-->

Breaking News

संघ, सरकार और नौकरशाह

सवाल दर सवाल..
(राकेश अग्निहोत्री)

संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक में तमाम ज्वलंत मुद्दों पर नौकरशाहों की भूमिका का भारी साबित होना तय है। चाहे वो बढ़ती साम्प्रदायिक घटनाओं से बेखबर कलेक्टरों की भूमिका से जुड़ा सवाल हो या फिर दलित एजेंडे की आड़ में सरकार पर दबाव बनाने में जुटे आईएएस अधिकारी ही क्यों न हों। समन्वय बैठक के एजेंडे में सिंहस्थ की तैयारियों की जायजा शामिल है तो बीजेपी की सरकार और संगठन में बेहतर तालमेल के बीच अगले विधानसभा चुनाव की जमावट पर भी चर्चा होना तय है। इस बैठक की शुरुआत हो चुकी है और इसका महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि हाल ही में बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के रूप में मिल चुका है और प्रदेश के निर्वाचित अध्यक्ष की भूमिका में नंदकुमार सिंह चौहान के साथ संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन इसमें मौजूद रहेंगे तो खासतौर से शामिल होने के लिए प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे भी आ रहे हैं। मैहर उपचुनाव की व्यस्तता के बाद भी नजर शिवराज पर भी रहेगी कि क्या वो इस समन्वय बैठक का हिस्सा बनते हैं जिसमें क्षेत्र प्रचारक तमाम जीवंत मुद्दों पर बीजेपी समेत सभी अनुषंगी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की दशा और दिशा पर फीडबैक लेंगे। सवाल खड़ा होना लाजमी है कि बेलगाम होते नौकरशाहों पर शिवराज द्वारा नकेल कसने के बाद भी यदि कुछ ही सही अधिकारी सिरदर्द बन गए हैं तो क्या इससे संघ का हिन्दुत्व का एजेंडा प्रभावित हो रहा है। वह भी तब जब झाबुआ में मिली हार के बाद आदिवासी वोट बैंक को संजोकर रखना एक बड़ी समस्या है तो दलित वोट बैंक को लेकर भी सियासत जोरों पर है।
राजधानी भोपाल में होने जा रही संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि हाल ही में संघ के प्रमुख पदाधिकारी छत्तीसगढ़ दौरे पर आए संघ प्रमुख मोहन भागवत से चर्चा कर लौटे हैं जहां मध्यप्रदेश के कुछ शहरों में सड़कों पर बड़ी संख्या में इकट्ठे हुए वर्ग विशेष के लोगों को लेकर गंभीर चिंता जताई गई थी। समुदाय विशेष की बढ़ती सक्रियता, उनकी एकता से ज्यादा सवाल खड़े हुए हैं तो कलेक्टरों की भूमिका और सूचना तंत्र की विफलता को लेकर। जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गंभीरता से ले चुके हैं बावजूद इसके साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में संघ के एजेंडे में सबसे ऊपर नौकरशाहों की भूमिका रहेगी। नौकरशाहों का इस बैठक में मुद्दा बनना तय है और इस पर सफाई बीजेपी नेताओं को देना होगी। अधिकारी इन दिनों यदि विवादों के घेरे में हैं और सरकार के लिए समस्या बन गए हैं तो उसके कारण एक नहीं हैं। मुख्यमंत्री खुद यदि जनसंवाद के दौरान मौके पर मौजूद अधिकारियों को चेतावनी देने के लिए मजबूर हुए हैं तो फिर व्यवस्था पर सवाल खड़ा होना लाजमी है। कई अधिकारियों के खिलाफ सरकार की सख्ती के बाद भी आएदिन कोई न कोई जिम्मेदार अधिकारी विवादों के कारण सुर्खियों मेें आ जाता है। चाहे फिर वो सरकार की योजनाओें के क्रियान्वयन में आ रहे अड़ंगे की बात हो या फिर ज्वलंत मुद्दों पर मिसहैंडलिंग की। झाबुआ जहां बीजेपी चुनाव हार चुकी है वहां से आ रही खबर चौंकाने वाली है क्योंकि यदि कलेक्टर अरुणा गुप्ता अपनी टीम में अधिकारियों की कमी का रोना क्षेत्र के सांसद वरिष्ठ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के सामने रोने की खबर सामने आती है तो इसे ऩजरअंदाज नहीं किया जा सकता है चाहे फिर इसके लिए आड़ सिंहस्थ में तैनाती की ली गई हो। ये पहला मामला नहीं है इससे पहले भी मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान ही नहीं अपने दौरे के समय में भी अधिकारियों को लताड़ लगा चुके हैं। मंत्रियों और अधिकारियों के बीच तालमेल का अभाव कोई नई बात नहीं है लेकिन ताजा मामला जो रमेश थेटे और शशि कर्णावत से जुड़ा है उसने सरकार के सामने एक नई समस्या खड़ी कर दी है। इसे संयोग कहा जाए या फिर अधिकारियों की गुटबाजी का नतीजा जो इन दलित अधिकारियों ने प्रताड़ना का आरोप लगाकर एक सियासी बहस छेड़ रखी है। इन दोनों अधिकारियों का विवादों से पुराना नाता है और इसमें से एक का मामला कोर्ट तक जा पहुंचा है तो दूसरे के निशाने पर कोई और नहीं लोकायुक्त आ चुके हैं। झाबुआ में मिली हार के बाद जब मैहर विधानसभा का उपचुनाव बीजेपी की साख से जुड़ चुका है तब इन अधिकारियों ने अपनी मांग मनवाने के लिए सरकार पर जो दबाव बनाया है उसने सूबे की राजनीति में भूचाल लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वित्त मंत्री जयंत मलैया के विशेष रुचि लेने की वजह कुछ भी रही हो लेकिन इन अधिकारियों के साथ दो दौर की चर्चा के बाद यदि विवाद का पटाक्षेप नहीं हुआ है तो इसके दूरगामी परिणाम नजर आ सकते हैं। शशि कर्णावत ने तो अपने सहयोगी आईएएस अधिकारी रमेश थेटे को आगे रखकर खुद ये कहकर मौन साध लिया है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वो हनुवंतिया में जल समाधि उस वक्त ले लेंगी जब वहां कैबिनेट की बैठक होगी। इसे कर्णावत की जिद कहें या फिर समझौते में एक नए फार्मूले की गुंजाइश तलाशना लेकिन समय सीमित बचा है। कह सकते हैं कि सरकार के पास बेहतर विकल्प तलाशने के लिए 48 घंटे का समय है। इस एपीसोड का पटाक्षेप करने में जुटे जयंत मलैया ने शिवराज सिंह चौहान और एंटोनी डिसा को भरोसे में लेकर जो सार्थक पहल की है यदि उसके नतीजे जल्द सामने नहीं आते हैं तो इसकी गूंज मैहर उपचुनाव में सुनाई दे सकती है। जहां बाबा साहेब अंबेडकर के जन्मशताब्दी कार्यक्रम की आड़ में एक गैर राजनीतिक मंच पर ये दोनों नेता नजर आ सकते हैं जो पहले ही भोपाल संभाग के कार्यक्रम में कांग्रेस नेताओं के साथ खड़े नजर आए थे। संघ के एजेंडे में हमेशा आदिवासी के साथ दलित समाज का उत्थान सबसे ऊपर रहा है जिस पर अपनी पकड़ के जरिए बीजेपी चुनाव जीतती रही है। ये कहना गलत नहीं होगा कि इन दो अधिकारियों की मांगों पर विचार के लिए सरकार इसलिए मजबूर हुई है क्योंकि हैदराबाद में एक दलित छात्र द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद पीएम मोदी की घेराबंदी राष्ट्रीय स्तर पर सियासी दलों की रणनीति का हिस्सा बन गई है। ऐसे में सीएम शिवराज कभी नहीं चाहेंगे कि आदिवासी के साथ दलित फैक्टर सरकार के लिए नई समस्या बने क्योंकि बीजेपी तमाम कोशिशों के बाद भी भूरिया और उनकी कांग्रेस को चाहकर भी झाबुआ में पराजित नहीं कर पाई। संघ की समन्वय बैठक में अलग-अलग कारणों से विवाद में आए अफसरों के साथ जिन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है उसमें नंदकुमार की नई टीम का गठन, निगम-मंडल, आयोग और प्राधिकरण के बाद प्रस्तावित कैबिनेट विस्तार के साथ मैहर उपचुनाव प्रमुख है। 

No comments

सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com