अफगानिस्तान की यात्रा पर काबुल पहुंचे PM मोदी
काबुल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफगानिस्तान की यात्रा पर पहुंचे और इस दौरान वह देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी समेत विभिन्न शीर्ष नेताओं के साथ वार्ता करेंगे और संसद भवन का उद्घाटन करेंगे जिसे भारत द्वारा नौ करोड़ डॉलर की लागत से बनवाया गया है।
प्रधानमंत्री तड़के मॉस्को से रवाना हुए जहां उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वाषिर्क शिखर वार्ता की। मोदी का यहां पहुंचने पर अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोहम्मद हानिफ अतमार और उप विदेश मंत्री हेकमत करजई ने स्वागत किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘ रूस से अफगानिस्तान की ओर रवानगी। भोर से पहले काबुल आगमन के बाद एक अन्य दोस्त के साथ वार्ता का एक और दिन।’ काबुल आगमन पर मोदी ने कहा, ‘काबुल में मित्रों के बीच पहुंचकर खुश हूं। अशरफ गनी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात होगी। ’
मोदी सुरक्षा सहयोग समेत अहम द्विपक्षीय मामलों पर अफगानिस्तान के नेताओं से वार्ता करेंगे और युद्धग्रस्त देश की मदद के तरीकों पर चर्चा करेंगे। भारत ने अफगानिस्तान को दो अरब डॉलर से अधिक की मदद देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। प्रधानमंत्री संसद भवन का भी उद्घाटन करेंगे और उनके अफगानिस्तान के सांसदों को संबोधित करने की भी उम्मीद है।
भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में सहयोग करने और मित्रता के प्रतीक के रूप में 2007 में संसद भवन परियोजना शुरू की थी। इसे चार करोड़ 50 लाख डॉलर की अनुमानित लागत से शुरू किया गया था। इस भवन में वोलेसी जिरगा (निचला सदन) है जिसमें 294 लोग बैठ सकते हैं और मेशरानो जिरगा (उपरी सदन) में 190 लोग बैठ सकते है। इसके अलावा इसमें सम्मेलन हॉल और प्रेस कक्ष जैसी सुविधाएं भी हैं।
अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले भारत ने अफगानिस्तान को तीन एमआई 25 हेलीकॉप्टर की आपूर्ति की जिसे युद्धग्रस्त देश के प्रति उसकी रणनीति में बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि अफगानिस्तान की सरकार को इस प्रकार के तीन हेलीकॉप्टर पहले की दिए जा चुके हैं जो कि तालिबान आतंकवादियों के खिलाफ इसकी क्षमता बढाएंगे। इस इमारत में मुगल और आधुनिक वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है और एशिया का सबसे बड़ा गुंबद इसमें आकषर्ण का मुख्य केंद्र है।
इस बीच सूत्रों ने बताया कि एमआई 25 हेलीकॉप्टरों को भारतीय वायु सेना के सी 17 वाहक विमान के जरिए अफगानिस्तान लाया गया।अफगानिस्तान मशीनरी के संदर्भ में अपनी सैन्य क्षमता बढाने के लिए भारत से बार बार मदद मांगता रहा है लेकिन भारत अब तक इस मामले में मदद करने से बचता रहा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नयी दिल्ली की हालिया यात्रा के बाद मदद करने का यह निर्णय लिया गया।
अफगानिस्तान तालिबान के खिलाफ अपने अभियानों के लिए अभी तक अमेरिकी हवाई सहयोग पर भी निर्भर रहा है। हालांकि अमेरिकी बल बड़े पैमाने पर इस देश से वापसी कर रहे हैं, ऐसे में अफगान बल अब एमआई 25 का इस्तेमाल करेंगे।
प्रधानमंत्री तड़के मॉस्को से रवाना हुए जहां उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वाषिर्क शिखर वार्ता की। मोदी का यहां पहुंचने पर अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोहम्मद हानिफ अतमार और उप विदेश मंत्री हेकमत करजई ने स्वागत किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘ रूस से अफगानिस्तान की ओर रवानगी। भोर से पहले काबुल आगमन के बाद एक अन्य दोस्त के साथ वार्ता का एक और दिन।’ काबुल आगमन पर मोदी ने कहा, ‘काबुल में मित्रों के बीच पहुंचकर खुश हूं। अशरफ गनी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात होगी। ’
मोदी सुरक्षा सहयोग समेत अहम द्विपक्षीय मामलों पर अफगानिस्तान के नेताओं से वार्ता करेंगे और युद्धग्रस्त देश की मदद के तरीकों पर चर्चा करेंगे। भारत ने अफगानिस्तान को दो अरब डॉलर से अधिक की मदद देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। प्रधानमंत्री संसद भवन का भी उद्घाटन करेंगे और उनके अफगानिस्तान के सांसदों को संबोधित करने की भी उम्मीद है।
भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में सहयोग करने और मित्रता के प्रतीक के रूप में 2007 में संसद भवन परियोजना शुरू की थी। इसे चार करोड़ 50 लाख डॉलर की अनुमानित लागत से शुरू किया गया था। इस भवन में वोलेसी जिरगा (निचला सदन) है जिसमें 294 लोग बैठ सकते हैं और मेशरानो जिरगा (उपरी सदन) में 190 लोग बैठ सकते है। इसके अलावा इसमें सम्मेलन हॉल और प्रेस कक्ष जैसी सुविधाएं भी हैं।
अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले भारत ने अफगानिस्तान को तीन एमआई 25 हेलीकॉप्टर की आपूर्ति की जिसे युद्धग्रस्त देश के प्रति उसकी रणनीति में बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि अफगानिस्तान की सरकार को इस प्रकार के तीन हेलीकॉप्टर पहले की दिए जा चुके हैं जो कि तालिबान आतंकवादियों के खिलाफ इसकी क्षमता बढाएंगे। इस इमारत में मुगल और आधुनिक वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है और एशिया का सबसे बड़ा गुंबद इसमें आकषर्ण का मुख्य केंद्र है।
इस बीच सूत्रों ने बताया कि एमआई 25 हेलीकॉप्टरों को भारतीय वायु सेना के सी 17 वाहक विमान के जरिए अफगानिस्तान लाया गया।अफगानिस्तान मशीनरी के संदर्भ में अपनी सैन्य क्षमता बढाने के लिए भारत से बार बार मदद मांगता रहा है लेकिन भारत अब तक इस मामले में मदद करने से बचता रहा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नयी दिल्ली की हालिया यात्रा के बाद मदद करने का यह निर्णय लिया गया।
अफगानिस्तान तालिबान के खिलाफ अपने अभियानों के लिए अभी तक अमेरिकी हवाई सहयोग पर भी निर्भर रहा है। हालांकि अमेरिकी बल बड़े पैमाने पर इस देश से वापसी कर रहे हैं, ऐसे में अफगान बल अब एमआई 25 का इस्तेमाल करेंगे।
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