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इंसानियत फिर हुई शर्मसार! चिता की लकड़ी के लिए तोड़ा घर, दिया मां की अर्थी को कंधा, फिर किया अंतिम संस्कार

कालाहांडी। एक बार फिर ओडिशा का कालाहांडी चर्चा का विषय बना हुआ है। सरकारी सहायता न मिलने पर पत्नी की लाश कंधे पर लेकर घूमने की घटना के बाद एक ऐसी ताजा घटना सामने आई है। इस बार कालाहांडी जिले के गोलामुंडा तहसील में स्थित डोकरीपाड़ा गांव खबरों में आ गया है।

यहां चार लड़कियों को अपनी मां के शव को अंतिम संस्कार के लिए सिर पर रखकर ले जाना पड़ा और किसी ने भी उनकी कोई मदद नहीं की। इतना ही नहीं, हद तो तब हो गई जब महिला के अंतिम संस्कार के लिए लड़कियों को अपने ही कुटिया की छत तोडक़र लकड़ी निकालनी पड़ी। इस महिला का नाम था कनक सतपाथी, जिसकी लंबी बीमारी के चलते शुक्रवार रात को मौत हो गई थी। महिला की उम्र 75 वर्ष बताई जा रही है।

किसी ने नहीं की कोई मदद

लड़कियों ने अपने पड़ोसियों से मदद के लिए विनती भी की थी, लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की। कई घंटों तक मदद का इंतजार करने के बाद महिला की बेटियों ने फैसला किया कि वह खुद ही अपनी मां का अंतिम संस्कार करेंगी।

लड़कियों ने अपनी मां के शव को एक चारपाई को उल्टा करके उस पर बांध दिया और अंतिम संस्कार के लिए लेकर चल दीं। चारों बेटियों में से दो विधवा हैं और बाकी दो के पतियों ने उन्हें छोड़ दिया है। अपना पेट भरने के लिए वे सभी भीख मांगकर अपना पेट भरती हैं।

इससे पहले भी आया था चर्चा में कालाहांडी

ओडिशा का कालाहांडी जिला इससे पहले तब चर्चा में रहा था जब एक व्यक्ति अपनी पत्नी की लाश कंधे पर रखकर करीब 12 किलोमीटर तक पैदल चला था। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि उसे शव को अस्पताल से घर तक ले जाने के लिए कोई गाड़ी नहीं मिली थी।

14 सितंबर की रात को भवानीपटना के जिला मुख्यालय अस्पताल में दाना माझी नाम के इस शख्स की पत्नी की मौत हो गई थी। वह काफी समय से टीबी से पीडि़त थी, जिसका उपचार अस्पताल में चल रहा था, लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं सके।अगले दिन सुबह-सुबह स्थानीय लोगों ने देखा कि दाना माझी अपनी पत्नी अमंग देई का शव अपने कंधे पर रखकर घर की ओर जा रहा था। उस शख्स के साथ उसकी 12 साल की बेटी भी थी।

'महापरायण' नाम की योजना

गौरतलब है कि ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए ही नवीन पटनायक सरकार ने फरवरी में 'महापरायण' नाम की योजना शुरू की थी। इसके तहत शव को सरकारी अस्पताल से उसके घर तक पहुंचाने के लिए मुफ्त में वाहन की सुविधा दी जाती है। जब माझी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल की तरफ से उसे ऐसी कोई भी मदद मुहैया नहीं कराई गई।

इसलिए उसने खुद ही अपनी पत्नी के शव को कपड़े में लपेटा और कंधे पर लेकर पैदल ही भवानीपटना से मेलघारा गांव के लिए चल पड़ा। आपको बता दें कि ये कुल दूरी 60 किलोमीटर की है।जब कुछ स्थानीय मीडिया ने उन्हें देखा तो इसकी शिकायत जिला कलेक्टर के पास की।

जिसके तुरंत बाद जिला कलेक्टर ने एक्शन लेते हुए एम्बुलेंस की व्यवस्था की। तब तक वे व्यक्ति 12 किलोमीटर दूर आ चुका था और बची हुई 48 किलोमीटर की दूरी उसने सरकार की तरफ से मुहैया कराई गई एम्बुलेंस से की।

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