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मुख्यमंत्री के रूप में शिव राज के दस साल बेमिशाल

कोशिशों से बीते दस वर्षों का हर दिन विकास और जनकल्याण को समर्पित रहा। लक्ष्य तय करके संकल्प लेना और फिर उसे पूरा करने के नेतृत्व कौशल ने ही दस वर्षों में विकास की नई परिभाषा गढ़ दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राजनैतिक यात्रा ने उन्हें जननेता बना दिया है। भारतीय राजनीति और राज व्यवस्था में क्रांतिकारी योजनाओं ने देश-दुनिया में मध्यप्रदेश को नई पहचान दी है। बीते दस वर्षों के उनके कार्यकाल में मध्यप्रदेश ने अनेक उपलब्धियां हासिल की और ये प्रदेश पुरस्कारों का प्रदेश कहलाने लगा। लोक-कल्याण के लिये राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाने वाले मुख्यमंत्री ने सुशासन की मिसाल पेश करके जनता की आवाज बनने का श्रेय भी पाया। उनके ओजस्वी भाषणों में उनकी संवेदनशीलता की झलक दिखाई देती है।


मध्यप्रदेश ने भी पिछले 10 वर्ष में सुशासन, विकास, प्रगति और उपलब्धियों से रोशन पायदानों पर कदम रखते हुए विकसित राज्य बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। अंतरर्राष्ट्रीय उद्योग जगत के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों का मध्यप्रदेश में निवेश के प्रति इच्छा जताना पिछले एक दशक में राज्य शासन द्वारा तेज गति से किए गए विकास का सुखद परिणाम है। समृद्धि एवं विकास की ओर लक्षित मध्यप्रदेश की झलक केवल योजनाओं और भाषणों में ही नहीं दिखाई देती, बल्कि समस्याओं के तत्काल समाधान के लिए किये गए उनके उपाय भी आम जनमानस को लाभान्वित कर रहे हैं।


पिछले 10 साल में प्रदेश के लोगों ने अंधेरे से उजाले की ओर कदम बढ़ाए। मध्यप्रदेश बिजली उत्पादन में न केवल आत्म-निर्भर बना बल्कि दूसरे राज्यों को देने की स्थिति में भी आ गया। सड़क के लिए बदनाम मध्यप्रदेश में सड़कों का जो जाल बिछा। जलाभिषेक महोत्सव ने आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी का इंतजाम किया। मध्यप्रदेश ने पिछले एक दशक में कई राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी अपने नाम किए हैं। आओ बनाए अपना मध्यप्रदेशश्, मध्यप्रदेश गानश् और पिछले कुछ वर्ष से मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर होने वाले शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री से लेकर आखिर छोर तक के व्यक्ति की भागीदारी ने राज्य के प्रति आम आदमी में अपनत्व की भावना को मजबूत किया है। मुख्यमंत्री ने अपनी कर्मशीलता से  प्रदेश को देश का अग्रणी प्रदेश बनाने के असंभव से दिखने वाले लक्ष्य के करीब ला खड़ा किया है। आज देश ही नहीं विदेश में भी मध्यप्रदेश के जनहितैषी कार्यक्रम, नवाचारों और उपलब्धियों को अवार्ड और सम्मानों के जरिये सराहा जा रहा है।



-- खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये तीन बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला।

-- मुम्बई में जनवरी-2014 में स्टेट ऑफ द इयर पुरस्कार।

--नई दिल्ली में दिसम्बर-2012 में तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष से डायमण्ड स्टेट अवार्ड प्राप्त किया।

-- नई दिल्ली में जून-2013 में उप राष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी ने चेन्ज ओवर इकानॉमिक केटेगरी अवार्ड प्रदान किया।

-- जून-2014 में नई दिल्ली के इण्डिया हेबिटेट सेंटर में मध्यप्रदेश को प्रतिष्ठित स्कॉच फायनेंशियल इन्क्लूजन और डीपनिंग अवार्ड-2014 तथा स्कॉच अवार्ड ऑफ मेरिट सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया।

-- मध्यप्रदेश में विकेन्द्रीकृत नियोजन के बेहतरीन काम के लिये राष्ट्रीय-स्तर का प्लेटिनम स्कॉच अवार्ड सितम्बर, 2014 में मिला।

-- वरिष्ठ नागरिकों के लिये सेवाएँ और सुविधाएँ मुहैया करवाने के लिये मध्यप्रदेश को घोषित सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार अक्टूबर-2013

-- विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिये मध्यप्रदेश को सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता का अतिरिक्त पुरस्कार (नियोक्ता) फरवरी-2013 में।

-- राष्ट्रपति द्वारा मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय सेवा योजन के सबसे ज्यादा 4 पुरस्कार दिये गये।

-- 7 दिसम्बर 2014 को साउथ एशिया एंड एशिया पेसिफिक मंथन अवार्ड प्रस्तुत किया गया।

-- जनवरी-2013 में स्पर्श अभियान के उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिये मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस अवार्ड भी प्राप्त हुआ।

-- फरवरी, 2011 में मध्यप्रदेश सरकार को ई-शासन में विशेष पहल के लिये भारत सरकार ने नेशनल ई-गवर्नेंस अवार्ड से पुरस्कृत किया।

-- मध्यप्रदेश को 19 जुलाई, 2013 को नई दिल्ली में एक समारोह में ग्रामीण हाट योजना शुरू करने की अभिनव पहल के लिये संयुक्त राष्ट्र जन-सेवा अवार्ड-2013 से सम्मानित किया गया।

-- प्रदेश को यूनाइटेड नेशन्स पब्लिक सर्विस अवार्ड-2012 इम्प्रूविंग द डिलेवरी ऑफ पब्लिक सर्विसेस श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।

-- ब्राजील में 21 जून, 2012 को वूमेन गुड प्रेक्टिस अवार्ड रियो प्लस 20 में जल तथा स्वच्छता श्रेणी में मध्यप्रदेश को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

-- राज्य सरकार की लाड़ली लक्ष्मी डॉट काम और दत्तक-ग्रहण योजना के लिये तैयार की गई अनमोल वेबसाइट को सितम्बर, 2014 में स्कॉच आर्डर ऑफ मेरिट अवार्ड मिला। सितम्बर, 2014 में ही ई-लाड़ली को प्लेटिनम अवार्ड दिया।

-- दिसम्बर-2012 में ई-उपार्जन के लिये अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस प्राप्त हुआ। मध्यप्रदेश को ई-भुगतान के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिये गोल्ड अवार्ड और स्टेट ऑफ द इयर अवार्ड सितम्बर, 2012 में मिला

-- सितम्बर, 2011 में अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरण के मामले में केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश को मॉडल राज्य माना और अन्य राज्यों को अनुसरण की सलाह दी।

-- अप्रैल, 2011 में वैश्विक परिदृश्य पर मध्यप्रदेश की पहचान एक निवेश मित्र राज्य के रूप में स्थापित हुई।

-- खेलों में बेहतरीन काम के लिये केन्द्र सरकार ने खेल दिवस-29 अगस्त 2010 को मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन अवार्ड से नवाजा। 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कार्यकाल में मध्यप्रदेश शासन जहाँ देश और विदेश में अपनी तेजी से अग्रसर छवि को अंकित करवाने में कामयाब रहा वहीं दूसरी ओर छोटे से छोटे और कमजोर से कमजोर व्यक्ति के दिल में संबल के रूप में सशक्त जगह बनाने में भी कामयाबी पाई। मध्यप्रदेश में सर्वधर्म समभाव और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बगैर जाति, धर्म और भेदभाव के सभी गरीबों तक पहुँचाने के प्रयासों की हर ओर सराहना हो रही है।

-- शिवराज के 10 साल पर विशेष

-- मध्यप्रदेश अग्रणी राज्यों में शामिल

-- विकास की नई परिभाषा स्थापित

-- कई पुरस्कार मध्यप्रदेश के नाम

-- नई ऊंचाइयों को छूने वाला प्रदेश बना

-- कई प्रेरक योजनाओं को सराहा गया

-- जनसमस्या निवारण के लिए कई पहल

 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लगातार विकास के कार्य किए जा रहे हैं। यातायात के मामले में भी राजधानी भोपाल को काफी कुछ मिला है। सर्वाधिक समस्या ट्रैफिक जाम की थी तो एक  फ्लाई ओवर तैयार हो गया है तो दो पर काम हो गया है। एक प्लानिंग में है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के विशेष प्रयासों से भोपाल का ट्रेफिक अब सरपट दौड़ रहा है।

ये  हैं प्रमुख योजनाएं
शहर को सबसे बड़ी सौगात मेट्रो की मिलने वाली है।
सर्वे से लेकर वित्तीय प्रबंधन तक इसमें काम जारी है।
शहर में 24 किलोमीटर का बीआरटीएस तैयार हुआ है। इसमें लगभग 200 मायबस दौड़ रही हैं।
रॉयल मार्केट का फ्लाईओवर तैयार हो गया है। हबीबगंज आरओबी और बड़ी झील पर केबल स्टे ब्रिज बन रहा है।

बड़े तालाब पर निमार्णाधीन केबल स्टे ब्रिज मई, 2016 में पूरा हो जाएगा। काम में आई तेजी को देखते हुए नगर निगम ने यह नई डेडलाइन तय की है। यानी तय डेडलाइन जुलाई 2016 से दो महीने पहले ही इसकी सुविधा लोगों को मिल जाएगी। बताया जा रहा है कि 32 करोड़ रुपए की लागत वाले इस ब्रिज का वर्तमान काफी काम पूरा हो गया है। बाकी काम प्रीकास्ट वाला है, जो और तेजी से पूरा होगा। नागपुर में फेब्रिकेटेड स्लैब के लिए एमएस गर्डर बनने शुरू हो चुके हैं। जनवरी तक इनका निर्माण पूरा कर फरवरी 2016 में इन्हें भोपाल लाकर ब्रिज पर फिट किया जाएगा। अप्रैल और मई में ब्रिज का फिनिशिंग काम पूरा कर लोकार्पण किया जा सकेगा। इसी तरह, स्लैब को खींचने और होल्ड करने के लिए मजबूत केबल्स का सहारा लिया जाएगा। ये केबल जर्मनी से मंगाई गई हैं। निर्माण कंपनी ने एक जर्मन कंपनी को इसके लिए ठेका दे दिया है। कंपनी अगले साल मार्च तक यह केबल भोपाल भेजेगी। अप्रैल-मई में केबल से पूरे ब्रिज को कसा जाएगा।

 ट्रैफिक को  मिली रफ्तार
भोपाल में लोकल आवागमन के लिए बीआरटीएस बनने की शुरुआत 2009-10 में हुई। नवंबर, 2013 में चालू हो गया। लगभग 356 करोड़ रुपए की राशि से काम और होना है। बीआरटीएस का जो काम अभी बाकी है। वह भी जल्द पूरा होगा।


रिंग रोड : मिली जाम से निजात
राजधानी में आने वाले भारी वाहनों के ट्रैफिक को कम करने के लिए डेढ़ साल पहले यानी 2014 में नया बायपास बनाया गया। यह बायपास मिसरोद 11 मील से शुरु होकर एयरपोर्ट तिराहे यानी फंदा रोड पर निकला है। इससे लोगों को ट्रैफिक जाम से निजात मिली है।


मिसरोद -बावड़िया पुल
कोलार, रोहित नगर, शाहपुरा, नेहरू नगर के सैकड़ों वाहन चालकों को सीधे मिसरोद होते हुए होशंगाबाद रोड पहुंचने के लिए अब पांच से सात किलोमीटर का चक्कर नहीं लगाना पडेगा।



हबीबगंज  ROB
शहर की शान और सुविधा के लिहाज से 66 करोड़ की लागत से बनने वाला हबीबगंज रेलवे ओवरब्रिज का काम अंतिम दौर में चल रहा है। 1100 मीटर लंबा यह आरओबी जब बनकर पूरा हो जाएगा, तो इससे लगी कई कॉलोनियों को इससे लाभ होगा। सैकड़ों वाहन, हजारों आवागमन करने वालों को सहूलियत होगी। सरकार ने 2008 में हबीबगंज रेलवे ओवरब्रिज बनाने का प्रस्ताव बनाया था। अनुमतियां लेने के बाद नवंबर, 2011 में इस ओवरब्रिज का काम शुरू हुआ। बताया जा रहा है कि मार्च, 2016 में यह ब्रिज शुरू हो जाएगा।  इस ओवरब्रिज के बन जाने के बाद से हबीबगंज चौराहे पर लगने वाले जाम से लोगों को निजात मिल पाएगी। इससे होशंगाबाद रोड पर जो ट्रैफिक लोड है उससे भी जनता को लाभ होगा और रेलवे क्रांसिंग के पास लगने वाले जाम को दूर किया जा सकेगा। इस ओवरब्रिज की आर्म के जुड़ने से अब एम्स रोड पर स्थित कॉलोनियां, कटारा हिल्स, बाग मुगलिया, अरविंद विहार सहित 60 से अधिक कॉलोनियों के निवासियों को इससे काफी लाभ होगा।



रॉयल मार्केट flyover
रॉयल मार्केट से कलेक्ट्रेट तक बने जीएडी फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य जनवरी, 2015 में पूरा किया गया। इस फ्लाईओवर को 26 जनवरी को आम जनता के लिए लोकार्पित कर दिया गया। इस फ्लाईओवर के बनने से पुराने शहर के हजारों वाहन चालकों को जाम से राहत मिली।जीएडी फ्लाईओवर का काम 2013 में शुरु हुआ था। यह फ्लाईओवर 560 मीटर लम्बा और 72 मीटर चौड़ा है। इसकी कुल लागत 17 करोड़ 70 लाख रुपए आई है। बीआरटीएस के तहत इसका निर्माण कार्य किया गया है।




मेट्रो ट्रेन  सर्वे शुरू : जल्द मिलेगी सुविधा
लाइट मेट्रो ट्रेन शहर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार हो गई है। जमीन पर यह कैसे उतरेगी, कैसे होगा इसका निर्माण। इसकी रिपोर्ट तैयार हो गई है। इसी रिपोर्ट में मेट्रो का रूट, पहला फेज, ट्रेन की डिजाइन, मेंटेनेंस आॅपरेशन तो सबके सामने आ चुके हैं, लेकिन अब जहां से हम इस ट्रेन में सफर करने के लिए चढ़ेंगे या उतरेंगे, यानी स्टेशन का खाका भी डीपीआर में खिंच गया है। इस पर वर्तमान में तेजी से काम किया जा रहा है।
भोपाल शहर भारत के लिए एक प्रस्तावित त्वरित यातायात परियोजना है। इस प्रणाली को शुरुआत में 3 गलियारों में विभाजित किया गया है, शुरुआत में मेट्रो रूट की कुल लंबाई 28.5 किलोमीटर रखी गई थी जो अब बढ़कर 85 किलोमीटर हो गई है। इस परियोजना पर लगभग 8,000 करोड़ खर्च होंगे। 20 दिसंबर, 2011 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को भोपाल मेट्रो के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए थे। डीएमआरसी के 6 महीने के भीतर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। ये तय हुआ कि परियोजना की लागत को राज्य और केन्द्र द्वारा साझा जाएगा। भोपाल मेट्रो में शुरुआत में 85 किमी के रूट में कुल 89 स्टेशन प्रस्तावित हैं। इनमें से कुछ स्टेशन ऐसे भी रखे गए हैं, जिनमें आॅफिस भी होंगे और शॉपिंग मॉल भी। सीधे कार या बस से भी प्लेटफॉर्म तक पहुंच सकेंगे। गाड़ी भी यहीं पार्क कर सकेंगे। अंडरग्राउंड, एलिवेटेड और सरफेस तीनों प्रकार के स्टेशन हैं, लेकिन कुछ खास जगहों के लिए डीपीआर में स्टेशन की स्पेशल डिजाइन तैयार की गई है।

ऐसी चल रही है हमारी मेट्रो

    28.5 किलोमीटर है मेट्रो रूट की लंबाई थी प्रस्तावित ।
    विस्तृत सर्वे के बाद रूट को बढ़ाकर 85 किलोमीटर किया गया।
    शहर में और आसपास 89 स्टेशन होंगे।
    8 हजार करोड़ रुपए आएगी लागत।



सरकार ने दी सब के सिर पर छत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से सभी वर्गों के लिए आवास उपलब्ध कराने की पहल की  गई। जेएनएनयूआरएम योजना , इंदिरा आवास के साथ ही हाउसिंग बोर्ड, बीडीए ने ऐसी प्लानिंग की कि सब के सिर पर छत हो।  

राजधानी में जरूरतमंद गरीब ग्रामीण परिवारों को स्वयं का मकान देने में मुख्यमंत्री आवास मिशन के जरिये व्यापक कामयाबी हासिल हुई है। इससे अब गरीब तबकों के सपनों को हकीकत में बदलना आसान हुआ है। इस अनूठे मिशन में गरीब परिवारों को अब 1 लाख 20 हजार लागत के मकान बनाने के लिये आर्थिक मदद दी जा रही है। इसमें 50 हजार रुपए का बैंक ऋण और राज्य सरकार द्वारा 50 हजार रुपए का शासकीय अनुदान शामिल हैं। हितग्राही को मात्र 80 हजार रुपए खर्च करना पड़ते हैं। बैंक ऋण और अनुदान सहायता मकान निर्माण की प्रक्रिया के दौरान तीन चरण में दी जाती है।  राजधानी में शहरी गरीबों के लिए बने पक्के आवासों  में रहने वाले हितग्राहियों ने आवास की कीमत में अपने अंशदान की राशि के लिए बैंकों से कर्ज लिया है और इस पर उन्हें 10 प्रतिशत की दर से ब्याज देना है, उनका पांच प्रतिशत ब्याज सरकार भरेगी। इससे मासिक किस्त 1200 रुपये से घटकर 900 रुपये रह जाएगी। उल्लेखनीय है कि शहरी इलाकों में झुग्गी के स्थान पर बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कर उसे गरीब परिवारों को सौंपा जा रहा है। इसमें संबंधित परिवार को भवन की कीमत में से तय अंशदान देना होता है।

मिला आशियाना
जेएनएनयूआरएम अंतर्गत बीएसयूपी के तहत शहरी गरीबों के लिये विभिन्न क्षेत्रों में निर्मित पक्के आवासों का आधिपत्य पात्र हितग्राहियों को दिया गया है। इसे चलते 12 नंबर स्टाप के पास इंदिरा नगर फेस-1 के उक्त आवासीय परिसर का नामकरण स्व. कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर करने की घोषणा की गई है।  नगर निगम द्वारा शहर में 50 हजार पक्के आवास झुग्गीवासियों के लिये बनाये जायेंगे इनमें से 5 हजार आवास बनाए जा रहे हैं। पहले चरण में 54 पात्र हितग्राहियों को अपने हाथ से आधिपत्य पत्र एवं आवास की चाबियां सौंप दी गई हैं। इसके अलावा शहरी गरीबों के पक्के आवास आवंटित करने की योजना के तहत निर्मित आवासों का लगभग 2300 पात्र हितग्राहियों को आधिपत्य सौंपा गया है।

नगर निगम की JNNURM योजना
पिछले पांच साल में भोपाल शहर में विभिन्न स्थानों पर आवास निर्माण की नौ योजनाओं में गरीब झुग्गीवासियों के लिए 14852 मकानों का निर्माण होना था, परन्तु अब तक केवल 5348 मकानों का निर्माण ही पूरा हो सका है, जबकि 9216 निमार्णाधीन हैं। 5348 पूर्ण मकानों में से 1862 हितग्राहियों का ही आधिपत्य सौंपा गया है। इंद्रा नगर-2 योजना में 288 मकानों का निर्माण  शुरू किया जा रहा है। यह योजना अब 446 करोड़ रूपए की हो गई है।  बाबा नगर में 24.61 करोड़ रूपए से 1872 मकानों का निर्माण होना था, परन्तु 840 का निर्माण ही पूरा हो सका है। श्याम नगर में 16 करोड़ रुपए से 1440 मकान बनने थे, परन्तु 1048 ही बने है। कल्पना नगर में 212 मकानों का निर्माण 2.54 करोड़ रूपए से होना था, परन्तु बने 164 और 48 अपूर्ण हैं। गंगा व आराधना नगर में 24.73 करोड़ रूपए से 1848 मकानों का निर्माण होना था, परन्तु 1144 निमार्णाधीन हैं, जबकि 704 का काम पूरा हुआ है। इंद्रा नगर फेस-1 में 17.10 करोड़ रुपए से 1216 मकान बनने थे, परन्तु अब तक 128 ही बन सके हैं।

इंद्रा नगर फेस-2 में 13.42 करोड़ रूपए से 898 मकान निर्माण की स्वीकृति नगर निगम ने ली, परन्तु अब तक यहां भी 128 मकान ही बने हैं। बाजपेयी नगर में  50.83 करोड़ रुपए से 3328 मकान बनने थे, जबकि बने सिर्फ 832 और 2496 निमार्णाधीन है। मद्रासी कालोनी, अर्जुन नगर व राहुल नगर के लिए 52.63 करोड़ रूपए स्वीकृत हुए, जिससे 3528 मकान बनने थे, परन्तु केवल 992 का काम पूरा हुआ है और 2536 निर्माणधीन हैं।

मुख्य योजनाएं
मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन
राजधानी के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी ग्रामीणों को आवास देने का काम सरकार द्वारा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की पहल पर माह फरवरी 2011 में मिशन की शुरूआत हुई थी। तब से अब तक मिशन के अंतर्गत बेंकों द्वारा 4 लाख 18 हजार 593 प्रकरण को मंजूरी दी गई है। अब तक 3 लाख 44 हजार 918 प्रकरण में हितग्राहियों को ऋण का वितरण हो चुका हैं। कुल 3 लाख 50 हजार से अधिक मकान बनकर तैयार हो चुके हैं । मिशन के माध्यम से अब तक स्वयं का मकान बनाने के लिये हितग्राहियों को 1428.70 कऱोड़ की सहायता राशि मुहैया करवाई जा चुकी है। मध्यप्रदेश के इस अनूठे मिशन को देश के कई राज्य ने सराहा और अपनाया है।

मुख्यमंत्री अंत्योदय आवास
प्रदेश के बेघर ग्रामीणों की जरूरतों के मुताबिक पर्याप्त संख्या में इंदिरा आवास का आवंटन नहीं हो पाने की वजह से प्रदेश में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले अनुसूचित जाति और जनजातियों के ऐसे परिवारों के लिये, जो आवासहीन हैं या कच्चे घरों में रहते है, मुख्यमंत्री अंत्योदय आवास योजना शुरू की गई । इस योजना में ऐसे हर बेघर परिवार को 70 हजार रुपए लागत का मकान शत-प्रतिशत अनुदान सहायता आधार पर दिया जा रहॉ है। राज्य में वर्ष 2012-13 में इस योजना में 29 करोड़ 06 लाख की लागत से 5846 अंत्योदय आवास का निर्माण हुआ।  वर्ष 2013-14 में स्वीकृत 5000 परिवार के लिये 35 करोड़ 03 लाख रुपए लागत के आवास बनाकर देने का काम प्रगति पर हैं। चालू माली साल में 42 करोड़ 26 लाख रुपए की लागत से 6037 हितग्राही के लिये आवास बनाये जायेंगे।

हाउसिंग बोर्ड
प्रॉपटी बेचने लगाएगा स्टॉल
गरीबों के लिए नईपहल
भोपाल। हाउसिंग बोर्ड अपनी अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम में बुकिंग कराने वालों के लिए स्टॉल लगाने जा रहा है। सबसे पहला स्टॉल बोर्ड के नए प्रोजेक्ट बैरागढ़ चीचली स्थित गौरव नगर अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट में लगाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट में अभी बुकिंग चल रही है, लेकिन महज 175 आवेदन ही आए हैं, जबकि इसमें 1200 फ्लैट हैं। बोर्ड के कार्यपालन यंत्री पीके अग्निहोत्री ने बताया कि स्टॉल शहर में तीन-चार स्थानों पर लगाया जाएगा, साथ ही साइट पर भी प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी जाएगी। वहीं होम लोन मेला भी लगाया जाएगा, इससे लोगों को हाउसिंग प्रोजेक्ट के साथ ही लोन प्रक्रिया की पूरी जानकारी एक ही जगह पर मिल जाएगी। गौरतलब है कि बुकिंग के बाद प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा। बोर्ड द्वारा दो साल में आवासों का पजेशन दे दिया जाएगा।

हाउसिंग बोर्ड भी नहीं है पीछे
बेघरों के लिए पांच साल पहले लांच की गई अटल आश्रय योजना के लिए सरकार को राजधानी में  50 एकड़ भूखंड पर ईडब्ल्यूएस और एलआईजी आवासों का निर्माण किया रहा है। हाउसिंग बोर्ड द्वारा तैयार किए जाने वाले इन आवासों का निर्माण 80 प्रतिशत बुकिंग आने पर शुरू होना था।  हाउसिंग बोर्ड ने इश्तेहार जारी कर दोबारा ऐसे गरीबों की तलाश शुरू कर दी है जो कमजोर आय वर्ग के दायरे में जीवन-यापन कर रहे हैं। गरीबों के लिए तैयार होने वाली मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में बनने वाले फ्लैट की शुरूआती कीमतें वर्ष 2010 की कलेक्टर गाइड लाइन और महंगाई दर के मुताबिक तय की गई थीं।


बाबा नगर में बने गरीबों के मकान
इंदिरा आवास
वित्तीय वर्ष 2013-14 में 1 लाख 12 हजार 936 इंदिरा आवास बनाने का लक्ष्य था। इस मकसद से 615 करोड़ 61 लाख रुपए का आवंटन प्राप्त हुआ था। इनमें से 30 हजार 990 मकान इंदिरा आवास-होम स्टेट योजना में और 53 हजार 360 इंदिरा आवास-एफआरए योजना में बन रहे हैं। वर्ष 2003 में इस योजना में वित्तीय प्रावधान 96 करोड़ 04 लाख था जो बढ़कर वर्ष 2012-13 में 385 करोड़ 12 लाख रुपए हो गया है। वर्ष 2013-14 में प्रदेश में 60 हजार 845 आवास का निर्माण किया गया । इस वर्ष में 1 लाख 13 हजार 411 आवास बनाने का लक्ष्य है। इन आवास के निर्माण पर 806 करोड़ 28 लाख के व्यय का प्रावधान है। राज्य सरकार के प्रयासों से इस आवास योजना में केन्द्र से मिलने वाली राशि में अब चार गुना बढ़ोतरी हो चुकी हैं।



पूरा हो रहा है हर गरीब को
आवास देने का सपना
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मंशा के अनुरूप हर गरीब को घर देने की श्रृंखला में करीब 50 हजार आवासों का निर्माण किया जा रहा है। इसका जिम्मा भोपाल विकास प्राधिकरण सम्हालेगा।  जेएनएनयूआरएम के तहत शहर में गरीबों को आवास मुहैया कराए जा रहे हैं। बीडीए ने इससे पहले गरीबों के लिए लगभग पांच हजार आवासों का निर्माण किया है, जिनका आवंटन अभी भी जारी है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बीडीए को यह बड़ी उपलब्धि मिल सकती है। इससे गरीब वर्ग के लोगों के लिए भी फायदा होगा।

शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर सरकार ने विशेष फोकस किया है। जहां नए-नए कॉलेज खोले गए हैं वहीं विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के  लिए नई योजनाएं चलाई गर्इं हैं। इसी तरह स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी भोपाल में एम्स खोला गया, वहीं जिला अस्पताल जेपी का उन्नयन हुआ। मरीजों की सुविधा के लिए कई योजनाएं शुरू की गर्इं। इसी तरह पब्लिक को रोजगार मिल सके। इसके लिए नए-नए औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की गई है।

फ्री मोबाइल :  सरकारी कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों में संचार की व्यवस्था बनाए रखने के लिए उच्च शिक्षा विभाग में प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को नि:शुल्क मोबाइल प्रदान की व्यवस्था की गई है। इससे हजारों विद्यार्थी लाभाविंत होंगे।

नया पैटर्न : तकनीकी शिक्षा में नया पैटर्न जोड़ने के लिए सेमेस्टर प्रणाली को खत्म कर च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) से इंजीनियरिंग की व्यवस्था। इससे प्रदेश की तकनीकी शिक्षा यूएसए और यूके के मुकाबले की होगी। वहीं नए पैटर्न से विद्यार्थियों की गुणवत्ता में सुधार होने के साथ प्लेसमेंट के ग्राफ में बढ़ोतरी होगी।

आॅनलाइन प्रवेश : मैन्युली प्रवेश में कफी परेशानियां सामने आती थीं। इसमें काफी पेपर वर्क और समय बर्बाद होता था। समय और पेपर की बचत करने के लिए उच्च, तकनीकी और मेडिकल में आॅनलाइन प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है। इससे अब विद्यार्थी घर बैठे प्रक्रिया में शामिल होकर प्रवेश ले सकता है।

शुरू की गई छात्रवृत्ति योजना : निचले और पिछडेÞ तबके की छात्राओं को धन के अभाव में अध्ययन करने का मौका नहीं मिल पाता है। होनहार छात्राओं को घर से निकाल कर कॉलेजों में दाखिला कराने के लिए प्रतिभा किरण और गांव की बेटी छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई।

आरक्षित वर्ग को पुस्तकें : कॉलेजों में अध्ययन करने वाले एसटी-एससी वर्ग के विद्यार्थी बाजार से महंगी किताबों को नहीं खरीद सकते हैं। इसलिए पुस्तालय से उन्हें नि:शुल्क किताबें मुहैया कराने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए उन्हें स्टेशनरी देने की व्यवस्था भी की गई है। 

निजी विवि : प्रदेश सरकार अध्ययन कराने में निजी सहयोग लिया है। इसलिए राजधानी में निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का गठन किया गया है। इसके तहत अभी तक प्रदेश में 14  निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई है। इसमें बड़ी संख्या में प्रवेश लेकर विद्यार्थी अपना भविष्य तैयार कर रहे हैं। भविष्य में और नए निजी विवि आने की संभावना हैं। उनके प्रस्ताव आयोग में विचारणीय हैं।

राजधानी में कॉलेज : राजधानी के एमएलबी कॉलेज में प्रीमियर इंस्टीट्यूट स्थापना की जा रही है। वहीं राजधानी के आसपास सभी ब्लाक में नए कॉलेजों की स्थापना की गई है। हरे बड़े शहर के आसपास ब्लाक स्तर पर कॉलेजों की स्थापना की गई है। इससे कॉलेजों की संख्या 443 पहुंच गई है।

नए कॉलेज: सागर में मेडिकल और नौ गांव में इंजीनियरिंग के नए कॉलेज खोले गए हैं। इसके साथ आरजीपीवी ने झाबुआ और शहडोल में अपने इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थापना कर प्रवेश कराए हैं।

नियुक्तियां : प्रदेश में सरकारी पालीटेक्निक कालेज और उच्च शिक्षा के कालेजों में नियमित पदों पर प्रोफेसरों की भर्ती कराई गई है। वर्तमान में शासन इंजीनियरिंग कालेजों में प्रोफेसरों की भर्ती करने की व्यवस्था कर रहा है।

व्यापमं से भर्ती : व्यापमं के माध्यम से प्रदेश के बेरोजगार लोगों को रोजगार देने के लिए भर्ती परीक्षाएं कराने की व्यवस्था की गई है। इसके चलते आगामी एक साल का भर्ती कार्यक्रम तैयार कर जारी कर दिया गया है।

हिन्दी को बढ़ावा देने खुलवाया अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय
हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने अटल बिहारी हिन्दी विवि की स्थापना की है। इसके तहत इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में कराने की व्यवस्था की जा रही है। वहीं अंतर्राष्टÑीय स्तर पर अपनी छवि बनाने के लिए भागवन बुद्ध और उनके जीवन पर रिसर्च करने के लिए सांची विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। डॉ. हरि सिंह गौर केंद्रीय विवि होने के कारण छतरपुर में महाराजा छात्रसाल विवि की स्थापना की गई है।

भोपाल नर्मदापुरम् संभाग में बढ़ेगा रोजगार

4 नए इंडस्ट्रियल सेंटर
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिला है। इस दौरान नीतियां बनाने से लेकर दुनियां के कई देशों में जाकर सीधे उद्योगपतियों से संपर्क किया। इसका असर प्रदेश में दिखने लगा है। उद्योगपतियों ने मप्र को बेस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर देखा। उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए अनुकूल माहौल दिया। उद्योग विभाग के उपक्रम एलयूएन में सुधार कार्यक्रम चलाया गया। जिसे उद्योगपतियों ने खासा सराहा।

दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर (डीएमआईसी) प्रोजेक्ट की गति मप्र में सबसे तेज है। यह कॉरीडोर देश के छह राज्यों को आपस में जोडेगा। इन राज्यों में जमीन अधिग्रहण तक नहीं हो पाया है, जबकि मप्र ने जमीन अधिग्रहण करने के साथ प्रोजेक्ट की डीपीआर भी तैयार कर ली है। अब प्रोजेक्ट बिडिंग स्तर तक पहुंच गया है। पीथमपुर, धार, महू के बीच सबसे पहले टेंडर जारी होने वाले हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए एलएंडटी, टाटा सहित कई कंपनियों ने बिडिंग में रुचि दिखाई। यह प्रोजेक्ट तीन फेज में पूरा होगा। पहले फेज दस साल का होगा। इस फेज में वाटर सप्लाई से लेकर अन्य कार्य किए जाएंगे। पीथमपुर महू पाइप लाइन बनने से पीथमपुर इंडस्ट्रीयल एरिए में 90 एमएलडी पानी पहुंचेगा, जिससे इस क्षेत्र में पानी की समस्या काफी हद तक कम होगी।

दरअसल दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रीय कॉरीडोर देश के छह राज्यों को आपस में जोड़ेगा। इन राज्यों में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट और मप्र शामिल है। इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली और मुंबई के बीच 1483 किमी का गलियारा बनाया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट जापान और भारत सरकार के  सहयोग से यह प्रोजेक्ट बन रहा है।  इस प्रोजेक्ट के तहत डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर बनाया जा रहा है। जिसके दोनों और 150 किमी रेंज में  इंफ्रास्ट्रक्चर बनाकर छोटी छोटी इंडस्ट्रीयल टाउनसिटी तैयार की जाएगी।
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आचारपुरा बगरोदा में लगेंगे कारखाने
भोपाल सहित इंदौर में आॅटो मोबाइल शोरूम के मसले का हल निकालने के लिए नई नीति बनाई जा रही है। राजस्थान और गुजरात की उद्योग नीति का अध्ययन किया गया है। इन राज्यों की नीति में कुछ अहम बिन्दुओं को रेफरेंस में लेकर आॅटो शोरूम के लिए नई नीति तैयार की जाएगी। आॅटो मोबाइल शोरूम की जमीन को कामर्शियल किया जा रहा है। इससे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। आॅटो मोबाइल शोरूम राजधानी में हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहा है। भोपाल और नर्मदापुरम् संभाग में चार से ज्यादा नए औद्योगिक क्षेत्र बनाए जा रहे हैं। करीब 300 करोड़ की लागत से इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है। मंडीदीप में 160 करोड़, गोविंदपुरा में 36 करोड़, आचारपुरा व बगरोदा में 60 करोड़ की लागत से मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

डिजीटल इंडिया प्रोग्राम  भोपाल में देश की पहली सोलर मॉडयूल की फैक्ट्री लगेगी
राज्य सरकार ने  उद्योग संघों की मांगों को मानते हुए मैन्यूफ्रेक्चिरिंग इकाइयों के लिए  लोएस्ट 3 का फार्मूला खत्म करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया।  इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से मान लिया है। नए क्रय नियमों के मुताबिक सभी विभाग खुद ही टेंडर जारी कर पंद्रह प्रतिशत की रेंज में आने वाले सभी निविदाकर्ताओं से खरीदी कर सकेंगे। वहीं लघु उद्योग निगम भोपाल में सुधार के लिए पूर्व आईएएस इंद्रनील दाणी शंकर की अध्यक्षता में कमेटी नियुक्त की। जिसकी सिफारिशों पर अमल भी किया। पूर्व की सरकारों ने कमेटी तो बनाई, लेकिन कभी सिफारिशों पर अमल नहीं कराया।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगातार सुधार कार्यक्रम चलाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजीटल इंडिया प्रोग्राम के तहत भोपाल में देश का पहला सोलर मॉडयूल बनाने वाली फैक्ट्री लगाई जा रही है। इस फैक्ट्री में सोलर प्लांट में लगने वाली मशीनरी और पार्ट बनाए जाएंगे।  उल्लेखनीय है कि नीमच में एशिया का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट लगाया जा रहा है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी सौर उर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। इंदौर की उजास कंपनी चाइनीज कंपनी के साथ संयुक्तउपक्रम लगा रही है। भोपाल से 30 किमी दूर दीवानगंज के पास जमुनियां गांव में प्रोजेक्ट के लिए जमीन देखी गई है। सोलर मॉडयूल बनाने के लिए लगने वाली फैक्ट्री में हजार करोड़ के निवेश की उम्मीद है। पहले फेज में एक हजार और दूसरे फेज में 1200 लोगों को रोजगार दिया जाएगा।

फैक्ट्री में 200 मेगावाट के पैनल और पार्ट बनाए जाएंगे। उजास कंपनी ने प्लांट के लिए सौ एकड़ जमीन मांगी है। जमुनिया गांव में 250 एकड़ जमीन सरकारी है। इसलिए राज्य सरकार यहां पर सौ एकड़ जमीन आवंटित कर सकती है। कंपनी ने 30 लाख गैलन पानी मांगा है।  राजधानी में बड़वई के पास बन रहे आईटी पार्क में पुणे और बेंगलोर की चार आईटी कंपनियों को जमीन आवंटित कर दी गई है।  212 एकड़ में पार्क बन रहा है।

अब नहीं जाना पड़ता मुंबई-दिल्ली भोपाल में ही इलाज
लोगों को इलाज के लिए अब मुंबई- दिल्ली नहीं जाना पड़ता, बल्कि भोपाल में ही बड़े-बड़े इलाज की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य महकमे को नई ऊंचाइयां मिली हैं। दस साल पहले से लेकर अब तक स्वास्थ्य विभाग में बहुत बड़े बदलाव हो चुके हैं, जिसमें राजधानी के जिला जयप्रकाश चिकित्सालय का पूरा हुलिया बदल दिया गया। यहां जयप्रकाश अस्पताल के जीर्णोद्धार के साथ-साथ यहां नई बिल्डिंग और बच्चा वार्ड का निर्माण किया गया। तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि जिला चिकित्सालय के परिसर में आईईसी ब्यूरो, एसएनसीयू, मदर मिल्क बैंक, एनआरसी, अर्ली इंवेंटेशन समर्पण केन्द्र, ब्लड स्टोरेज यूनिट, न्यू बॉर्न स्टेशलइजेशन यूनिट का निर्माण पूरा किया गया। इसके साथ ही राजधानी के डॉ. कैलाशनाथ काटजू अस्पताल, बैरागढ़ अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कोलार और बैरसिया में एसएनसीयू खोला गया।

ये हुए प्रमुख कार्य
राजधानी भोपाल को मिली एम्स की सौगात
डेंटीस्ट्री डिपार्टमेंट में अब तक एक हजार से ज्यादा आॅपरेशन
 न्यूरोजर्सन की टीम ने की सैकड़ों जटिल सर्जरी
लैब्रोरेटरी में स्वाइन फ्लू और डेंगू की जांच
सीटी स्कैन, एमआरआई और डिजिटल एक्स-रे की सौगात

जिला जयप्रकाश चिकित्सालय  का उन्नयीनकरण
परिसर में नई बिल्डिंग, एसएनसीयू, बेबी यूनिट
 बच्चा वार्ड की बेबी यूनिट में मदर मिल्क बैंक
न्यू बॉर्न स्टेशजलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) का निर्माण
आरबीएसके के तहत कॉल सेंटर की सुविधा
40 प्लस के सभी मरीजों की नि:शुल्क जांच

हमीदिया अस्पताल में तकनीक का इजाफा
 कैंसर से पीड़ित रोगियों के लिए गामा कैमरा की सुविधा
 एक्सीडेंटल मामलों में ट्रामा यूनिट की तैयारी
आपातकालीन सेवा के लिए नई बिल्डिंग की तैयारी
छात्रों की सुविधा के लिए नई लाइब्रेरी का निर्माण

सरदार वल्लभ भाई पटेल नि:शुल्क औषधि वितरण योजना
प्रदेश के सभी शासकीय चिकित्सालय में नि:शुल्क औषधि वितरण
 हर तरह की बीमारी की सभी दवाएं मुहैया
एलोपैथी, होम्यापैथी और आयुर्वेद दवाओं की सुविधा
 अस्पतालों में एक्स-रे, सोनोग्राफी की नि:शुल्क सुविधा
ब्लड स्टोरज यूनिट का निर्माण

गौरवी की सौगात
महिलाओं की समस्याओं के निराकरण की अनूठी पहल
 त्वरित समाधान के लिए काउंसलिंग
अधिवक्ताओं द्वारा दोनों पक्षों का निराकरण

आरबीएसके के तहत समर्पण केन्द्र
कटे होंठ व जीभ से पीड़ित बच्चों का इलाज
विकलांग बच्चों के उपचार के लिए सुविधा
शरीरिक रूप से असक्षम बच्चों के शरीर के विकास के लिए उपचार

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और सिविल अस्पतालों का उन्नयन
 नजीराबाद ग्रामीण क्षेत्र में अस्पताल
 सिविल अस्पताल बैरागढ़ का नवीनीकरण
 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कोलार का नवीनीकरण

टूरिज्म डेस्टिनेशन बना भोपाल

राजधानी में सभी प्रकार के पर्यटन की संभावनाओं के अनेक अवसर हैं। पर्यटकों का जिस तरह प्रदेश के पर्यटन-स्थलों पर तेजी से आना जारी है, उसको देखते भोपाल और उसके आसपास के पर्यटन स्थलों को भी विकसित किया गया है ताकि वह यहां पर स्टे कर सकें। उनके लिए भोपाल से  इंदौर,  सतना, जबलपुर और खजुराहो में हवाई सेवाएं शुरू की गई हैं। मुख्यमंत्री शिवराज  सिंह चौहान के प्रयासों से उसमें और बढ़ोतरी हो रही है।

दिलों को लुभाने वाला सैर सपाटा
बच्चे हों या फिर युवा, सभी के दिलों को लुभाने वाला सैर सपाटा मप्र पयर्टन विभाग के द्वारा विकसित किया गया है। भोपालवासियों और पर्यटकों के लिए झीलों के शहर में यह एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है। हर उम्र के लोग यहां इंज्वॉय करने आते हैं। खाने-पीने की शानदार व्यवस्था के साथ-साथ टूरिस्ट यहां पैडल बोटिंग का आनंद भी उठा सकते हैं। बच्चों के मनोरंजन के लिए यहां कई तरह के झूले और टॉय ट्रेन भी है। पर्यटकों की सुविधाओं के विस्तार पर मध्यप्रदेश में तेजी से काम हो रहा है। इस शृंखला में मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा भोपाल में बोट क्लब से सैर-सपाटा तक जल मार्ग से मोटर बोट द्वारा जल सफारी पेकेज की शुरुआत की गई। जल सफारी से पर्यटक बोट क्लब से सैर-सपाटा तक की यात्रा में पूरे समय वन विहार राष्ट्रीय उद्यान की हरियाली का आनंद लेते हैं।

 जल-यात्रा 45 मिनिट की होती है जो प्रात: 11 बजे से शुरू होगी। पर्यटकों को बोट क्लब से यात्रा की शुरूआत के समय वेलकम ड्रिंक और सैर-सपाटा पहुँचने के बाद लंच उपलब्ध करवाया जाता है और वापसी यात्रा दोपहर 2 बजे से प्रारंभ होकर 2.45 बजे बोट क्लब पहुंचती है।

 समरधा ईको टूरिज्म में हट्स
सैलानियों के लिए घने जंगलों के बीच बसे हुए समरधा ईको टूरिज्म में हट्स बनकर तैयार हो गई हैं, जिसमें दिन में प्राकृतिक रोशनी और रात में बिजली की व्यवस्था की गई है। इन हट्स का आकार कटोरे के समान गोलाई में तैयार किया गया है, जबकि ऊंचाई करीब 8 फीट है। ईको टूरिज्म विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे इस पर्यटन केन्द्र तक जाने के लिए रामगढ़ किले के पास से ही पड़ारिया काछी ग्राम होते हुए जाना पड़ता है। आनंद नगर से करीब 8 किमी दूर समरधा रेंज शुरू हो जाती है। इस रेंज से करीब 8 किमी अंदर और जाकर समरधा पर्यटन केंद्र में पहुंच सकते हैं।

 घने जंगलों के बीच बने इस पर्यटन केंद्र की विशेषता यह है कि चारों ओर घना जंगल है। पड़ारिया काछी गांव के घने जंगलों में कई बार बाघ भी देखा गया है। काले अन्य हिरण सामान्य तौर पर यहां विचरण करते रहते हैं। समरधा रेंज वन विभाग का प्रमुख स्थान है। इसलिए उस विभाग का एक बड़ा गेस्ट हाउस और सर्चिंग टॉवर भी मौजूद है। इस विभाग के गार्ड भी जंगलों की सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं। जंगलों के बीच में एक तालाब है, जो बारिश के पानी से भरा रहता है। इस तालाब में पानी पीते हुए कई जंगली जानवरों को देखा जा सकता है। ईको टूरिज्म विभाग द्वारा बनाई गईं हट्स को इस तरह से बनाया गया है कि जंगली जानवर किसी प्रकार का कोई नुकसान पहुंचा पाएं। हट्स के साथ ही यहां रिसोर्ट खोलने का भी प्रस्ताव है, जिससे सैलानियों को चाय, कॉफी अन्य व्यंजन आसानी से उपलब्ध हो सकें। इसके अलावा सैलानियों को नेचर ट्रेल, ट्रेकिंग, रॉक क्लाइंबिंग की सुविधा देने का भी प्रस्ताव तैयार किया गया है। जबकि बर्ड वॉचिंग सेंटर तालाब के किनारे बनाने की तैयारी की गई है ताकि सैलानियों को सुबह से ही आनन्द मिल सके।

कश्मीर की तर्ज पर शिकारे भी
राजधानी की अपर लेक में कश्मीर की तर्ज पर अब पर्यटन विकास निगम शिकारे चलाने की योजना बना रहा है। इसके जरिए यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही लोगों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। यहां पर कश्मीर की डल झील के शिकारे की शक्ल में बोट सजाए गए हैं। पर्यटन को बढ़ाने निगम इसके निर्माण के साथ पूरे प्रदेश में प्रचार-प्रसार भी करेगा। वहां की सफलता के बाद इन शिकारों को बड़े तालाब में भी लाया जाएगा।  इस समय यहां क्रूज और मोटरबोट चल रहे हंै। बड़े तालाब में पर्यटन विकास निगम द्वारा हाउस बोट चलाने की भी तैयारी की जा रही है। ये हाउस बोट पानी पर तैरेंगे भी। इस प्रोजेक्ट पर 20 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। वहीं सैलानी आईलैंड को स्कीप रिसोर्ट के रूप में विकसित किया जाएगा।

 इस प्रोजेक्ट पर 10.5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इन दोनों ही स्थानों पर होटल भी होंगे और  वाटर स्कूटर, जलपरी और पैडल बोट भी हैं जो पर्यटकों आकर्षित करते हैं।

मनुआभान
की टेकरी संवरी
1300 फीट ऊंची है समुद्रतल से  यह टेकरी
ला लघाटी स्थित गुफा मंदिर के समीप की पहाड़ी को मनुआभान की टेकरी के नाम से जाना जाता है। मनुआभान राजा भोज का दरबारी था, जो विभिन्न प्रकार के हाव भाव और वेश बदलकर उनका मनोरंजन किया करता था। बाद में उसने अपना यह स्वभाव त्याग दिया और भगवत सिद्धी में लीन हो गया और यह मन्तुगाचार्य कहलाया। उसी के नाम पर टेकरी का नाम पड़ा जो अपभ्रंश होकर मनुआभान टेकरी कहलाती है। यह टेकरी समुद्रतल से 1300 फीट ऊंची है, जहां से नगर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यहां पर जैन श्वेताम्बर मंदिर है। लगभग 150 वर्ष पूर्व नवाब कुदसिया बेगम ने यहां उत्खनन कार्य कराया था, जिसमें तीर्थंकर महावीर की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसे चौक के श्वेताम्बर मंदिर में स्थापित कर दिया गया। टेकरी पर मंदिर में प्रतिमा के पदचिन्ह एवं सात गुफाएं हैं जिनमें संत निवासरत हैं। कुछ समय पूर्व प्रदेश के राज्यपाल द्वारा इस टेकरी को महावीर गिरि नाम दिया गया है। यहां पहुंचने हेतु रोड निर्मित हो चुकी है एवं रोप वे लगा दिया गया है। श्वेताम्बर जैन संप्रदाय के लोग इसे तीर्थस्थल के रूप में मानते हैं। मनुआभान की टेकरी को हाल ही में भोपाल विकास प्राधिकरण ने एक करोड़ रुपए की लागत से संवारा है। यहां के पहुंच मार्ग को व्यवस्थित किया गया है और पहाड़ी पर पर्यटकों के बैठने के लिए बेंचे भी लगवाई गई हैं।

बोट क्लब पर ऐतिहासिक इंजन और क्रूज
भोपाल के बड़े तालाब स्थित बोट क्लब को राष्ट्रीय पर्यटन के नक्शे पर स्थान दिलवाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बोट क्लब को अधिक आकर्षक बनाने के साथ पर्यटकों की सुविधा की अनेक व्यवस्थाएं की जा रही हैं।  बोट क्लब पर रेल विभाग द्वारा पुराना  भाप इंजन स्थापित किया गया है। इस ऐतिहासिक रेल इंजन की सुरक्षा की व्यवस्था नगर निगम भोपाल करता है। इसके अलावा  बोट क्लब में आकर्षक लाइट, पाथ वे, लॉन, याच क्लब के पुनरोद्धार आदि कार्य किए गए हैं। पुराने भाप इंजिन का रख-रखाव रेल विभाग कर रहा है।  इंजिन स्थल पर सिग्नल  में लाइट की व्यवस्था भी की गई है। भाप इंजिन से धुआं निकलने एवं सीटी बजाने की व्यवस्था भी की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा बोट क्लब के विकास के लिए किए जा रहे प्रयास काफी सराहनीय हैं।


 बड़े तालाब के बोट क्लब में क्रूज की व्यवस्था, शिवालिक युद्धपोत का मॉडल, पुराना भाप इंजिन पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं।

रेल कोच रेस्टोरेंट हुआ अब भोपाल एक्सप्रेस
भोपाल में स्थित अशोका लेक-व्यू होटल परिसर स्थित राज्य का पहला ब्रॉडगेज रेल कोच रेस्टोरेंट अब शान-ए-भोपाल की बजाय भोपाल एक्सप्रेस के नाम से जाना जाएगा। मध्यप्रदेश पर्यटन की ओर से राज्य के इस एकमात्र रेल कोच रेस्टोरेंट का रिनोवेशन और मॉडिफिकेशन किया गया है। इस रेस्टोरेंट की विशेषता यह है कि यहां आने वाले को स्टेशन का लुक मिलता है। प्रवेश द्वार पर एक रेलवे फाटक लगाया गया है। यहां से गुजरते हुए पर्यटक प्लेटफार्म पर पहुंचकर कोच में प्रवेश करते हैं। कोच को भीतर से रेस्टोरेंट का लुक दिया गया है। साथ ही खिड़की पर वीडियो वॉल लगे हैं, जिस पर चलती ट्रेन में यात्रा करने जैसा अनुभव होता है।

वनविहार,  बिड़ला मंदिर और इस्लामनगर जाते हैं पर्यटक
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्यप्रदेश राज्य में एक राष्ट्रीय उद्यान है।  445 हैक्टेयर क्षेत्र में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान में मिलने वाले जानवरों को जंगल से पकड़कर नहीं लाया गया है। 
इस्लाम नगर : इस्लामनगर एक ऐतिहासिक जगह है। इसकी प्रसिद्धि की मुख्य वजह यह है कि इस्लामनगर थोड़े समय के लिए भोपाल शाही राज्य की राजधानी था।
बिरला मंदिर : भोपाल में बिरला मंदिर के नाम से विख्यात लक्ष्मीनारायण मंदिर मंदिर, भोपाल के मालवीय नगर क्षेत्र में, अरेरा पहाड़ियों के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है। मंदिर के निकट ही एक संग्रहालय है जिसमें प्रदेश के रायसेन, सीहोर, मंदसौर आदि जगहों से लाई गईं मूर्तियां हैं।

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