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सोनिया की अगुवाई में कांग्रेस का राष्ट्रपति भवन तक मार्च

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश में कथित रूप से बढ़ती असहनशीलता के माहौल के खिलाफ मोर्चा संभाला और राष्ट्रपति भवन तक पार्टी नेताओं के मार्च की अगुवाई की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुप्पी साधकर नफरत फैलाने वाली घटनाओं को ‘समर्थन’ देने का आरोप लगाया।

संसद से रायसीना हिल तक के एक किलोमीटर की दूरी के मार्च में 100 से ज्यादा पार्टी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के बाद सोनिया ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें देश में ‘डर, असहिष्णुता और दबाव के माहौल’ पर चिंता जताई गयी और इस माहौल के लिए सत्ता प्रतिष्ठान के कुछ वगोर्ं को जिम्मेदार ठहराया गया।

सोनिया ने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदीजी से जुड़े कुछ संगठन, कुछ लोग या सरकार में शामिल कुछ लोग भारत की समग्र संस्कृति और बुनियादी मूल्यों पर हमला कर रहे हैं। असहनशीलता पैदा हो रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश में जो भी घटनाएं हो रहीं हैं, एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं जो जानबूझकर हमारे समाज को बांटने के लिए अपनाई जा रही है।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी पूरी शक्ति के साथ इन ताकतों से लड़ेगी।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश में जो कुछ हो रहा है, वह प्रत्येक नागरिक के लिए गहरी चिंता का विषय है और राष्ट्रपति ने इस पर अपने विचार स्पष्ट कर दिये हैं।

सोनिया के साथ इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संसद में पार्टी के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे और गुलाम नबी आजाद के साथ ही राहुल गांधी और ए के एंटनी भी थे। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन प्रधानमंत्री चुप हैं जिससे साफ संकेत है कि वह इन सभी घटनाओं का समर्थन करते हैं।’’ कांग्रेस ने दादरी कांड, गोमांस विवाद और ऐसी अन्य घटनाओं से देश में बन रहे असहिष्णुता के माहौल पर लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों के विरोध प्रदर्शन के बीच यह मार्च निकाला।

राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें इन घटनाओं पर बोलना जरूरी नहीं लगता जबकि राष्ट्रपति और आरबीआई के गवर्नर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। राहुल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का मानना है कि देश में कुछ नहीं हो रहा और उन्हें लगता है कि सबकुछ ठीक है। यह समस्या की जड़ है। ये लोग असहनशीलता में भरोसा रखते हैं। वैचारिक रूप से वे सहनशील नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल कांग्रेस पार्टी का मामला नहीं है। यह प्रत्येक भारतीय की समस्या है। और प्रधानमंत्री इसमें भरोसा नहीं रखते।’’

असहिष्णुता के माहौल के खिलाफ प्रदर्शन को बनावटी विरोध बताये जाने के वित्त मंत्री अरण जेटली के बयानों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, ‘‘हां, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के लोग इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। वित्त मंत्री को लगता है कि कुछ नहीं हो रहा। उन्हें गांवांे में जाकर देखना चाहिए कि क्या हो रहा है।’’

उन्होंने केंद्रीय मंत्री वी के सिंह पर हमला करते हुए कहा, ‘‘जब दो दलित बच्चों की जलने से मौत हो गयी तो उन्होंने कुत्तों से तुलना की। उन्हें कैबिनेट में नहीं होना चाहिए।’’ राहुल ने कहा, ‘‘बड़ी संख्या में लोगों ने साफ कर दिया है कि वे इस देश को देखने के इस सरकार के नजरिये से नाखुश हैं।’’ वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों पर सवाल को टाल गये।

कांग्रेस ने ज्ञापन में राष्ट्रपति से कहा, ‘‘भड़काउ बयानों और गतिविधियों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गयी।’’ इसमें कहा गया, ‘‘विभिन्न वगोर्ं के प्रतिष्ठित पुरषों और महिलाओं ने बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ अपनी आवाज उठाई लेकिन वरिष्ठ मंत्रियों ने विशेषतया असंयमित तरीके से इन गतिविधियों को छोटा करके दिखाया।’’

पार्टी ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री की चुप्पी और निष्क्रियता से केवल यह धारणा बनी है कि जो कुछ हो रहा है, वह उसे ऐसे ही चलने दे रहे हैं।’’ कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से कहा कि देश में सामाजिक और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए विनाशकारी अभियान चलाया जा रहा है। समाज का ध्रुवीकरण करने और सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने के उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है।

ज्ञापन के अनुसार, ‘‘हम माननीय राष्ट्रपति जी से विनम्रता पूर्वक अनुरोध करना चाहेंगे कि वह अपने पद के राजनीतिक और न्यायसंगत अधिकारों का इस्तेमाल कर प्रधानमंत्री को समझाएं कि यह अस्वीकार्य है।’’ पार्टी ने कहा, ‘‘भारत को अनुदार लोकतंत्र के रास्ते पर बढ़ाया जा रहा है। यह प्रत्येक नागरिक और सभी भारतीयों के लिए गहरी चिंता की बात है।’’ विपक्षी दल ने असहनशीलता, कट्टरता और पूर्वाग्रह वाली ताकतों के खिलाफ सख्ती से और स्पष्ट तरीके से बात रखने के लिए राष्ट्रपति का शुक्रिया अदा किया, वहीं पार्टी के ज्ञापन में इस बात पर खेद प्रकट किया गया कि प्रधानमंत्री ने ऐसा करना उचित नहीं समझा।

ज्ञापन के मुताबिक, ‘‘बुरी स्थिति है कि उनका मंत्रिपरिषद लगातार ऐसे लोगों को आश्रय दे रहा है जो नफरत और विभाजन फैलाने में जमकर योगदान दे रहे हैं।’’

ज्ञापन में कहा गया, ‘‘कांग्रेस सत्ता में बैठे लोगों के कुछ वगोर्ं द्वारा जानबूझकर बनाये जा रहे डर, असहनशीलता और डराने-धमकाने के माहौल पर गहरी चिंता प्रकट करती है।’’ ज्ञापन में कहा गया, ‘‘कांग्रेस के इतिहास, विरासत और उपलब्धियों के रिकॉर्ड को देखते हुए, जिन्हें मिटाया नहीं जा सकता, पार्टी की लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। हम जिम्मेदाराना तरीके से अपनी भूमिका अदा करेंगे।’’ प्रतिनिधिमंडल में कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, अरणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी, पूर्व मुख्यमंत्रियों में अशोक गहलोत, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चव्हाण, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों में अशोक तंवर, अशोक चव्हाण, ईवीकेएस इलनगोवन, प्रताप सिंह बाजवा और सचिन पायलट आदि शामिल थे।

अमरिंदर सिंह लंबे समय बाद पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल हुए। इस तरह से उन्होंने कुछ दिनों तक नाराजगी के बाद पार्टी आलाकमान के साथ अपने संबंधों में फिर से गरमाहट आने का संकेत दिया।

पुलिस ने मार्च के मार्ग में बैरिकेड लगाये थे और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया था। कई कांग्रेस नेता राष्ट्रपति भवन तक मार्च में शामिल नहीं हो सके क्योंकि पुलिस ने केवल छोटे प्रतिनिधिमंडल को जाने की अनुमति दी थी।

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