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उरी-जनता को जवाब देना मुश्किल

डा. वेद प्रताप वैदिक
जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ा दी है। अभी पठानकोट-हमले का खून सूखा भी नहीं था कि उरी में इतना गंभीर हमला हो गया। यह हमला भी सीमांत पर स्थित सेना के शिविर पर हुआ है। पिछले 25-30 साल में इतना संगीन आतंकी हमला पहली बार हुआ है। 17 भारतीय जवान मारे गए और 30 से भी ज्यादा घायल हो गए हैं। इसमें शक नहीं कि केंद्र सरकार एकदम सक्रिय हो गई है। गृहमंत्री राजनाथसिंह ने अपनी अमेरिका-यात्रा स्थगित कर दी और तत्काल विशेषज्ञों की बैठक बुलाई, रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर श्रीनगर और सेना-प्रमुख जनरल दलबीरसिंह घटना-स्थल पर पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री ने उचित कार्रवाई का संकल्प प्रकट किया है।

लेकिन होगा क्या? क्या भारत कोई जवाबी कार्रवाई करेगा? क्या करेगा? क्या वह भी पाकिस्तान में आतंकियों को भेजेगा? यदि सचमुच भारत भेज सकता होता तो अभी तक जरुर भेज देता लेकिन फिदायीन की तरह वहां मरने कौन जाएगा? और कौन से स्थानीय तत्व हैं, जो उसके आतंकवादियों को रास्ता बताएंगे, मदद करेंगे और बचाएंगे? दूसरा विकल्प यह है कि भारत उन सब आतंकी शिविरों पर सीधा हमला बोल दे, जहां से वे आते हैं। ये शिविर उस क्षेत्र में हैं, जो पाकिस्तान के कब्जे में हैं। इसके बावजूद भारत में दम हो तो वह हमला बोल सकता है।

अंतरराष्ट्रीय कानून में इसे ठेठ तक पीछा करना (हाट-परस्यूट) कहा जाता है। अपराधियों का पीछा करते हुए आप किसी भी देश की सीमा में घुस सकते हैं। तीसरा विकल्प यह है कि हमारे प्रधानमंत्री और सेनापति तुरंत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेनापति को फोन करें और कहें कि या तो आप अपने आतंकवादियों के शिविर नष्ट करें या फिर जैसे अमेरिका ने उसामा बिन लादेन को खत्म किया, वैसा ही हमें करने दें। जाहिर है कि पाकिस्तान इसके लिए तैयार नहीं होगा। वह उल्टे भारतीय कार्रवाई के जवाब में परमाणु बम चलाने की धमकी देगा। बताइए, अब आप क्या कर लेंगे? आप सिर्फ जुबान चला सकते हैं, जो खूब चला ही रहे हैं।

उरी के हमले से हमारी सरकार की प्रतिष्ठा पैंदे में बैठ रही है। हमारे जवान तंबू में जल मरे, इस पर कौन भरोसा करेगा? सिर्फ चार आतंकी मारे गए, वह भी चार-पांच घंटे की जद्दोजहद के बाद। शेष 12 कहां गए? जिन 200 आतंकियों के घुस आने की रपट थी, उनका क्या हुआ? आप पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर पाएं या नहीं, आपके लिए भारत की जनता को जवाब देना मुश्किल पड़ जाएगा। आप अपना घर संभाल लें, यही गनीमत होगी।

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