क्या ऐसा भी होता है, हत्या का दोषी कर रहा है अस्पताल में एसो आराम
गोरखपुर : स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया है मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी अमरमणि त्रिपाठी का रसूख। कैसे वो सजा के नाम पर अपने गृह जनपद गोरखपुर के एक अस्पताल में ऐश की जिंदगी गुजार रहा है। अमरमणि त्रिपाठी और उसकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद हुई है लेकिन अंडरकवर रिपोर्टर ने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान देखा कि कैसे अमरमणि त्रिपाठी ने सरकारी अस्पताल के पूरे एक हिस्से पर कब्जा कर रखा है। मरीज, डॉक्टर या किसी अन्य को अस्पताल के इस हिस्से में आने की इजाजत नहीं है। अमरमणि और उसकी पत्नी को दो साल पहले उत्तराखंड की जेल से डिप्रेशन और मानसिक तनाव के इलाज के लिए यहां शिफ्ट किया गया था।
स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया है कि कैसे अमरमणि सजा के नाम पर अपने गृह जनपद गोरखपुर के एक अस्पताल में ऐश की जिंदगी गुजार रहा है। न्यूज चैनल के अंडरकवर रिपोर्टर ने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान देखा कि कैसे अमरमणि ने सरकारी अस्पताल के पूरे एक हिस्से पर अपना कब्जा जमा रखा है। यहां मरीज, डॉक्टर या किसी दूसरे को अस्पताल के इस हिस्से में आने की अनुमति नहीं है। गौर हो कि अमरमणि और उसकी पत्नी को दो साल पहले उत्तराखंड की जेल से डिप्रेशन और मानसिक तनाव के इलाज के लिए यहां शिफ्ट किया गया था।
खुफिया कैमरे पर रिकॉर्ड बातचीत में अमरमणि ने दावा किया कि सरकार में उसका रसूख है और वह किसी को भी मनचाही जगह पर पोस्टिंग दिलवा सकता है। स्टिंग के मुताबिक अमरमणि को विश्वास है कि अपने रसूख का इस्तेमाल कर वह पत्नी की हत्या के आरोप में जेल में बंद अपने बेटे को भी जल्द छुड़ा लेगा। बेटे के केस के बारे में पूछने पर अमरमणि का जवाब था कि उस केस में कुछ नहीं है, दो चार दिन में खत्म करवा देंगे।
स्टिंग ऑपरेशन के मुताबिक अमरमणि अस्पताल परिसर में ही जनता दरबार लगाता है और अपने चुनाव क्षेत्र के लोगों की फरियाद सुनता है। अस्पताल के एक कमरे को उसकी रसोई में तब्दील कर दिया गया है जहां उसकी पसंद के पकवान भी बनते हैं। गौर हो कि वर्ष 2003 में हुए मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सीबीआई जांच के बाद अमरमणि को गिरफ्तार किया गया था । साजिश रचने के आरोप में फरार उसकी पत्नी ने अदालत में सरेंडर किया था। वर्ष 2007 में दोनों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी और उन्हें उत्तराखंड की जेल में भेज दिया गया। पिछले दो साल से वो मानसिक तनाव के इलाज के लिए गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती है।
स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया है कि कैसे अमरमणि सजा के नाम पर अपने गृह जनपद गोरखपुर के एक अस्पताल में ऐश की जिंदगी गुजार रहा है। न्यूज चैनल के अंडरकवर रिपोर्टर ने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान देखा कि कैसे अमरमणि ने सरकारी अस्पताल के पूरे एक हिस्से पर अपना कब्जा जमा रखा है। यहां मरीज, डॉक्टर या किसी दूसरे को अस्पताल के इस हिस्से में आने की अनुमति नहीं है। गौर हो कि अमरमणि और उसकी पत्नी को दो साल पहले उत्तराखंड की जेल से डिप्रेशन और मानसिक तनाव के इलाज के लिए यहां शिफ्ट किया गया था।
खुफिया कैमरे पर रिकॉर्ड बातचीत में अमरमणि ने दावा किया कि सरकार में उसका रसूख है और वह किसी को भी मनचाही जगह पर पोस्टिंग दिलवा सकता है। स्टिंग के मुताबिक अमरमणि को विश्वास है कि अपने रसूख का इस्तेमाल कर वह पत्नी की हत्या के आरोप में जेल में बंद अपने बेटे को भी जल्द छुड़ा लेगा। बेटे के केस के बारे में पूछने पर अमरमणि का जवाब था कि उस केस में कुछ नहीं है, दो चार दिन में खत्म करवा देंगे।
स्टिंग ऑपरेशन के मुताबिक अमरमणि अस्पताल परिसर में ही जनता दरबार लगाता है और अपने चुनाव क्षेत्र के लोगों की फरियाद सुनता है। अस्पताल के एक कमरे को उसकी रसोई में तब्दील कर दिया गया है जहां उसकी पसंद के पकवान भी बनते हैं। गौर हो कि वर्ष 2003 में हुए मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सीबीआई जांच के बाद अमरमणि को गिरफ्तार किया गया था । साजिश रचने के आरोप में फरार उसकी पत्नी ने अदालत में सरेंडर किया था। वर्ष 2007 में दोनों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी और उन्हें उत्तराखंड की जेल में भेज दिया गया। पिछले दो साल से वो मानसिक तनाव के इलाज के लिए गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती है।
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