नीतीश का दिल्ली दौरा: क्या हो सकता है मांझी के भविष्य का फैसला?
नई दिल्ली : जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुरुवार को दिल्ली आगमन को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस बीच बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के 'भविष्य' को लेकर भी विचार विमर्श हो सकता है।
नीतीश कुमार ने दिल्ली जाने से पूछा गया कि क्या मांझी जी मुख्यमंत्री रहेंगे, तब नीतीश ने कहा कि 'ऐसा आश्वासन देने वाले हम कौन होते हैं...।' लेकिन उन्होंने यह साफ कर दिया कि वह दिल्ली विलय के संबंध में बातचीत करने जा रहे हैं और उनकी यात्रा का बिहार की राजनीतिक सरगर्मी से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने साफ किया कि किसी कार्यक्रम के लिए उन्हें दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है। नीतीश ने यह भी दावा किया कि जनता दल (यू) में सबुकछ ठीक ठाक है।
हालांकि उनकी इस यात्रा के पीछे मुख्य योजना तो उनके जनता परिवार के घटक दलों के बीच विलय की प्रक्रिया पर विचार विमर्श की बताई जा रही है। मगर, साथ ही मांझी के भविष्य पर चर्चा की सम्भावना से न तो जनता दाल (यू) के नेता और न ही राष्ट्रीय जनता दाल के नेता इंकार रकर रहे हैं।
वैसे भी मांझी ने पिछले 48 घंटों में अपने बयानों और निर्णय से साफ कर दिया हैं कि वह नीतीश कुमार के इशारे पर चलने वाले नहीं हैं। उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि सरकार भी वह अपनी मर्जी और अपने अलग एजेंडे के साथ ही चलाएंगे।
नीतीश कुमार के नजदीकियों की मानें तो नीतीश मांझी के कदमों से न केवल दुखी हैं बल्कि उनको सीएम बनाए जाने के के फैसले पर अफसोस भी जाहिर कर रहे हैं। वहीं मांझी के नजदीकियों का कहना हैं कि पिछले कुछ महीनों में अपने कामों से न केवल उन्होंने पार्टी के विधायकों का दिल जीता है बल्कि दलित समाज के नए नेता बनकर भी उभरे हैं। ऐसे में उनकी लोकप्रियता को कोई पचा नहीं पा रहा और फिलहाल उन्हें 'छेड़ना' मुश्किल है क्योंकि इससे वह बीजेपी के पाले में भी जा सकते हैं। मांझी आगामी विधानसभा चुनावों में महादलित वोटर के नए अवतार बनकर उभरेंगे।
वैसे जनता दाल (यू) और राष्ट्रीय जनता दाल के नेता मानते हैं कि मांझी को जितनी ढील दी जाएगी, वह महागठबंधन के हितों का नुकसान ही करेंगे। इसलिए, उनके सम्बन्ध में अब कोई भी निर्णय पार्टी को जल्द से जल्द लेना चाहिए। मांझी को शायद अपने खिलाफ बन रहे इस माहौल का अंदाजा हो चुका हैं इसलिए उन्होंने पार्टी नेताओं को खुश रखने के लिए बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी भी शुरू कर दी है।
नीतीश कुमार ने दिल्ली जाने से पूछा गया कि क्या मांझी जी मुख्यमंत्री रहेंगे, तब नीतीश ने कहा कि 'ऐसा आश्वासन देने वाले हम कौन होते हैं...।' लेकिन उन्होंने यह साफ कर दिया कि वह दिल्ली विलय के संबंध में बातचीत करने जा रहे हैं और उनकी यात्रा का बिहार की राजनीतिक सरगर्मी से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने साफ किया कि किसी कार्यक्रम के लिए उन्हें दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है। नीतीश ने यह भी दावा किया कि जनता दल (यू) में सबुकछ ठीक ठाक है।
हालांकि उनकी इस यात्रा के पीछे मुख्य योजना तो उनके जनता परिवार के घटक दलों के बीच विलय की प्रक्रिया पर विचार विमर्श की बताई जा रही है। मगर, साथ ही मांझी के भविष्य पर चर्चा की सम्भावना से न तो जनता दाल (यू) के नेता और न ही राष्ट्रीय जनता दाल के नेता इंकार रकर रहे हैं।
वैसे भी मांझी ने पिछले 48 घंटों में अपने बयानों और निर्णय से साफ कर दिया हैं कि वह नीतीश कुमार के इशारे पर चलने वाले नहीं हैं। उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि सरकार भी वह अपनी मर्जी और अपने अलग एजेंडे के साथ ही चलाएंगे।
नीतीश कुमार के नजदीकियों की मानें तो नीतीश मांझी के कदमों से न केवल दुखी हैं बल्कि उनको सीएम बनाए जाने के के फैसले पर अफसोस भी जाहिर कर रहे हैं। वहीं मांझी के नजदीकियों का कहना हैं कि पिछले कुछ महीनों में अपने कामों से न केवल उन्होंने पार्टी के विधायकों का दिल जीता है बल्कि दलित समाज के नए नेता बनकर भी उभरे हैं। ऐसे में उनकी लोकप्रियता को कोई पचा नहीं पा रहा और फिलहाल उन्हें 'छेड़ना' मुश्किल है क्योंकि इससे वह बीजेपी के पाले में भी जा सकते हैं। मांझी आगामी विधानसभा चुनावों में महादलित वोटर के नए अवतार बनकर उभरेंगे।
वैसे जनता दाल (यू) और राष्ट्रीय जनता दाल के नेता मानते हैं कि मांझी को जितनी ढील दी जाएगी, वह महागठबंधन के हितों का नुकसान ही करेंगे। इसलिए, उनके सम्बन्ध में अब कोई भी निर्णय पार्टी को जल्द से जल्द लेना चाहिए। मांझी को शायद अपने खिलाफ बन रहे इस माहौल का अंदाजा हो चुका हैं इसलिए उन्होंने पार्टी नेताओं को खुश रखने के लिए बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी भी शुरू कर दी है।
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