-->

Breaking News

नमोनिया के कारण 24 घंटे के भीतर तीन बच्चों की मौत

रीवा। बीते 24 घंटे के भीतर निमोनिया ने तीन बच्चों की जान ले ली है। जबकि 60 से अधिक बच्चे जीएमएच के बच्चा वार्ड में भर्ती हैं। जिनके उपचार में शिशु रोग विशेषज्ञों की टीम जुटी है। सुबह 7 बजे देवतालाब करौदंहा गांव निवासी सोनू साकेत के इकलौते बेटे ढाई वर्षीय घनश्याम साकेत ने दम तोड़ दिया।

उसे 6 सितंबर की रात में जीएमएच के बच्चा वार्ड में भर्ती किया गया था। परिजनों ने बताया कि उसे डॉक्टरों ने निमोनिया बताया था। फेफड़े में संक्रमण फैल गया था। उधर दोपहर 11 बजे पन्ना अमानगंज निवासी तीन वर्षीय सोनू पुत्र पूरन चौधरी की मौत हो गई। इस बच्चे को भी डॉक्टरों ने निमोनिया बताया था। वहीं पन्ना अमानगंज से आए एक और बच्चे ने भी दम तोड़ दिया है।

तीन बच्चों की मौत से जीएमएच में हड़कंम मच गया है। शिशु रोग विशेषज्ञ स्थिति को नियंत्रण करने में जुटे हैं। लेकिन हालात भयावह हैं। निमोनिया के केस एकाएक बढऩे से बच्चा वार्ड की सभी यूनिटें फुल हो गई हैं। भर्ती के लिए बेड कम पड़ते देख वैकल्पिक व्यवस्था शिशु रोग विभाग में की गई है। बरामदे में अतिरिक्त बेड लगाए गए हैं। जहां पर बच्चों को रख इलाज दिया जा रहा है।

निमोनिया की स्थिति को लेकर जब सीएमएचओ डॉ. एसके त्रिपाठी से जिले के हालात जाने गए तो उन्होंने कहा कि सब ठीक है। इक्का-दुक्का केस आ रहे हैं। जीएमएच में तीन बच्चों की मौत और 60 बच्चों की भर्ती से वे बेखबर हैं। रोकथाम के लिए एक्यूट रेस्पायरेटरी इंफेक्शन कंट्रोल प्रोग्राम है। नोडल अधिकारी नियुक्त हैं। बावजूद ऐसे हालात।

इसे साइलेंट किलर के नाम से पुकारते है। रीवा जिले में होने वाली 20 फीसदी बच्चों की मौत की वजह निमोनिया ही है। निमोनिया में फेफड़े का एक्स-रे और कल्चर जांच कराई जाती है। यह सुविधा जीएमएच में मौजूद है। शेष इलाज लक्षणों पर होता है। फौरन बच्चे के सिर पट्टी करें और एंटीबायोटिक दवा दें। बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर को ही दिखाएं।

इससे प्रतीत होता है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा संक्रामक बीमारियों की रिर्पोट आईडीएसपी पोर्टल पर नहीं हो रही है और जिम्मेदार लापरवाही पर पर्दा डालने का काम कर रहे हैं। कितनी शर्मनाक बात है कि बच्चे मर रहे हैं और अफसर अंजान बने हुए हैं।

क्या है निमोनिया
निमोनिया एक प्रकार का संक्रमण है। हवा में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। जो फेफड़े में संक्रमण पैदा कर देते हैं। लंग डिसीज या फिर हार्ट की बीमारी होने पर निमोनिया ज्यादा घातक होता है।

निमोनिया हर तीसरे साल दस्तक देता है। नमी और गर्मी एक साथ वातावरण में व्याप्त होना इसके प्रकोप का मुख्य कारण है। इसमें मरीजों के फेफड़ों में संक्रमण फैलता है। जो जानलेवा भी होता है।
डॉ. ज्योति सिंह, शिशु रोग विभागाध्यक्ष जीएमएच

Source :- rewariyasat

No comments

सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com