आखिरी खाते की पहचान तक कालेधन वालों का पीछा करेंगे : जेटली
नयी दिल्ली : विदेशों में रखे कालेधन को तुरंत वापस लाने के वादे को पूरा नहीं करने को लेकर चौतरफा हमला झेल रही सरकार ने आज वादा किया कि वह आखिरी खाते की पहचान होने तक चैन से नहीं बैठेगी और कालाधन रखने वालों का पीछा करेगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज राज्य सभा में कहा कि एचएसबीसी, जिनीवा द्वारा उपलब्ध कराये गये 627 नामों की सूची में से 250 खाताधारकों ने विदेशों में खाता होने की बात स्वीकार कर ली है.
लेकिन कालेधन पर हुई चर्चा पर उनके इस जवाब को निराशाजनक बताते हुये लगभग समूचे विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट किया. सदस्यों की कालाधन रखने वालों के नाम उजागर किये जाने की बार बार की जा रही मांग का जवाब देते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि नियमों का उल्लंघन कर कालाधन रखने वालों के समय से पहले नाम उजागर किये जाने से उन्हें (दोषियों को) ही फायदा होगा.
जेटली ने नामों का खुलासा करने के संबंध में सरकार के संधियों से जुडे दायित्वों का बचाव करते हुये कहा, सवाल यह नहीं है कि नाम बताये जायें कि नहीं बतायें जायें बल्कि सवाल यह है कि कब और कैसे. हमें इन नामों को पूरी बुद्धिमता और सोच विचार के साथ खुलासा करना होगा.
वित्त मंत्री ने हालांकि इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में दिनभर लंबी चली बहस के दौरान विपक्ष की आलोचना और इस मांग का कि 100 दिन के भीतर देश में कालाधन नहीं लाने का चुनावों के दौरान किया गया वादा पूरा करने में असफल रहने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी माफी मांगे, सीधा कोई जवाब नहीं दिया. वित्त मंत्री ने दावा किया, पिछली सरकारों ने जो किया, उससे कहीं ज्यादा हमने 100 दिनों में किया है.
जेटली ने कहा कि आगामी हफ्तों में उन लोगों के सिलसिले में और अभियोजन कार्रवाई की जायेगी जिनके नाम एचएसबीसी सूची में गैर कानूनी खाते रखने के कारण आये हैं. उन्होंने कहा, हम सीखने की प्रक्रिया में हैं. सरकार सही रास्ते पर चल रही है भले ही इसमें थोडा अतिरिक्त समय लगे.
वित्त मंत्री ने कहा, हम इन लोगों का पीछा करने में बेहद सक्रिय हैं. यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समय लगेगा लेकिन यह त्रुटिहीन प्रक्रिया है. उन्होंने राजग सरकार द्वारा काले धन को वापस लाने के लिए उठाये गये कदमों का हवाला देते हुए कहा कि मई में कैबिनेट की पहली ही बैठक में सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया जबकि यह प्रस्ताव जुलाई 2011 से लंबित था.
जेटली ने कहा कि सरकार ने काले धन से संबंधित सभी दस्तावेज एसआईटी को सौंप दिये हैं. उन्होंने कहा कि एसआईटी इस माह के अंत तक अपनी दूसरी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौंप देगी. खाताधारकों के नामों का खुलासा करने की मांग पर उन्होंने कहा कि सवाल नामों के खुलासा करने का नहीं बल्कि इसका है कि कब और कैसे उनका खुलासा किया जाये.
उन्होंने कहा कि समय से पहले नामों का खुलासा करने से खाता धारकों को लाभ मिलेगा क्योंकि इसके चलते संबंधित देश सूचनाएं मुहैया कराने से मना कर देंगे. जेटली ने कहा कि सरकार नामों का खुलासा कर 'आत्महत्या' वाले रास्ते पर नहीं जायेगी. उन्होंने कहा, हमें नामों का खुलासा बेहद सोच समझकर और विवेकपूर्ण ढंग से करना होगा.
जेटली ने कहा कि भारत ने 92 दोहरा कराधान निषेध संधियों पर हस्ताक्षर किये हैं. इनमें से रोमानिया को छोडकर अन्य सभी देशों के साथ की गयी संधियों में गोपनीयता का प्रावधान है. जेटली ने कहा कि भारत कालेधन की समस्या से निबटने के मकसद से सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के लिए किये जा रहे वैश्विक प्रयासों में अग्रणी पंक्ति में है.
उन्होंने कहा कि ये प्रयास जी-20, ओईसीडी एवं फैटका (विदेशी खाता कर अनुपालन कानून) जैसे विभिन्न मंचों पर किये गये हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने स्विस बैंकों के खाताधारकों के बारे में जानकारी लेने के लिए स्विटजरलैंड के साथ विचार विमर्श किया था.
लेकिन कालेधन पर हुई चर्चा पर उनके इस जवाब को निराशाजनक बताते हुये लगभग समूचे विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट किया. सदस्यों की कालाधन रखने वालों के नाम उजागर किये जाने की बार बार की जा रही मांग का जवाब देते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि नियमों का उल्लंघन कर कालाधन रखने वालों के समय से पहले नाम उजागर किये जाने से उन्हें (दोषियों को) ही फायदा होगा.
जेटली ने नामों का खुलासा करने के संबंध में सरकार के संधियों से जुडे दायित्वों का बचाव करते हुये कहा, सवाल यह नहीं है कि नाम बताये जायें कि नहीं बतायें जायें बल्कि सवाल यह है कि कब और कैसे. हमें इन नामों को पूरी बुद्धिमता और सोच विचार के साथ खुलासा करना होगा.
वित्त मंत्री ने हालांकि इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में दिनभर लंबी चली बहस के दौरान विपक्ष की आलोचना और इस मांग का कि 100 दिन के भीतर देश में कालाधन नहीं लाने का चुनावों के दौरान किया गया वादा पूरा करने में असफल रहने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी माफी मांगे, सीधा कोई जवाब नहीं दिया. वित्त मंत्री ने दावा किया, पिछली सरकारों ने जो किया, उससे कहीं ज्यादा हमने 100 दिनों में किया है.
जेटली ने कहा कि आगामी हफ्तों में उन लोगों के सिलसिले में और अभियोजन कार्रवाई की जायेगी जिनके नाम एचएसबीसी सूची में गैर कानूनी खाते रखने के कारण आये हैं. उन्होंने कहा, हम सीखने की प्रक्रिया में हैं. सरकार सही रास्ते पर चल रही है भले ही इसमें थोडा अतिरिक्त समय लगे.
वित्त मंत्री ने कहा, हम इन लोगों का पीछा करने में बेहद सक्रिय हैं. यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समय लगेगा लेकिन यह त्रुटिहीन प्रक्रिया है. उन्होंने राजग सरकार द्वारा काले धन को वापस लाने के लिए उठाये गये कदमों का हवाला देते हुए कहा कि मई में कैबिनेट की पहली ही बैठक में सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया जबकि यह प्रस्ताव जुलाई 2011 से लंबित था.
जेटली ने कहा कि सरकार ने काले धन से संबंधित सभी दस्तावेज एसआईटी को सौंप दिये हैं. उन्होंने कहा कि एसआईटी इस माह के अंत तक अपनी दूसरी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौंप देगी. खाताधारकों के नामों का खुलासा करने की मांग पर उन्होंने कहा कि सवाल नामों के खुलासा करने का नहीं बल्कि इसका है कि कब और कैसे उनका खुलासा किया जाये.
उन्होंने कहा कि समय से पहले नामों का खुलासा करने से खाता धारकों को लाभ मिलेगा क्योंकि इसके चलते संबंधित देश सूचनाएं मुहैया कराने से मना कर देंगे. जेटली ने कहा कि सरकार नामों का खुलासा कर 'आत्महत्या' वाले रास्ते पर नहीं जायेगी. उन्होंने कहा, हमें नामों का खुलासा बेहद सोच समझकर और विवेकपूर्ण ढंग से करना होगा.
जेटली ने कहा कि भारत ने 92 दोहरा कराधान निषेध संधियों पर हस्ताक्षर किये हैं. इनमें से रोमानिया को छोडकर अन्य सभी देशों के साथ की गयी संधियों में गोपनीयता का प्रावधान है. जेटली ने कहा कि भारत कालेधन की समस्या से निबटने के मकसद से सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के लिए किये जा रहे वैश्विक प्रयासों में अग्रणी पंक्ति में है.
उन्होंने कहा कि ये प्रयास जी-20, ओईसीडी एवं फैटका (विदेशी खाता कर अनुपालन कानून) जैसे विभिन्न मंचों पर किये गये हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने स्विस बैंकों के खाताधारकों के बारे में जानकारी लेने के लिए स्विटजरलैंड के साथ विचार विमर्श किया था.
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