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ओबामा का ''टाउन हॉल'' भाषण भाजपा पर टिप्पणी नहीं था : अमेरिका

वाशिंगटन : अमेरिका ने इन आरोपों से इंकार किया है कि भारत में धार्मिक चरमपंथ के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का सिरीफोर्ट आडिटोरियम का भाषण सत्तारुढ भाजपा को निशाने पर रख कर दिया गया था.

भारत की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन 27 जनवरी को राष्ट्रपति द्वारा दिया गया भाषण अमेरिका और भारत दोनों के लिए अपनी संपूर्णता में आधारभूत लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में था. व्हाइट हाउस ने कल यह बात कही है. दिल्ली के सिरीफोर्ट सभागार में अमेरिकी शैली की 'टाउन हाल बैठक' में अपने 35 मिनट के भाषण में ओबामा ने धार्मिक सहिष्णुता की पुरजोर वकालत करते हुए चेतावनी दी थी कि जब तक भारत धार्मिक आस्था के आधार पर बंटेगा नहीं तब तक तरक्की करता रहेगा.

व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में दक्षिण एशियाई मामलों के वरिष्ठ निदेशक फिल रीनर ने कहा, मैं यह नहीं मानता कि यह किसी भी तरह से चेतावनी देने वाला था. यह सामान्य रुप से राष्ट्रपति ने उन चीजों के बारे में कहा था जो हमें महान लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाती हैं.    

वाशिंगटन फोरेन प्रेस सेंटर में रीनर ने संवाददाताओं को बताया, यदि आप संपूर्णता में इस भाषण को देखें तो यह इस बारे में था कि कैसे अमेरिका और भारत दोनों में ये आधारभूत लोकतांत्रिक मूल्य और सिद्धांत समाए हुए हैं, जो हमें हमारे लोगों की लगातार सेवा करने की अनुमति देते हैं. सवालों के जवाब में रीनर ने इन आरोपों का पुरजोर खंडन किया कि ओबामा की धार्मिक सहिष्णुता संबंधी टिप्पणियां सत्तारुढ भाजपा को निशाना बनाते हुए की गयी थीं.

उन्होंने तर्क दिया, प्रधानमंत्री ने भी उससे पिछली रात समान मूल्यों और मूल सिद्धांतों के बारे में अपनी बात रखी थी. यदि आप दिल्ली घोषणापत्र को देखें तो यह हमारे दोनों के बीच मूल सिद्धांत के रुप में मौलिक स्वतंत्रता पर पहला बयान है जिस पर हम सहमत हुए.

रीनर ने इस बात पर जोर दिया, यदि आप पूरे भाषण की विषयवस्तु को देखें तो यह वास्तव में समावेश के बारे में है. यह विविधता की ताकत के बारे में है. यह इस बारे में है कि कैसे समाज में प्रत्येक व्यक्ति का सशक्तिकरण वास्तव में आर्थिक वृद्धि का सृजन करता है और इन सभी पहलों में हमें साझा भागीदार बनाता है. धर्मांतरण और कुछ हिंदू संगठनों के 'घर वापसी' कार्यक्रमों पर उपजे विवाद की खबरों के बीच ओबामा की टिप्पणियों ने सोशल मीडिया में एक गहन बहस छेड़ दी थी जिसमें कुछ लोगों ने 'भारत को नसीहत' देने के लिए ओबामा की आलोचना की थी और कुछ ने इसे सरकार को समय से दी गयी नसीहत करार दिया था.

सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में करीब 1500 लोगों की मौजूदगी में ओबामा का भाषण अमेरिकी राष्ट्रपति का एकमात्र सार्वजनिक कार्यक्रम था, जिसमें कोई भारतीय नेता उनके साथ नहीं था. उनके भाषण के बीच कई बार जोरदार तालियां गूंजी थीं.

रीनर ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच संवाद के संदर्भ में एक चीज जो मैं देख सकता हूं, वह है भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया की भूमिका और वह नजीर जो यह पेश करता है. उन्होंने कहा, हमने इसकी ताकत देखी है, इतिहास में विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के चुनाव का प्रतीकात्मक तत्व और वह उदाहरण जो ये संभवत: पेश करता है, यदि आप श्रीलंका की स्थिति को देखें.

रीनर ने कहा, निस्संदेह, बांग्लादेश में स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन मैं समझता हूं कि इस यात्रा के दौरान दोनों नेता लोकतांत्रिक ताकतों की शक्ति की ओर इशारा करने में सक्षम रहे, वह ताकत जो सभी नागरिकों को सशक्त बना सकती है. उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि यह एक सतत संवाद है जिसे हमने दोनों नेताओं के बीच देखा है और जिसे हम बेहद गंभीरता से लेते हैं और जिसे हम प्रोत्साहित करना जारी रखेंगे.

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