क्या आमिर करेंगे अपने पुश्तैनी गांव में विकास का ख्याल!
हरदोई : लोकप्रिय रियलिटी शो ‘सत्यमेव जयते’ के जरिये समाज में बड़े बदलाव और उद्धार की कोशिश करके तारीफ बटोर रहे सिने अभिनेता आमिर खान के पुश्तैनी मुहल्ले के लोग उनसे अपनी जड़ों का भी ख्याल करके अपने संदेश को मुकम्मल करने की उम्मीद लगा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में हरदोई के शाहाबाद कस्बे में स्थित आख्तियारपुर मुहल्ले में आमिर के दादा-परदादा की खाक मौजूद है लेकिन यहां के लोगों को इस बात का रंज है कि यह जिले के सबसे पिछड़े मुहल्लों की फेहरिस्त में सबसे उपर है। उन्हें शिकायत भी है कि ‘सत्यमेव जयते’ के जरिये समाज में बदलाव की वकालत कर रहे ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ की नजर अब तक अपनी जड़ों पर नहीं पड़ी है। मुहल्ले के पुराने बाशिंदे प्रहलाद ने ‘भाषा’ से कहा कि अाख्तियारपुर इस जिले का सबसे पिछड़ा मुहल्ला है।
यहीं पर जन्मे आमिर के पिता ताहिर हुसैन खान के मुंबई जाने के छह दशक बाद से इस मुहल्ले की हालत में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। यहां ना तो कोई सरकारी स्कूल है और ना ही अस्पताल । उन्होंने कहा कि मुहल्ले में सिर्फ तीन हैंडपंप लगे हैं और वे भी खस्ताहाल हैं। यहां खंबे तो लगे हैं लेकिन उनमें बिजली नहीं है। यहां रहने वाले करीब 500 लोगों में से लगभग 90 प्रतिशत लोग रोजगार के लिये दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं। अधिकतर भूमिहीन लोगों को कोई सरकारी सुविधा मयस्सर नहीं है। अाख्तियारपुर के रहने वाले बुजुर्ग अखलाक मियां ने शिकायती लहजे में कहा कि ‘सत्यमेव जयते’ के जरिये समाज में बदलाव की बात करने वाले आमिर को अब तक अपने पुश्तैनी मकान और मुहल्ले का ख्याल नहीं आया। आमिर भले ही मुंबई में जन्मे हैं लेकिन रगों में अपनी जड़ों और मिट्टी के लिये हरारत तो होनी ही चाहिये।
आमिर के दूर के रिश्तेदार नईम अख्तर खान ने कहा ‘‘गांव की भलाई के लिये आमिर को प्रयास करने चाहिये और यहां आना भी चाहिये। हम एक बार मुंबई गये भी थे लेकिन हमारी मुलाकात नहीं हो पायी थी। कई बार हम लोगों ने खत भी लिखा लेकिन कोई जवाब नहीं आया।’’ उन्होंने कहा कि आमिर के चाचा नासिर हुसैन खान को यहां से काफी लगाव था और वह यहां अक्सर आते थे लेकिन उनके बाद अब कोई यहां नहीं आता। आमिर ने यहां जायदाद की देखभाल का जिम्मा पूरी तरह से रख-रखावकर्ताआें पर छोड़ रखा है। अखलाक मियां ने बताया कि आखियारपुर आमिर के परदादा हाजी मुहम्मद हुसैन खान और दादा जाफर हुसैन खान के साथ-साथ पिता ताहिर और चाचाआें वकार हुसैन खान तथा नासिर हुसैन खान की जन्मस्थली है। वर्ष 1950 के आसपास ताहिर मुंबई चले गये थे और वहीं आमिर तथा उनके भाई फैसल की पैदाइश हुई। उन्होंने बताया कि आमिर के पुश्तैनी घर के पास उनके चाचा हाजी वकार हुसैन खान ने उनके परदादा की पक्की कब्र बनवायी थी जो इस वक्त रखरखाव की कमी की कहानी खुद बयान करती है। आमिर के पुरखों के घर से सटी उनकी खानदानी मस्जिद भी है जो जर्जर, वीरान और मिट्टी के ढेरों से भरी है। एेसा लगता है कि उसकी दशकों से सफाई नहीं हुई है। मुहल्ले के लोगों के मुताबिक खान परिवार के पास 25 एकड़ क्षेत्र में फैला बाग और अन्य कई संपत्तियां हैं। इतनी जायदाद होने के बावजूद खान खानदान का कोई भी करीबी यहां नहीं रहता। आमिर के ताउ की नातिन उनके पुश्तैनी मकान में रहती हैं। कुछ साल पहले संपत्ति के झगड़े को लेकर आमिर के भाई फैसल यहां आये थे। बहरहाल, लोगों को उम्मीद है कि आमिर उनकी सुध जरूर लेंगे ।
यहीं पर जन्मे आमिर के पिता ताहिर हुसैन खान के मुंबई जाने के छह दशक बाद से इस मुहल्ले की हालत में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। यहां ना तो कोई सरकारी स्कूल है और ना ही अस्पताल । उन्होंने कहा कि मुहल्ले में सिर्फ तीन हैंडपंप लगे हैं और वे भी खस्ताहाल हैं। यहां खंबे तो लगे हैं लेकिन उनमें बिजली नहीं है। यहां रहने वाले करीब 500 लोगों में से लगभग 90 प्रतिशत लोग रोजगार के लिये दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं। अधिकतर भूमिहीन लोगों को कोई सरकारी सुविधा मयस्सर नहीं है। अाख्तियारपुर के रहने वाले बुजुर्ग अखलाक मियां ने शिकायती लहजे में कहा कि ‘सत्यमेव जयते’ के जरिये समाज में बदलाव की बात करने वाले आमिर को अब तक अपने पुश्तैनी मकान और मुहल्ले का ख्याल नहीं आया। आमिर भले ही मुंबई में जन्मे हैं लेकिन रगों में अपनी जड़ों और मिट्टी के लिये हरारत तो होनी ही चाहिये।
आमिर के दूर के रिश्तेदार नईम अख्तर खान ने कहा ‘‘गांव की भलाई के लिये आमिर को प्रयास करने चाहिये और यहां आना भी चाहिये। हम एक बार मुंबई गये भी थे लेकिन हमारी मुलाकात नहीं हो पायी थी। कई बार हम लोगों ने खत भी लिखा लेकिन कोई जवाब नहीं आया।’’ उन्होंने कहा कि आमिर के चाचा नासिर हुसैन खान को यहां से काफी लगाव था और वह यहां अक्सर आते थे लेकिन उनके बाद अब कोई यहां नहीं आता। आमिर ने यहां जायदाद की देखभाल का जिम्मा पूरी तरह से रख-रखावकर्ताआें पर छोड़ रखा है। अखलाक मियां ने बताया कि आखियारपुर आमिर के परदादा हाजी मुहम्मद हुसैन खान और दादा जाफर हुसैन खान के साथ-साथ पिता ताहिर और चाचाआें वकार हुसैन खान तथा नासिर हुसैन खान की जन्मस्थली है। वर्ष 1950 के आसपास ताहिर मुंबई चले गये थे और वहीं आमिर तथा उनके भाई फैसल की पैदाइश हुई। उन्होंने बताया कि आमिर के पुश्तैनी घर के पास उनके चाचा हाजी वकार हुसैन खान ने उनके परदादा की पक्की कब्र बनवायी थी जो इस वक्त रखरखाव की कमी की कहानी खुद बयान करती है। आमिर के पुरखों के घर से सटी उनकी खानदानी मस्जिद भी है जो जर्जर, वीरान और मिट्टी के ढेरों से भरी है। एेसा लगता है कि उसकी दशकों से सफाई नहीं हुई है। मुहल्ले के लोगों के मुताबिक खान परिवार के पास 25 एकड़ क्षेत्र में फैला बाग और अन्य कई संपत्तियां हैं। इतनी जायदाद होने के बावजूद खान खानदान का कोई भी करीबी यहां नहीं रहता। आमिर के ताउ की नातिन उनके पुश्तैनी मकान में रहती हैं। कुछ साल पहले संपत्ति के झगड़े को लेकर आमिर के भाई फैसल यहां आये थे। बहरहाल, लोगों को उम्मीद है कि आमिर उनकी सुध जरूर लेंगे ।
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