्षेत्र जबलपुर में 23.1 डिग्री उत्तर और 79.6 डिग्री पूर्व रहा। करीब आठ किलोमीटर क्षेत्र में इसका असर रहा और इसकी गहराई करीब पांच किलोमीटर थी।
भूकंप का कहां है केंद्र
बीबीसी हिन्दी के अनुसार भारत भी अब भूकंप का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। भू-वैज्ञानिकों ने बताया कि भूकंप का खतरा देश में हर जगह अलग-अलग है। इस खतरे के हिसाब से देश को चार हिस्सों में बांटा गया है जैसे जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। सबसे कम खतरे वाला जोन 2 है तथा सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 है।
जोन-एक: पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से आते हैं। यहां भूकंप का सबसे कम खतरा है।
जोन-दो: तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा। यहां भूकंप की संभावना रहती है।
जोन-तीन: केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा आता है। इस जोन में भूकंप के झटके आते रहते हैं।
जोन-चार :मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके शामिल हैं। यहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है और रुक-रुक कर भूकंप आते रहते हैं।
जोन-पांच : भूकंप के लिहाज से ये सबसे खतरनाक इलाका है। इसमें गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य शामिल हैं।
विभिन्न रिएक्टर स्केलों पर भूकंप
रिएक्टर स्केल के अनुसार 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है, जो इंसान को महसूस ही नहीं होते।
2. 0 से लेकर 2. 9 की तीव्रता वाले लगभग एक हजार झटके रोजाना दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आम तौर पर ये भी महसूस नहीं होते।
रिएक्टर स्केल पर 3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता वाले भूकंपीय झटके साल में लगभग 49 हजार बार दर्ज किए जाते हैं, जो अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी-कभार ये नुकसान कर देते हैं।
4. 0 से 4. 9 की तीव्रता वाले भूकंप साल में लगभग 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। इस वेग वाले भूकंप से थरथराहट महसूस होती है और कई बार नुकसान भी हो जाता है।
5. 0 से 5. 9 तक का भूकंप एक छोटे क्षेत्र में स्थित कमजोर मकानों को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाता है, जो साल में लगभग 800 बार महसूस होता है।
6. 0 से 6. 9 तक की तीव्रता वाला भूकंप साल में लगभग 120 बार दर्ज किया जाता है और यह 160 किलोमीटर तक के दायरे में काफी घातक साबित हो सकता है।
7. 0 से लेकर 7. 9 तक की तीव्रता का भूकंप एक बड़े क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है और जो एक साल में लगभग 18 बार दर्ज किया जाता है।
रिएक्टर स्केल पर 8. 0 से लेकर 8. 9 तक की तीव्रता वाला भूकंपीय झटका सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भीषण तबाही मचा सकता है, जो साल में एकाध बार महसूस होता है।
9.0 से लेकर 9.9 तक के पैमाने का भूकंप हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है, जो 20 साल में लगभग एक बार आता है।
संस्कारधानी जबलपुर में सुबह करीब 10.49 मिनिट 52 सेकेंड पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र जबलपुर से 150 किलोमीटर दूर था। शहडोल में सुबह 8.1 मिनट पर करीब 30 सेकेंड तक झटके आए।
भूकंप के कारण ऐसी आवाज आई, मानों सड़क पर कोई रोड रोलर जा रहा हो। घर्र-घर्र...की आवाज सुनकर कुछ लोग बाहर निकले। जब उन्हें वहां कोई रोड रोलर नहीं दिखाई दिया, तो वे समझ गए कि, भूकंप आया है। देखते ही देखते लोग चिल्लाने लगे-भूकंप..भूकंप..और फिर लोग घरों से बाहर की ओर दौड़े। इन झटकों से कई मकानों में दरारें पड़ गईं। हालांकि किसी बड़े नुकसान की कोई खबर नहीं है।
जबलपुर संवेदनशील
नर्मदा वेली का क्षेत्र होने के कारण जबलपुर भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील इलाके में आता है। भूकंप का क्षेत्र जबलपुर में 23.1 डिग्री उत्तर और 79.6 डिग्री पूर्व रहा। करीब आठ किलोमीटर क्षेत्र में इसका असर रहा और इसकी गहराई करीब पांच किलोमीटर थी।
भूकंप का कहां है केंद्र
बीबीसी हिन्दी के अनुसार भारत भी अब भूकंप का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। भू-वैज्ञानिकों ने बताया कि भूकंप का खतरा देश में हर जगह अलग-अलग है। इस खतरे के हिसाब से देश को चार हिस्सों में बांटा गया है जैसे जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। सबसे कम खतरे वाला जोन 2 है तथा सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 है।
जोन-एक: पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से आते हैं। यहां भूकंप का सबसे कम खतरा है।
जोन-दो: तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा। यहां भूकंप की संभावना रहती है।
जोन-तीन: केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा आता है। इस जोन में भूकंप के झटके आते रहते हैं।
जोन-चार :मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके शामिल हैं। यहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है और रुक-रुक कर भूकंप आते रहते हैं।
जोन-पांच : भूकंप के लिहाज से ये सबसे खतरनाक इलाका है। इसमें गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य शामिल हैं।
विभिन्न रिएक्टर स्केलों पर भूकंप
रिएक्टर स्केल के अनुसार 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है, जो इंसान को महसूस ही नहीं होते।
2. 0 से लेकर 2. 9 की तीव्रता वाले लगभग एक हजार झटके रोजाना दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आम तौर पर ये भी महसूस नहीं होते।
रिएक्टर स्केल पर 3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता वाले भूकंपीय झटके साल में लगभग 49 हजार बार दर्ज किए जाते हैं, जो अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी-कभार ये नुकसान कर देते हैं।
4. 0 से 4. 9 की तीव्रता वाले भूकंप साल में लगभग 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। इस वेग वाले भूकंप से थरथराहट महसूस होती है और कई बार नुकसान भी हो जाता है।
5. 0 से 5. 9 तक का भूकंप एक छोटे क्षेत्र में स्थित कमजोर मकानों को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाता है, जो साल में लगभग 800 बार महसूस होता है।
6. 0 से 6. 9 तक की तीव्रता वाला भूकंप साल में लगभग 120 बार दर्ज किया जाता है और यह 160 किलोमीटर तक के दायरे में काफी घातक साबित हो सकता है।
7. 0 से लेकर 7. 9 तक की तीव्रता का भूकंप एक बड़े क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है और जो एक साल में लगभग 18 बार दर्ज किया जाता है।
रिएक्टर स्केल पर 8. 0 से लेकर 8. 9 तक की तीव्रता वाला भूकंपीय झटका सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भीषण तबाही मचा सकता है, जो साल में एकाध बार महसूस होता है।
9.0 से लेकर 9.9 तक के पैमाने का भूकंप हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है, जो 20 साल में लगभग एक बार आता है।
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