महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी में समझौता
मुंबई : महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी के बीच गतिरोध आखिरकार सुलझ गया है. शिवसेना अब प्रदेश की बीजेपी सरकार में शामिल होगी . सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, उसे चार कैबिनेट मंत्री पद और 6 राज्य मंत्री पद दिए जा सकते हैं. खबरों के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री का पद शिवसेना को नहीं दिया जाएगा. शिवसेना के विधायक बुधवार को मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. हालांकि इस पर शिवसेना की आखिरी मुहर लगनी बाकी है.
याद रहे कि महाराष्ट्र चुनाव से पहले बीजेपी और शिवसेना का पुराना गठबंधन टूट गया था. चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना ने बीजेपी के लिए 'श्राद्ध के कौवे' जैसे तल्ख शब्दों का इस्तेमाल किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना को 'हफ्तावसूली पार्टी' और एनसीपी को 'नैचुरली करप्ट पार्टी' कहा था. लेकिन सदन में फड़नवीस सरकार ने एनसीपी के समर्थन से 'विवादित' विश्वास मत हासिल कर लिया. इस विश्वास मत को शिवसेना ने 'फर्जी' बताया था और राज्यपाल की गाड़ी के आगे खूब हंगामा भी किया था. लेकिन कुछ उच्चस्तरीय बैठकों के बाद बीजेपी और शिवसेना के बीच सब कुछ ठीक बताया जा रहा है. यह संभवत: पहली बार है कि किसी राज्य का प्रमुख विपक्षी दल सीधे-सीधे सरकार में शामिल होने जा रहा है.
शिवसेना को गृह, आवास, राजस्व और ऊर्जा जैसे बड़े विभाग नहीं मिलेंगे. इनकी जगह उसे जल संरक्षण, उद्योग और पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग दिए जा सकते हैं. शिवसेना गृह विभाग चाहती थी, लेकिन उसे गृह राज्य मंत्री का पद मिल सकता है. खबर यह भी है कि शिवसेना को केंद्र में एक अतिरिक्त मंत्री पद भी मिल सकता है.
इससे पहले दोनों पार्टियों के बीच गतिरोध सुलझने की पुष्टि उसी वक्त हो गई थी जब सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा था कि मामले पर 80 फीसदी बातचीत हो चुकी है. सीएम ने सुझाव देते हुए कहा था कि जो लोग बातचीत से जुड़े हुए नहीं हैं, उन्हें मामले में कुछ नहीं बोलना चाहिए.
सोमवार को दोनों पार्टियों के बीच हुई बैठक के दौरान फड़नवीस सरकार के कुछ कैबिनेट मंत्री भी मौजूद थे. शिवसेना नेताओं की फड़नवीस के साथ रविवार रात हुई मुलाकात से पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान, राज्य सहकारिता मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने उद्धव ठाकरे से करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत की थी, लेकिन किसी भी पक्ष ने आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा. इसके अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी.
गौरतलब है कि शिवसेना और भाजपा की सरकार पहली बार महाराष्ट्र में 1995 में बनी थी और उस समय शिवसेना ने मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री बनाया था, जबकि उपमुख्यमंत्री का पद भाजपा के गोपीनाथ मुंडे को दिया गया था. 2014 लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद हुआ था, जिसके बाद गठबंधन टूट गया था.
याद रहे कि महाराष्ट्र चुनाव से पहले बीजेपी और शिवसेना का पुराना गठबंधन टूट गया था. चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना ने बीजेपी के लिए 'श्राद्ध के कौवे' जैसे तल्ख शब्दों का इस्तेमाल किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना को 'हफ्तावसूली पार्टी' और एनसीपी को 'नैचुरली करप्ट पार्टी' कहा था. लेकिन सदन में फड़नवीस सरकार ने एनसीपी के समर्थन से 'विवादित' विश्वास मत हासिल कर लिया. इस विश्वास मत को शिवसेना ने 'फर्जी' बताया था और राज्यपाल की गाड़ी के आगे खूब हंगामा भी किया था. लेकिन कुछ उच्चस्तरीय बैठकों के बाद बीजेपी और शिवसेना के बीच सब कुछ ठीक बताया जा रहा है. यह संभवत: पहली बार है कि किसी राज्य का प्रमुख विपक्षी दल सीधे-सीधे सरकार में शामिल होने जा रहा है.
शिवसेना को गृह, आवास, राजस्व और ऊर्जा जैसे बड़े विभाग नहीं मिलेंगे. इनकी जगह उसे जल संरक्षण, उद्योग और पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग दिए जा सकते हैं. शिवसेना गृह विभाग चाहती थी, लेकिन उसे गृह राज्य मंत्री का पद मिल सकता है. खबर यह भी है कि शिवसेना को केंद्र में एक अतिरिक्त मंत्री पद भी मिल सकता है.
इससे पहले दोनों पार्टियों के बीच गतिरोध सुलझने की पुष्टि उसी वक्त हो गई थी जब सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा था कि मामले पर 80 फीसदी बातचीत हो चुकी है. सीएम ने सुझाव देते हुए कहा था कि जो लोग बातचीत से जुड़े हुए नहीं हैं, उन्हें मामले में कुछ नहीं बोलना चाहिए.
सोमवार को दोनों पार्टियों के बीच हुई बैठक के दौरान फड़नवीस सरकार के कुछ कैबिनेट मंत्री भी मौजूद थे. शिवसेना नेताओं की फड़नवीस के साथ रविवार रात हुई मुलाकात से पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान, राज्य सहकारिता मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने उद्धव ठाकरे से करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत की थी, लेकिन किसी भी पक्ष ने आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा. इसके अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी.
गौरतलब है कि शिवसेना और भाजपा की सरकार पहली बार महाराष्ट्र में 1995 में बनी थी और उस समय शिवसेना ने मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री बनाया था, जबकि उपमुख्यमंत्री का पद भाजपा के गोपीनाथ मुंडे को दिया गया था. 2014 लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद हुआ था, जिसके बाद गठबंधन टूट गया था.

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