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बच्चा गोद लेने के लिए अब कर सकेंगे Online आवेदन

भोपाल : निसंतान दंपतियों को बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए अब ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। महिला सशक्तिकरण संचालनालय ने बच्चा गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा शुरू कर दी है। इसके लिए आवेदक को वेबसाइट www.adoptionmp.in पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसी वेबसाइट पर प्रदेश के 36 शिशुगृहों में मौजदू बच्चों की संख्या भी डिस्प्ले होगी।

महिला सशक्तिकरण संचालनालय के उपसंचालक हरीश खरे ने बताया कि प्रदेश की गोद देने वाली मान्यता प्राप्त संस्थाओं के संबंध में शिकायत मिल रही थी कि इनके द्वारा प्रतीक्षा सूची में फेरबदल करके बच्चों को गोद दिया जा रहा है। इन शिकायतों के बाद प्रतीक्षा सूची में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रही इस वेबसाइट को प्रदेश के सभी शिशुगृहों से जोड़ दिया गया है।

अब कोर्ट में सीधे नहीं लिए जाएंगे आवेदन

नई व्यवस्था में उन आवेदकों को ही बच्चे गोद दिए जा सकेंगे, जिनका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा। श्री खरे ने बताया कि हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने सभी जिला अदालतों को निर्देशित किया है कि बच्चा गोद लेने के लिए कोर्ट सीधे आवेदन नहीं ले सकती। इसके लिए सारा(स्टेट अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) में रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है। यही नहीं जिला अस्पताल और बाल कल्याण समिति भी बच्चों को सीधे गोद नहीं दे सकती। यदि कोई एजेंसी ऐसा  करती है तो उसके खिलाफ जे जे एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

संदिग्ध स्थिति में इन नंबरों पर दें सूचना

श्री खरे का कहना है कि बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए कोई बच्चा गोद लेता या देता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। अगर संदिग्ध अवस्था में कोई छोटा बच्चा लाया गया है तो जागरूक नागरिक उसकी जानकारी तुरंत 1090, 1098 पर दे सकते हैं।

ये है गोद लेने की सामान्य प्रक्रिया
 
दंपति की उम्र 45 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
दंपति को आवेदन के साथ इनकम सर्टिफिकेट देना अनिवार्य है।
आवेदक की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने पर ही उन्हें बच्चा गोद दिया जाता है। इस संबंध में समिति निर्णय लेती है।
लिव-इन रिलेशनशिप वाले दंपतियों को बच्चा गोद नहीं दिया जाता।
बच्चा गोद देने में नि:संतान दंपति को प्राथमिकता दी जाती है।
आवेदक दंपति का पुलिस सत्यापन एसपी ऑफिस सेकरवाया जाता है।
आवेदक के घर का दौरा किया जाता है।
आस-पड़ोस के वातावरण और सुविधाओं के साथ घर की व्यवस्थाओं को परखा जाता है।
बच्चे को सुपुर्द करने के बाद आवेदक के घर 10 साल तक प्रतिवर्ष दौरा कर फॉलोअप रिपोर्ट तैयार की जाती है।

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