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अगले साल खुल जाएगा कैलास मानसरोवर का नया रास्ता

गंगटोक।कैलास मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को ज्यादा समय तक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। चीन सरकार के साथ बनी सहमति के बाद नाथूला दर्रे का रास्ता बनाने का कार्य प्रगति पर है।

अधिकारियों का कहना है कि अगले साल तक श्रद्धालुओं के लिए यह रास्ता तैयार हो जाएगा। यात्रा के लिए इस वैकल्पिक मार्ग को लेकर भारत और चीन के बीच इस साल 18 सितंबर को द्विपक्षीय समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत श्रद्धालु सिक्किम होकर नाथूला दर्रे के जरिये भी तिब्बत स्थित मानसरोवर झील तक जा सकेंगे।

दुर्गम है मौजूदा मार्ग

फिलहाल कैलास मानसरोवर यात्रा उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होकर लिपुलेख दर्रे के जरिये चीन की सीमा में प्रवेश करती है। यात्रियों को इस रास्ते पर दुर्गम पर्वतीय चढ़ाई, फिसलन भरे रास्ते और बर्फीली हवाओं के थपेड़े सहते हुए जाना पड़ता है। इस मार्ग पर यात्रियों को करीब एक हजार किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। इसमें लगभग 700 किमी की दूरी भारतीय क्षेत्र जबकि 300 किमी चीन की सीमा में है।

नए रास्ते में ढेरों सहूलियत

नाथूला के रास्ते पर कई सुविधाएं हैं। मोटर से कैलास मानसरोवर तक यात्रा की जा सकती है, इससे विशेषकर बुजुर्ग तीर्थयात्रियों को लाभ होगा। तीर्थयात्रा कम समय में पूरी की जा सकेगी और अब भारत से बड़ी संख्या में लोग कैलास मानसरोवर जा सकेंगे। यह नया रास्ता बरसात के मौसम में भी सुरक्षित होगा।

जून-सितंबर में होती है यात्रा

मानसरोवर झील समुद्र तल से 4,590 मीटर (15,600 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। विदेश मंत्रालय प्रत्येक वर्ष जून से सितंबर के बीच कैलास मानसरोवर यात्रा का आयोजन करता है। इसमें अधिकतम 1080 यात्री भाग ले सकते हैं। यात्रियों को 18 जत्थों में रवाना किया जाता है। हर जत्थे में 60 यात्री होते हैं।

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