बढ़ रहा बीहर और बिछिया का पानी, आम जीवन अस्त-व्यस्त
रीवा। आसमान से गिर रही आफत के बीच जिले के 42 गांवों का संपर्क मप्र से टूट चुका है। जिला प्रशासन ने जिले में जहां हाई अलर्ट घोषित कर रखा है तो दूसरी तरफ जिले के अलग-अलग जगहों में तकरीबन एक सैकड़ा घर जमीदोज हो गए हैं। 24 घंटे में अब तक कुल 229 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। बाढ़ के हालात त्योंथर तहसील के तराई अंचल में बने हुए हैं। जबकि शहर में भी बारिश ने बुरा हाल कर रखा है। जन-जीवन अस्त-व्यस्त होने के साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी पटरी से उतर गई है। बस हर तरफ लोग बारिश के निकल जाने की ही दुआ कर रहे हैं। टमस नदी में खोले गए 14 गेटों से बकिया बराज से कुल 5000 क्यूमेक पानी टमस नदी में छोड़ा गया है। जिससे टमस नदी उफान पर हैं। जिले की प्रमुख नदियां क्रमशः टमस, बेलन, बिछिया, बीहर, महाना, ओड्डा नदी ऊफान पर हैं। बैकुण्ठपुर से क्योंटी होकर कटरा जाने वाली सड़क क्योंटी के समीप टमस की धार का सामना नहीं कर सकी जिसके कारण सड़क पानी में बह गई है।
पिछले 5 दिनों से हो रही बारिश के चलते शहर पानी-पानी हो गया है। शहर का 43 फीसदी क्षेत्र पानी से लबालब हो गया है। लोगों के घरों में भी जहां पानी घुस गया है वहीं कॉलोनी जल मग्न है। जबकि शहर के 9 ऐसे स्थान चिंहित किए गए हैं जहां 3 से 5 फीट पानी बस्ती समेत घरों में पहुंच गया है।
शहर में पानी को लेकर लोगों में आक्रोश भी नजर आ रहा है। हो रहे जल भराव के पीछे प्रशासनिक व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। समय से पहले नालियों की समुचित सफाई व्यवस्था न हो पाना व जल निकासी के सही प्रबंधन न होने सहित अन्य लापरवाही सामने आ रही है। जिसके चलते कॉलोनी व बस्तियों सहित लोगों के घरों में पानी भर गया है। प्रशासन को मदद के लिए गुहार लगाने की बजाय पीड़ित परिवार अब भगवान से प्रार्थना करने लगा है कि बारिश कब थमेगी और इस कृत्रिम बाढ़ से उन्हें कब निजात मिलेगी। कारण यह कि घरों में पानी भर जाने से लोगों की गृहस्थी जहां तैरने लगी है वहीं दूसरी मंजिल भवनों में अपने आप को लोग व्यवस्थित कर रहे हैं। जिन परिवार के पास एक मंजिला भवन है और पानी भर गया है वे घर के आसपास मौजूद लोगों से मदद लेकर अपने को सुरक्षित करने की जुगाड़ लगा रहे हैं।
जल भराव की समस्या को देखने के लिए प्रदेश शासन के खनिज उद्योग मंत्री व स्थानीय विधायक राजेन्द्र शुक्ल, महापौर ममता गुप्ता, कलेक्टर राहुल जैन, नगर निगम कमिश्नर कर्मवीर शर्मा, ननि के स्वास्थ्य अधिकारी अरूण मिश्रा सहित प्रशासनिक अधिकारी व अन्य अमला जल भराव क्षेत्रों का भ्रमण करके वस्तुस्थिति से न सिर्फ अवगत हुए बल्कि जल भराव से निपटने के लिए चर्चा भी किए। इन्द्रदेव पर ही शहरवासियों को उम्मीद है। कारण यह कि प्रशासनिक व्यवस्था फेल होती नजर आ रही है और जल निकासी के लिए प्रशासन कोई ठोस कदम उठाने में कमजोर साबित हो रहा है।
ये क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित
जल भराव के लिए प्रशासन ने 9 प्रमुख स्थानों को चिंहित किया है जिनमें निराला नगर, बोदाबाग, नेहरू नगर, रानी तालाब, ललपा सहित अन्य प्रमुख स्थान शामिल है। तो वहीं 8 स्थानों पर शिविर लगाए गए हैं जहां भोजन, चिकित्सा व अन्य सुविधाएं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए बनाई गई है। उनमें से पीके स्कूल, एसके स्कूल, पाण्डेन टोला स्कूल,
सरस्वती स्कूल, एग्रीकल्चर कॉलेज, आयुर्वेद कॉलेज, ललपा सरकारी स्कूल आदि शामिल हैं। उक्त स्थानों पर बाढ़ ग्रस्त लोगों को व्यवस्थित करने के साथ ही लोगों को शिविर में रहने के लिए प्रशासन ने लाउड स्पीकर से घोषणा भी की है।
बीहर-बिछिया पर नजर
शहर के प्रमुख बीहर नदी भी उफान पर है। हालांकि अभी खतरे के निशान से लगभग नीचे बीहर नदी का जल प्रवाह चल रहा है। हालात यही रहे तो जल्द ही बीहर नदी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाएगी। मंगलवार की शाम 4 बजे तक बीहर नदी का जलस्तर 19.2 प्वाइंट रहा है। इसी तरह बिछिया नदी का भी जलस्तर बढ़ रहा है। दोनों ही नदियों में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। जबकि बीहर नदी की निपनिया पुल डूब जाने के कारण निपनिया, रौसर आदि क्षेत्रों का आवागमन प्रभावित हुआ है। उक्त क्षेत्र के रहवासी विक्रम पुल का उपयोग करके अपने गतंव्य के लिए रास्ता तय कर रहे हैं। वहीं नदी से लगे हुए क्षेत्रों में प्रशासन ने एलर्ट घोषित कर दिया है। नदी क्षेत्र के रहवासियों को एजी कॉलेज, आयुर्वेद कॉलेज सहित उससे लगे हुए सरकारी भवनों व स्कूलों में रहने की व्यवस्था बनाई है।
जल भराव की समस्या व बारिश को देखते प्रशासन ने स्कूलों में बुधवार को अवकाश घोषित किया है। 18 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व होने से छुट्टी है। अब स्कूलें 19 अगस्त को खुलेंगी।
यहां की पुल डूबी
त्योंथर तहसील के डीह पुल, नैना, गोरमा की पुल, मटियारी पुल और शहर की निपनिया पुल डूब गई है। इसी तरह क्षेत्र के तकरीबन दो दर्जन से अधिक रपटा भी डूब चुके हैं। मौसम विभाग के अनुसार उक्त बारिश आगामी 24 घंटे तक जारी रहेगी।
ये हैं प्रभावित
जिन क्षेत्रों में बारिश का पानी घरों में भरा है उनमें त्योंथर, जवा, सिरमौर, सेमरिया, मनगवां, नईगढ़ी, गुढ़ सहित शहर शामिल है। इसी क्रम में बारिश जारी रही तो बाढ़ की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
अवकाश घोषित
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कलेक्टर रीवा राहुल जैन द्वारा जहां 16 व 17 अगस्त को बच्चों को अवकाश दिया गया है वहीं शिक्षकों को विद्यालय में उपस्थित रहने की हिदायत दी गई है। जिसके पीछे का कारण यह है कि विद्यालय को ही राहत कैम्प के रूप में तब्दील कर दिया गया है।
एक सैकड़ा घर जमींदोज
त्योंथर तहसील के ऊसर, पंछा, मांगी, कोराव, नगर पंचायत परिसर, जवा के भनिगवां व शहर के निपनिया, बड़ा तालाब, सिरमौर नगर में अनुमानित कुल 100 से अधिक कच्चे मकान मलबे में तब्दील हो गए हैं। साथ ही जहां बाढ़ की स्थिति निर्मित है वहां बाढ़ राहत कैम्पों के जरिए लोगों को भोजन व रुकने की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है।
निपनिया पुल भी डूबी
उधर बिछिया नदी में उफान के कारण निपनिया पुल भी डूब गई है, निपनिया पुल के डूबने से आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया है।
बीहर नदी के ऊपर बने छोटी पुल एवं बड़ी पुल की रेलिंग से टिक बच्चों से लेकर वृद्ध तबके के लोग सेल्फी ले रहे है, जो किसी अप्रिय दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है। गौरतलब है कि माह भर पूर्व पुर्वा फाल में सेल्फी लेने के कारण 5 युवकों की मृत्यु हो गई थी। स्थल में मौजूद पुलिस कर्मियों के मना करने के बावजूद भी लोग सेल्फी लेने एवं फोटो खींचने से बाज नही आ रहे है।
पिछले 5 दिनों से हो रही बारिश के चलते शहर पानी-पानी हो गया है। शहर का 43 फीसदी क्षेत्र पानी से लबालब हो गया है। लोगों के घरों में भी जहां पानी घुस गया है वहीं कॉलोनी जल मग्न है। जबकि शहर के 9 ऐसे स्थान चिंहित किए गए हैं जहां 3 से 5 फीट पानी बस्ती समेत घरों में पहुंच गया है।
शहर में पानी को लेकर लोगों में आक्रोश भी नजर आ रहा है। हो रहे जल भराव के पीछे प्रशासनिक व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। समय से पहले नालियों की समुचित सफाई व्यवस्था न हो पाना व जल निकासी के सही प्रबंधन न होने सहित अन्य लापरवाही सामने आ रही है। जिसके चलते कॉलोनी व बस्तियों सहित लोगों के घरों में पानी भर गया है। प्रशासन को मदद के लिए गुहार लगाने की बजाय पीड़ित परिवार अब भगवान से प्रार्थना करने लगा है कि बारिश कब थमेगी और इस कृत्रिम बाढ़ से उन्हें कब निजात मिलेगी। कारण यह कि घरों में पानी भर जाने से लोगों की गृहस्थी जहां तैरने लगी है वहीं दूसरी मंजिल भवनों में अपने आप को लोग व्यवस्थित कर रहे हैं। जिन परिवार के पास एक मंजिला भवन है और पानी भर गया है वे घर के आसपास मौजूद लोगों से मदद लेकर अपने को सुरक्षित करने की जुगाड़ लगा रहे हैं।
जल भराव की समस्या को देखने के लिए प्रदेश शासन के खनिज उद्योग मंत्री व स्थानीय विधायक राजेन्द्र शुक्ल, महापौर ममता गुप्ता, कलेक्टर राहुल जैन, नगर निगम कमिश्नर कर्मवीर शर्मा, ननि के स्वास्थ्य अधिकारी अरूण मिश्रा सहित प्रशासनिक अधिकारी व अन्य अमला जल भराव क्षेत्रों का भ्रमण करके वस्तुस्थिति से न सिर्फ अवगत हुए बल्कि जल भराव से निपटने के लिए चर्चा भी किए। इन्द्रदेव पर ही शहरवासियों को उम्मीद है। कारण यह कि प्रशासनिक व्यवस्था फेल होती नजर आ रही है और जल निकासी के लिए प्रशासन कोई ठोस कदम उठाने में कमजोर साबित हो रहा है।
ये क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित
जल भराव के लिए प्रशासन ने 9 प्रमुख स्थानों को चिंहित किया है जिनमें निराला नगर, बोदाबाग, नेहरू नगर, रानी तालाब, ललपा सहित अन्य प्रमुख स्थान शामिल है। तो वहीं 8 स्थानों पर शिविर लगाए गए हैं जहां भोजन, चिकित्सा व अन्य सुविधाएं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए बनाई गई है। उनमें से पीके स्कूल, एसके स्कूल, पाण्डेन टोला स्कूल,
सरस्वती स्कूल, एग्रीकल्चर कॉलेज, आयुर्वेद कॉलेज, ललपा सरकारी स्कूल आदि शामिल हैं। उक्त स्थानों पर बाढ़ ग्रस्त लोगों को व्यवस्थित करने के साथ ही लोगों को शिविर में रहने के लिए प्रशासन ने लाउड स्पीकर से घोषणा भी की है।
बीहर-बिछिया पर नजर
शहर के प्रमुख बीहर नदी भी उफान पर है। हालांकि अभी खतरे के निशान से लगभग नीचे बीहर नदी का जल प्रवाह चल रहा है। हालात यही रहे तो जल्द ही बीहर नदी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाएगी। मंगलवार की शाम 4 बजे तक बीहर नदी का जलस्तर 19.2 प्वाइंट रहा है। इसी तरह बिछिया नदी का भी जलस्तर बढ़ रहा है। दोनों ही नदियों में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। जबकि बीहर नदी की निपनिया पुल डूब जाने के कारण निपनिया, रौसर आदि क्षेत्रों का आवागमन प्रभावित हुआ है। उक्त क्षेत्र के रहवासी विक्रम पुल का उपयोग करके अपने गतंव्य के लिए रास्ता तय कर रहे हैं। वहीं नदी से लगे हुए क्षेत्रों में प्रशासन ने एलर्ट घोषित कर दिया है। नदी क्षेत्र के रहवासियों को एजी कॉलेज, आयुर्वेद कॉलेज सहित उससे लगे हुए सरकारी भवनों व स्कूलों में रहने की व्यवस्था बनाई है।
जल भराव की समस्या व बारिश को देखते प्रशासन ने स्कूलों में बुधवार को अवकाश घोषित किया है। 18 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व होने से छुट्टी है। अब स्कूलें 19 अगस्त को खुलेंगी।
यहां की पुल डूबी
त्योंथर तहसील के डीह पुल, नैना, गोरमा की पुल, मटियारी पुल और शहर की निपनिया पुल डूब गई है। इसी तरह क्षेत्र के तकरीबन दो दर्जन से अधिक रपटा भी डूब चुके हैं। मौसम विभाग के अनुसार उक्त बारिश आगामी 24 घंटे तक जारी रहेगी।
ये हैं प्रभावित
जिन क्षेत्रों में बारिश का पानी घरों में भरा है उनमें त्योंथर, जवा, सिरमौर, सेमरिया, मनगवां, नईगढ़ी, गुढ़ सहित शहर शामिल है। इसी क्रम में बारिश जारी रही तो बाढ़ की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
अवकाश घोषित
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कलेक्टर रीवा राहुल जैन द्वारा जहां 16 व 17 अगस्त को बच्चों को अवकाश दिया गया है वहीं शिक्षकों को विद्यालय में उपस्थित रहने की हिदायत दी गई है। जिसके पीछे का कारण यह है कि विद्यालय को ही राहत कैम्प के रूप में तब्दील कर दिया गया है।
एक सैकड़ा घर जमींदोज
त्योंथर तहसील के ऊसर, पंछा, मांगी, कोराव, नगर पंचायत परिसर, जवा के भनिगवां व शहर के निपनिया, बड़ा तालाब, सिरमौर नगर में अनुमानित कुल 100 से अधिक कच्चे मकान मलबे में तब्दील हो गए हैं। साथ ही जहां बाढ़ की स्थिति निर्मित है वहां बाढ़ राहत कैम्पों के जरिए लोगों को भोजन व रुकने की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है।
निपनिया पुल भी डूबी
उधर बिछिया नदी में उफान के कारण निपनिया पुल भी डूब गई है, निपनिया पुल के डूबने से आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया है।
बीहर नदी के ऊपर बने छोटी पुल एवं बड़ी पुल की रेलिंग से टिक बच्चों से लेकर वृद्ध तबके के लोग सेल्फी ले रहे है, जो किसी अप्रिय दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है। गौरतलब है कि माह भर पूर्व पुर्वा फाल में सेल्फी लेने के कारण 5 युवकों की मृत्यु हो गई थी। स्थल में मौजूद पुलिस कर्मियों के मना करने के बावजूद भी लोग सेल्फी लेने एवं फोटो खींचने से बाज नही आ रहे है।
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