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भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सुझाव...

समूचे देश के शहर बन सकते हैं स्मार्ट सिटी.....अलग से बनाने की
आवश्यकता ही नहीं......भोपाल में प्रयोग के बाद पूरे देश में लागू हो सकते हैं मेरे द्वारा दिए गए सुझाव। बहुत प्रेरक और अच्छे परिणाम आएंगे। ये वादा है...........। आवश्यकता ....ईमानदारी, निष्पक्षता और पूरी इच्छाशक्ति से लागू करने की है।

सब सुखी हों सब निरोगी हों सबका कल्याण हो इसी भाव से इसी आस्था और विष्वास से मेरे द्वारा सुझाव प्रेषित किये जा रहे हैं यदि इन सुझाव पर काम होता है तो सरकार की मंषा के अनुरूप मध्यप्रदेश को विकसित राज्य बनने के सपने को साकार किया जा सकता है और टिकाऊ विकास से आने वाली पीढ़ी को भी समुचित मार्गदर्षन मिल सकेगा। स्मार्ट सिटी के ये सुझाव प्रायोगिक रूप से किसी एक नगर से शुरू किये जाएंगे फिर इसे समूचे देश में लागू कर दिया जाएगा। ये सुझाव संक्षिप्त में दिए जा रहे हैं इनपर अमल के लिए विस्तार से योजना और विचार-मंथन करने के लिए मैं हमेशा तैयार एवं तत्पर हूaa। स्मार्ट सिटी में कुछ नियमों का कड़ाई से पालन कराना होगा। लोगों को यह समझाना होगा कि जो नियम बनाये गए हैं वे जनहित में और आने वाली पीढ़ी के हित में बनाये गए हैं उनका पालन सभी के लिए आवष्यक है। निवेदन यही है कि मेरे विचारों का सम्मान करते हुए सकारात्मक पहल का प्रयास किया जाएगा तो सार्थक परिणाम निकलेंगे। मुझे पूरा विष्वास है कि मेरे अनुभव और ज्ञान के आधार पर जो सुझाव दिये जा रहे हैं वे पूरी तरह समाज और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और सभी परिवार की एक इकाई के रूप में जिम्मेदार नागरिक का दायित्व निभाने में सफल होंगे। 

1- सार्वजनिक स्थलों पर भीख मांगने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा....भिखारियों का पुनर्वास होगा.....उन्हें प्रषिक्षण देकर स्वरोजगार योजनाओं, शासकीय योजनाओं का लाभ देकर विकास कार्यों से जोड़ा जाएगा। कोई भी बच्चा या मजबूर माॅ भीख मांगते हुए नहीं दिखेगी। भीख मांगने वाले को पुनर्वास केन्द्र में रखा जाएगा।  

2- स्मार्ट सिटी के समीप जनभागीदारी से देहदान स्मारक बनाया जाएगा महर्षि दधीचि पार्क निर्मित होगा। जिससे अधिक से अधिक लोग देहदान, रक्तदान, नेत्रदान, अंगदान और त्वचादान के प्रति जागरूक होंगे. साथ ही लाखों लोगों को नया जीवन मिल सकेगा। जिनके जीवन में अंधेरा है उनके जीवन में उजाला लाना भी हम सबका दायित्व है। इसलिए देहदान करने वालों के लिए तत्काल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्मारक पार्क में सिंगल विण्डो एवं हेल्पलाइन सेंटर शुरू किया जाएगा। देश में कई ऐसी इमारतें हैं जो हमें उस समय के इतिहास से रूबरू कराती हैं उत्तरप्रदेश में भी एक ऐसा पार्क उस समय की नई सरकार ने बनवाया था। वर्तमान में नई सरकार द्वारा प्रदेश में शौर्य पार्क बनवाया जा रहा है। जरूरत इस बात की है कि एक ऐसा यादगार, प्रेरक देहदान स्मारक भी बनवाया जाए जो सदियों तक प्रदेश सरकार की उपलब्धि का गवाह बनकर खड़ा रहे जैसे लालकिला, ताजमहल आदि।


3. एक परिवार एक मकान और एक गाड़ी का नियम बनाया जाएगा। गाड़ी का नंबर या लायसेंस लेने वालों की आवष्यकता को देखा जाएगा तब गाड़ी आवंटित की जाएगी....साथ ही मकान की रजिस्ट्री के समय भी आर्थिक स्थिति का आंकलन होगा। तब मकान क्रय की अनुमति दी जायेगी। यदि ऐसा करते हैं तो हम आने वाले समय में बहुत-सी दिक्कतों, जैसे भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी, प्रदूषण, आर्थिक तंगी जैसी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। यातायात पुलिस द्वारा हेलमेट मुहिम चलाई जाएगी। हेलमेट के बगैर गाड़ी चलाने वाले को पुलिस रसीद नहीं बल्कि जुर्माने के बदले हेलमेट देगी ताकि वह लगाकर चले।

4. पर्व, त्यौहार सामूहिक एकता, सद्भाव और आपसी प्रेम के प्रतीक हैं। पर देखा गया है कि त्यौहारों के नाम पर युवाओं के अलग-अलग छोटे-छोटे समूह बन जाते हैं और उनमें त्यौहार मनाने की होड़ लग जाती है और दिखावे के नाम पर जो कुछ होता है उससे समाज, पर्यावरण और बच्चों पर विपरीत असर पड़ता है। होना यह चाहिए कि चाहे होली का पर्व हो या गणेषोत्सव, दुर्गा उत्सव.........नियम ऐसा होगा कि 50 हजार से अधिक जनसंख्या वाली (संख्या कम की जा सकती है) काॅलोनी, मोहल्ले या वार्ड की एक-एक समिति बनाई जाएगी ये समिति ठीक वैसे कार्य करेगी जैसे दशहरा उत्सव, दुर्गा उत्सव समितियां कार्य करती हैं। ये 50 हजार आबादी की एक समिति किसी बड़े मैदान पर एक जगह ही होलिका दहन, दुर्गा एवं गणेश उत्सव मनायेगी, कदम-कदम पर या सड़क किनारे झांकी निर्माण प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। इससे पहले वर्तमान समिति के सदस्यों की बैठक कर उन्हें बड़ी समिति बनाने और मिलजुलकर बड़े पैमाने पर त्यौहार मनाने के लाभ बताये जाएंगे। यानी 50 हजार की आबादी पर एक झांकी सामुदायिक भागीदारी से विराजमान की जायेगी जहां अधिक से अधिक सांस्कृतिक गतिविधियां होंगी ताकि बच्चे संस्कारित हों ऐसे कार्यक्रम अधिक होंगे फिर चाहे बच्चे सरकारी स्कूल के हों य इंग्लिश मीडियम के ही क्यों न हों सबको अच्छे संस्कार मिल सकेंगे। कार्यक्रमों में नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा, रंगभेद और जातिभेद जैसी बुराईयों को समाप्त करने के उपाय किये जाएंगे। सबको बराबरी से आगे आने का अवसर, मंच उपलब्ध कराया जाएगा। 

5. ऐसा कार्यक्रम बनाया जाएगा। जिससे वार्ड/समिति में अपनेपन, प्रेम और विष्वास का अच्छा वातावरण निर्मित करने में हम सफल होंगे। बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं के उत्थान, सम्मान, सुरक्षा के प्रति अच्छा वातावरण निर्मित करने वाले कार्यक्रमों पर व्यय किया जाएगा। समस्याओं के समाधान पर चिंतन और उपाय होंगे। जाति, भाषा जैसे बंधन से मुक्त सभी के समग्र विकास के लिए प्रोत्साहन देने वाले कार्यक्रम कराये जाएंगे। ताकि समूचा वार्ड, मोहल्ला अथवा काॅलोनी/समिति एक समुदाय की भांति मिलकर कार्य करे, अपनी समस्याएं स्वयं हल सके। एक वार्ड अथवा मोहल्ले के लोग मिलकर दूसरे वार्ड की झांकी देखने जाएंगे और वहां के कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी करेंगे। इससे नई प्रतिभाओं को सीखने और निखारने का अवसर मिलेगा।

6. गणेशोत्सव और दुर्गा उत्सव पर मूर्ति छोटी होगी पर कार्यक्रम बड़े स्तर पर होंगे जिनमें वैचारिक ऊर्जा और सेवाकार्यों पर जोर दिया जाएगा। 50 हजार या कम आबादी की एक समिति में विधायक अध्यक्ष होंगे, सांसद संरक्षक होंगे। कमिश्नर, कलेक्टर और संभागायुक्त अपीलीय अधिकारी होंगे। ये समिति साल में एक बार अपने कार्यों को राष्ट्रीय पर्व या गणेश-दुर्गा उत्सव पर झांकी के रूप में अपना प्रस्तुतिकरण देंगे। शासकीय विभागों को झांकी पर व्यय नहीं करना होगा, समिति वाले ही साल भर किये गए सर्वश्रेष्ठ कार्यों की झांकी पेश करेंगे और नगर निगम एवं राज्य सरकार इन झांकियों के आधार पर अनुदान/पुरस्कर एवं सम्मान प्रदान करेगी। जिन समिति को लगता है कि उन्हें अनदेखा किया गया है वे अपीलीय अधिकारी के पास अपनी बात रख सकेंगे। अपील अधिकारी निरीक्षण करने के उपरांत अपनी रिपोर्ट विधायक, सांसद और राज्य सरकार को देंगे। झांकियां सिर्फ पौराणिक कथाओं पर नहीं होंगी बल्कि सरकारी योजनाओं, सेवा कार्यो और जनभागीदारी की अनूठी मिसाल पेश करने पर भी आधारित होंगी। ऐसी समिति जिनमें 5 या 10 हजार की आबादी वाली एक या दो झुग्गीबस्ती होंगी या जो समिति अनाथालय, निःशक्त बच्चों के स्पेशल अस्पताल, झुग्गीबस्ती या 3 हजार की संख्या वाले सरकारी स्कूल को गोद लेकर विकास कार्य करेगी या कोई ऐतिहासिक धरोहर या वन्य प्राणियों को गोद लेगी उन समितियों को 10 से 20 प्रतिशत का आरक्षण लाभ प्रदान किया जाएगा।



7. हर मोहल्ला या वार्ड/समिति की एक खास पहचान या खास विषेषता होगी। इस वार्ड या मोहल्ले को स्थानीय निवासियों की भागीदारी से संवारा जाएगा। इन खास विषेषता वाले वार्ड या मोहल्ले को नगर पालिका निगम की ओर से हर वर्ष कोई एक श्रेष्ठ विकास कार्य अथवा कार्यक्रम के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। कोई वार्ड अपने कचरे की समस्या से कैसे निपटता है कौन से अच्छे तरीके अपनाता है.....जैसे यदि कोई वार्ड पूरी तरह से अपराधमुक्त है और छोटे-मोटे झगड़े वे आपसी सहमति से ही निपटा लेते हैं तो न्यायालयों और पुलिस में काम का बोझ कम होता है। ऐसे वार्ड/समिति को प्रेरणा के रूप में किसी महापुरूष के नाम पर पुरस्कृत किया जाएगा। जैसे कोई वार्ड महिला-पुरूष अनुपात में अच्छा है या किसी वार्ड में कन्याओं की संख्या बढ़ी है या पौधारोपण, हरियाली में मिसाल कायम की है या शत प्रतिषत वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक को अपनाया है तो ऐसे वार्ड को भी किसी समाजसेवी महिला के नाम से पुरस्कार दिया जाएगा। जैसे यदि कोई वार्ड सर्वाधिक या सबसे पहले राजस्व जमा करने में प्रथम आता है तो वह वार्ड भी सम्मानित किया जाएगा। पूरा वार्ड एक परिवार की इकाई की तरह काम करेगा ऐसा भाव सभी में विकसित किया जाएगा।

8. यदि कोई वार्ड या मोहल्ला/समिति सौर ऊर्जा से संचालित हो रहा है अथवा वहां के लोगों ने सफाई व्यवस्था, सीवेज सिस्टम को सुधारने के कोई अच्छे विकल्प स्वयं के संसाधनों से तैयार किये हैं तो ऐसे वार्ड को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इससे मेक इन इंडिया की योजना को भी सफल बनाने में सहायता मिलेगी। हर वार्ड में युवा खिलाडि़यों की एक टीम होगी। यह टीम फुटबाल, वालीबाॅल, कबड्डी, हाॅकी, शतरंज (एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों को पेश करने वाली) जैसे कई खेलों की बनेगी नगर पालिका निगम भोपाल की ओर से महापौर खेल ट्राफी का आयोजन कराया जाएगा, जिसमें वार्ड स्तर से खिलाड़ी चयनित होंगे और फिर आपस में ही वार्ड स्तर पर ही पहले खेल भावना से प्रतियोगिता होगी। अच्छा प्रदर्षन करने वाले खिलाडि़यों को काॅलेज स्तर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्षन का अवसर मिल सकेगा। अच्छे खिलाड़ी और खेलप्रतिभाएं निकलेंगी। हर वार्ड की पहचान वहां की खेल टीम और बेहतर प्रदर्षन करने वाले खिलाड़ी के नाम पर भी होगी। हर सप्ताह वार्ड स्तर पर प्रतियोगिता होगी और हर महीने सेमीफाइनल अथवा फाइनल मुकाबले होंगे।

9. इन सबके लिए प्रत्येक वार्ड में कम से कम सौ-सौ बुजुर्गों का समूह बनाया जाएगा। सौ-सौ महिलाओं की टीम बनाई जाएगी। सौ-सौ बच्चों और सौ-सौ युवाओं एवं सौ-सौ वरिष्ठ युवाओं की टीम बनाई जाएगी जो अपने-अपने स्तर पर एवं मिलकर सभी कार्यक्रम तैयार करेंगे, वार्ड की प्रतिभाओं की पहचान करेंगे, वार्ड की समस्या पर विचार करेंगे और समाधान के उपाय सुझायेंगे। ये टीम सप्ताह में सिर्फ एक घण्टे का समय अपनी समिति के प्रदर्शन को बेहतर बनाने या निखारने पर देंगे। युवाओं की टीम को नेतृत्व क्षमता विकास और आपदा प्रबंधन का निःषुल्क प्रषिक्षण दिया जाएगा ताकि मुष्किल समय में वे अपनी समस्याओं का तत्काल निराकरण करने में सक्षम हो सकेंगे। ये टीमें शासकीय योजना, सुझाये गए उपायों और लिये गए निर्णयों पर अपनी सतत निगरानी रखेंगे। इनकी वार्ड स्तर पर ही महीने में दो बार बैठक होगी जिसमें महापौर, पार्षद, विधायक, सांसद, थानाप्रभारी अथवा सीएसपी, वार्ड में रहने वाले वरिष्ठ अधिकारी और सबसे गरीब व्यक्ति के साथ अनुभव साझा किये जाएंगे। चर्चा, मंथन कर समाज के विकास में सहयोग देंगे। इन बैठकों में ऐसी पारिवारिक एवं आस पड़ोस के मनमुटाव से जुड़ी समस्याओं के समाधान के उपाय भी किये जा सकेंगे जो लंबे कानूनी प्रावधानों में उलझकर रह गई हैं। ये लोकअदालत जैसा काम कर सकते हैं। अथवा मामूली बात पर होने वाली आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने में कारगर साबित हो सकेंगे।

10. शासकीय योजनाओं का लाभ उन्हें मिलेगा जो भारतीय परंपरा अनुसार संयुक्त परिवार में रह रहे हैं अथवा ऐसे एकल परिवार को अपने माता-पिता अथवा सास ससुर का सत्यापित प्रमाण पत्र लगाना अनिवार्य किया जाएगा जो किसी अन्य कारण से अलग रह रहे हैं। 

11. सामाजिक बुराईयों के निदान के लिए पुजारी, पंडों और पंडितोें को प्रषिक्षण दिया जाएगा ताकि वे धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-आरती के कार्यक्रम में कुछ समय अच्छाई के लिए सच्चाई के लिए सीख देंगे। जैसे मौलवी सप्ताह में एक बार मोहल्ले का भ्रमण करते है लोगों को समझाते है जैसे नन्स गरीब बस्तियों का दौरा करती हैं वैसे ही पुजारी भी मंदिर तक सीमित नहीं रहेंगे वे भक्तों के हाल-चाल जानने उनके घर-परिवार से मिलेंगे अच्छी समझाईष देंगे। शादियों में सात फेरों के साथ खुशहाल सुखी दाम्पत्य जीवन के बारे में भी नवदम्पतियों को समझायेंगे। उनसे संकल्प करायेंगे। वे आपस में नहीं झगड़ेंगे।

12. मकान एक्सचैंज की सुविधा दी जाएगी....देखा गया है कि किसी का स्कूल घर से बहुत दूर है और किसी का आफिस। ऐसे में समय, श्रम और पैसा अधिक व्यय होता है। देश के पेट्रोल की बंूद-बूंद कीमती है जिसमें करोड़ों की मुद्रा देश के बाहर जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए स्वेच्छा से मकान एक्सचैंज करने की व्यवस्था कुछ समय के लिए दी जाएगी, जिससे यदि कोई व्यक्ति स्कूल या आफिस के पास में मकान की अदला-बदली कर सकते हैं तो करने की सुविधा प्रषासनिक स्तर पर उपलब्ध कराई जा सकती है।

13. वार्ड समितियों या टीमों में आपसी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करायी जाएगी। जिसमें बेहतर कार्य करने वाली समिति अथवा टीमें सम्मानित की जाएंगी। जैसे पिकनिक स्पाॅट पर सुरक्षा व्यवस्था, मिलावट रोकने में सहायता वार्ड की टीमों को उत्पादन और आविष्कार के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा आदि।

स्मार्ट सिटी के लिए आपके द्वारा मांगे गए
सुझाव के लिए आभार....बहुत-बहुत धन्यवाद।


ऐसे कई उपाय हैं जो स्मार्ट सिटी के लिए किए जा सकते हैं ये ऐसे उपाय हैं जो देष दुनिया में भोपाल को एक नई पहचान देंगे और जिसका अनुसरण दूसरे राज्य करेंगे तो नागरिकों के सुखी स्वस्थ जीवन की कल्पना को साकार करने में सफल हो सकेंगे ।

-- आषीष श्रीवास्तव
समाजसेवी/पत्रकार/परामर्षदाता
मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम
एलआईजी-204, कोटरा सुल्तानाबाद, खेल मैदान पास, भोपाल मप्र 
8871584907

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