PM मोदी ने ब्लॉग में गिनवाईं विदेश दौरे की उपलब्धियां पढ़िए...
नई दिल्ली : म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी के 10 दिवसीय दौरे से लौटने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग लिखा है. अपने विदेश दौरे पर पहली बार मोदी ने पहली बार कोई ब्लॉग लिखा है. अपने लंबे चौड़े ब्लॉग में पीएम ने बताया है कि उनके 10 दिन के दौरे पर उनकी क्या सफलता रही और क्यों ये दौरा भारत के लिए जरूरी था. पीएम ने अपने ब्लॉग में बताया है कि हर देश के नेता के साथ उनकी क्या-क्या बात हुई और भारत को लेकर इस वक्त दुनिया के नेता क्या सोचते हैं.
प्रिय मित्रों,
19 नवंबर की शाम मेरा म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी का दौरा संपन्न हुआ. मैं स्वदेश लौटते हुए रास्ते में विदेश यात्रा के 10 दिनों के बारे में सोच रहा था कि भारत ने इससे क्या हासिल किया. इसी दौरान ख्याल आया कि मुझे अपने विचार ब्लॉग के जरिए साझा करने चाहिए. शुरुआत करने से पहले यह जरूरी है कि इस विदेश यात्रा का ऐतिहासिक महत्व समझा जाए. जहां तक ऑस्ट्रेलिया की बात है तो यह 28 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला दौरा था. इसी प्रकार से फिजी पहुंचने में 33 साल लग गए. सूचना क्रांति के इस दौर में दुनिया भर के लोग करीब आ रहे हैं, लेकिन हम इन देशों तक नहीं पहुंच सके. ये दोनों ही राष्ट्र बेहद महत्वपूर्ण हैं.
मैंने सोचा यह स्थिति बदलनी चाहिए...मैंने कुल पांच अहम बैठकों में शिरकत की. इनमें एक की मेजबानी भी की, जिसे फिजी में आयोजित किया गया था. मैंने कुल 38 वर्ल्ड लीडर्स के साथ मुलाकात की. इनमें 20 द्विपक्षीय वार्ताएं शामिल हैं. मैं दुनिया के हर हिस्से से आने वाले नेताओं के साथ मिला. ये सभी बैठकें बेहद अच्छी रहीं. कुछ हमारे लिए लाभकारी भी रहीं. इस दौरान बहुत सारे बिजनेस लीडर्स के साथ मेरी मुलाकात हुई.
इन सभी बैठकों के दौरान मैंने गौर किया कि दुनिया भारत की ओर बेहद सम्मान और उत्साह के साथ देख रही है. वैश्विक समुदाय भारत के साथ जुड़ने के लिए बेहद उत्सुक है. हमने हर नेता के साथ चर्चा की कि कैसे रिश्तों को और विस्तार दिया जा सकता है. ट्रेड-कॉमर्स को मजबूती प्रदान करना और भारत में इंडस्ट्री को बढ़ावा देना बातचीत के केंद्र में था. जिन नेताओं से मैं मिला, उनमें बहुत सारे ऐसे थे, जो 'मेक इन इंडिया' को लेकर काफी उत्सुक दिखे और भारत आना चाहते हैं. मुझे यह सकारात्मक लगा. इससे भारत में युवाओं को अवसर मिलेगा और एक्सपोजर भी. 'नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट सिटीज को लेकर हमारी योजनाओं में भी कुछ देशों के नेताओं ने रुचि दिखाई.
विदेश यात्रा के दौरान मुझे ऑस्ट्रेलिया और फिजी की संसद को संबोधित करने का भी अवसर प्राप्त हुआ. विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधि होने के नाते लोकतंत्र के मंदिरों में जाना और विचार साझा करने का अनुभव बेहद ही सुखद होता है. लोकतांत्रिक देशों के बीच जुड़ाव के लिए इससे बेहतर कोई और तरीका हो ही नहीं सकता. एक तो इसके जरिए मुझे इन देशों के नेतृत्व तक पहुंचने का मौका मिला, दूसरा सहयोग के नए रास्ते खुले. इन देशों के सांसद मुझे भारत को लेकर बेहद आशावादी लगे.
ऑस्ट्रेलिया और फिजी की संसद को पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने संबोधित किया. मुझे तो यहां तक बताया गया कि फिजी की संसद को पहली बार किसी वर्ल्ड लीडर ने संबोधित किया, लेकिन मैं इसे निजी सम्मान के रूप में नहीं देखता. यह तो 125 करोड़ भारतवासियों के प्रति सम्मान है.
जी-20 में भारत ने काले धन का मुद्दा उठया. मुझे खुशी है कि वैश्विक समुदाय ने इस ओर ध्यान दिया, क्योंकि यह ऐसा मुद्दा है, जिसका प्रभाव किसी एक राष्ट्र तक सीमित नहीं है. आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग और नारकोटिक्स ट्रेड में काला धन बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. चूंकि लोकतांत्रिक ताकतें 'रूल ऑफ लॉ' के प्रति समर्पित हैं, इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम मिलकर इसके खिलाफ लड़ें. यह मुद्दा उठाने के लिए जी-20 से बेहतर मंच और क्या हो सकता था.
आसियान सम्मेलन के दौरान मुझे सभी सदस्य राष्ट्रों से मुलाकात का मौका मिला. मेरा मानना है कि आसियान और भारत नए आयाम बना सकते हैं. म्यांमार के राष्ट्रपति थेन सेन के साथ मेरी बातचीत 3C पर केंद्रित रही- कल्चर, कॉमर्स और कनेक्टिविटी. प्रधानमंत्री एबॉट और मैं ऊर्जा, कल्चर, सुरक्षा और परमाणु ऊर्जा जैसे मुद्दों पर बहुत कम समय में तेज गति से आगे बढ़े हैं. ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारत बुलाने के लिए अगले साल 'मेक इन इंडिया' रोड शो का आयोजन किया जाएगा. ऑस्ट्रेलियाई कारोबारी भारत आने के इच्छुक हैं. ऐसे में रोड शो बेहद कारगर रहेगा.
मैं इस विदेश यात्रा के दौरान अनिवासी भारतीयों की ओर से मिले प्यार और सम्मान से अभिभूत हूं. ऑस्ट्रेलिया और फिजी में ओसीआई और पीआईओ को मर्ज करने व वीजा ऑन अराइवल के बारे में जब मैंने घोषणा की तब अनिवासी भारतीयों के चेहरे खिल उठे थे. प्रवासी भारतीयों को विकास यात्रा में शामिल करना हमारा लक्ष्य है और सरकार इसके प्रति पूरी तरह समर्पित है.
प्रिय मित्रों,
19 नवंबर की शाम मेरा म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी का दौरा संपन्न हुआ. मैं स्वदेश लौटते हुए रास्ते में विदेश यात्रा के 10 दिनों के बारे में सोच रहा था कि भारत ने इससे क्या हासिल किया. इसी दौरान ख्याल आया कि मुझे अपने विचार ब्लॉग के जरिए साझा करने चाहिए. शुरुआत करने से पहले यह जरूरी है कि इस विदेश यात्रा का ऐतिहासिक महत्व समझा जाए. जहां तक ऑस्ट्रेलिया की बात है तो यह 28 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला दौरा था. इसी प्रकार से फिजी पहुंचने में 33 साल लग गए. सूचना क्रांति के इस दौर में दुनिया भर के लोग करीब आ रहे हैं, लेकिन हम इन देशों तक नहीं पहुंच सके. ये दोनों ही राष्ट्र बेहद महत्वपूर्ण हैं.
मैंने सोचा यह स्थिति बदलनी चाहिए...मैंने कुल पांच अहम बैठकों में शिरकत की. इनमें एक की मेजबानी भी की, जिसे फिजी में आयोजित किया गया था. मैंने कुल 38 वर्ल्ड लीडर्स के साथ मुलाकात की. इनमें 20 द्विपक्षीय वार्ताएं शामिल हैं. मैं दुनिया के हर हिस्से से आने वाले नेताओं के साथ मिला. ये सभी बैठकें बेहद अच्छी रहीं. कुछ हमारे लिए लाभकारी भी रहीं. इस दौरान बहुत सारे बिजनेस लीडर्स के साथ मेरी मुलाकात हुई.
इन सभी बैठकों के दौरान मैंने गौर किया कि दुनिया भारत की ओर बेहद सम्मान और उत्साह के साथ देख रही है. वैश्विक समुदाय भारत के साथ जुड़ने के लिए बेहद उत्सुक है. हमने हर नेता के साथ चर्चा की कि कैसे रिश्तों को और विस्तार दिया जा सकता है. ट्रेड-कॉमर्स को मजबूती प्रदान करना और भारत में इंडस्ट्री को बढ़ावा देना बातचीत के केंद्र में था. जिन नेताओं से मैं मिला, उनमें बहुत सारे ऐसे थे, जो 'मेक इन इंडिया' को लेकर काफी उत्सुक दिखे और भारत आना चाहते हैं. मुझे यह सकारात्मक लगा. इससे भारत में युवाओं को अवसर मिलेगा और एक्सपोजर भी. 'नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट सिटीज को लेकर हमारी योजनाओं में भी कुछ देशों के नेताओं ने रुचि दिखाई.
विदेश यात्रा के दौरान मुझे ऑस्ट्रेलिया और फिजी की संसद को संबोधित करने का भी अवसर प्राप्त हुआ. विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधि होने के नाते लोकतंत्र के मंदिरों में जाना और विचार साझा करने का अनुभव बेहद ही सुखद होता है. लोकतांत्रिक देशों के बीच जुड़ाव के लिए इससे बेहतर कोई और तरीका हो ही नहीं सकता. एक तो इसके जरिए मुझे इन देशों के नेतृत्व तक पहुंचने का मौका मिला, दूसरा सहयोग के नए रास्ते खुले. इन देशों के सांसद मुझे भारत को लेकर बेहद आशावादी लगे.
ऑस्ट्रेलिया और फिजी की संसद को पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने संबोधित किया. मुझे तो यहां तक बताया गया कि फिजी की संसद को पहली बार किसी वर्ल्ड लीडर ने संबोधित किया, लेकिन मैं इसे निजी सम्मान के रूप में नहीं देखता. यह तो 125 करोड़ भारतवासियों के प्रति सम्मान है.
जी-20 में भारत ने काले धन का मुद्दा उठया. मुझे खुशी है कि वैश्विक समुदाय ने इस ओर ध्यान दिया, क्योंकि यह ऐसा मुद्दा है, जिसका प्रभाव किसी एक राष्ट्र तक सीमित नहीं है. आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग और नारकोटिक्स ट्रेड में काला धन बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. चूंकि लोकतांत्रिक ताकतें 'रूल ऑफ लॉ' के प्रति समर्पित हैं, इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम मिलकर इसके खिलाफ लड़ें. यह मुद्दा उठाने के लिए जी-20 से बेहतर मंच और क्या हो सकता था.
आसियान सम्मेलन के दौरान मुझे सभी सदस्य राष्ट्रों से मुलाकात का मौका मिला. मेरा मानना है कि आसियान और भारत नए आयाम बना सकते हैं. म्यांमार के राष्ट्रपति थेन सेन के साथ मेरी बातचीत 3C पर केंद्रित रही- कल्चर, कॉमर्स और कनेक्टिविटी. प्रधानमंत्री एबॉट और मैं ऊर्जा, कल्चर, सुरक्षा और परमाणु ऊर्जा जैसे मुद्दों पर बहुत कम समय में तेज गति से आगे बढ़े हैं. ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारत बुलाने के लिए अगले साल 'मेक इन इंडिया' रोड शो का आयोजन किया जाएगा. ऑस्ट्रेलियाई कारोबारी भारत आने के इच्छुक हैं. ऐसे में रोड शो बेहद कारगर रहेगा.
मैं इस विदेश यात्रा के दौरान अनिवासी भारतीयों की ओर से मिले प्यार और सम्मान से अभिभूत हूं. ऑस्ट्रेलिया और फिजी में ओसीआई और पीआईओ को मर्ज करने व वीजा ऑन अराइवल के बारे में जब मैंने घोषणा की तब अनिवासी भारतीयों के चेहरे खिल उठे थे. प्रवासी भारतीयों को विकास यात्रा में शामिल करना हमारा लक्ष्य है और सरकार इसके प्रति पूरी तरह समर्पित है.
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