भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मिलेगा ज्यादा मुआवजा
भोपाल : केंद्र सरकार भोपाल गैस त्रासदी के प्रभावितों को दिए जा रहे मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए तैयार हो गई है। इतना ही नहीं, यह काम गैस त्रासदी की बरसी 2 दिसंबर के पहले ही पूरा कर लिया जाएगा। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए केंद्र के कदम का स्वागत किया है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी बयान के मुताबिक, केंद्र ने वादा किया है कि वह त्रासदी में मारे जा चुके और मौजूदा समय में भी प्रभावित लोगों की संख्या फिर से तय करेगा। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने यह फैसला दिल्ली में 10 नवंबर से 5 महिलाओं की भूख हड़ताल के बाद लिया है। शुक्रवार को भूख हड़ताल पर बैठी इन 5 महिलाओं के समर्थन में उतरे 200 गैस राहत कार्यकर्ताओं और संगठनों ने रसायन और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार से मुलाकात की थी, जिसके बाद ये फैसला लिया गया। अनंत कुमार द्वारा बताया गया है कि त्रासदी के शिकार और पीड़ित लोगों की संख्या फिर से तय करने का काम गैस त्रासदी की बरसी (2 दिसंबर) के पहले कर लिया जाएगा।
केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल ग्लोबल इश्यूज के डायरेक्टर आंद्रे गोघरॉन ने कहा, 'हम केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं। ये भोपाल गैस पीड़ितों के लिए ऐतिहासिक फैसला है। अब प्रधानमंत्री मोदी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वादा पूरा हो।'
गैस संगठनों ने किया स्वागत
केंद्र सरकार के इस फैसले से यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों और गैस राहत संगठनों ने खुशी जताई। गैस पीड़ित महिला निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने कहा कि 'चिकित्सीय शोध एवं अस्पताल रिकार्ड के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के आंकड़े सुधारे जाएंगे और इसकी त्वरित सुनवाई के लिए सरकार द्वारा अदालत में अर्जी पेश करेगी।'
'भोपाल की ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने की दिशा में हम इसे पहला महत्वपूर्ण शासकीय कदम मानते हैं। भोपाल गैस पीड़ितों के खिलाफ अन्याय के लिए मूल रूप से जिम्मेदार 27 साल पुरानी गलती को सुधारने की प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए हम केंद्रीय मंत्री का धन्यवाद देते हैं।'
एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी बयान के मुताबिक, केंद्र ने वादा किया है कि वह त्रासदी में मारे जा चुके और मौजूदा समय में भी प्रभावित लोगों की संख्या फिर से तय करेगा। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने यह फैसला दिल्ली में 10 नवंबर से 5 महिलाओं की भूख हड़ताल के बाद लिया है। शुक्रवार को भूख हड़ताल पर बैठी इन 5 महिलाओं के समर्थन में उतरे 200 गैस राहत कार्यकर्ताओं और संगठनों ने रसायन और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार से मुलाकात की थी, जिसके बाद ये फैसला लिया गया। अनंत कुमार द्वारा बताया गया है कि त्रासदी के शिकार और पीड़ित लोगों की संख्या फिर से तय करने का काम गैस त्रासदी की बरसी (2 दिसंबर) के पहले कर लिया जाएगा।
केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल ग्लोबल इश्यूज के डायरेक्टर आंद्रे गोघरॉन ने कहा, 'हम केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं। ये भोपाल गैस पीड़ितों के लिए ऐतिहासिक फैसला है। अब प्रधानमंत्री मोदी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वादा पूरा हो।'
गैस संगठनों ने किया स्वागत
केंद्र सरकार के इस फैसले से यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों और गैस राहत संगठनों ने खुशी जताई। गैस पीड़ित महिला निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने कहा कि 'चिकित्सीय शोध एवं अस्पताल रिकार्ड के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के आंकड़े सुधारे जाएंगे और इसकी त्वरित सुनवाई के लिए सरकार द्वारा अदालत में अर्जी पेश करेगी।'
'भोपाल की ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने की दिशा में हम इसे पहला महत्वपूर्ण शासकीय कदम मानते हैं। भोपाल गैस पीड़ितों के खिलाफ अन्याय के लिए मूल रूप से जिम्मेदार 27 साल पुरानी गलती को सुधारने की प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए हम केंद्रीय मंत्री का धन्यवाद देते हैं।'
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