नगरोटा अटैक: आर्मी अफसरों की बीवियों की बहादुरी से टला 'बंधक संकट'
श्रीनगर :
नगरोटा में मंगलवार को आतंकियों ने 16 कोर मुख्यालय के निकट सैन्य शिविर
पर सबसे बड़ा फिदायीन हमला किया जिसमें सेना के दो मेजर और पांच सैनिकों
समेत सात जांबाज शहीद हो गए। उरी के बाद इसे दूसरा सबसे बड़ा आतंकी हमला
बताया जा रहा है। ख़बरों के मुताबिक अगर दो आर्मी अफसरों की पत्नियां
बहादुरी न दिखातीं तो नगरोटा में हुए आतंकवादी हमले में सेना को और बड़ा
नुकसान हो सकता था। आतंकवादियों का प्लान था कि वे कैंप में घुसकर 'बंधक
संकट' पैदा करें। हालांकि नगरोटा में सेना और रामगढ़ में BSF ने जवाबी
कार्रवाई में छह आतंकियों को मार गिराया है। दोनों जगह तीन-तीन आतंकी मारे
गए।
पत्नियों की बहादुरी से टला संकट
मिली जानकारी के मुताबिक जम्मू के नगरोटा में हुए आतंकवादी हमले में सेना को और बड़ा नुकसान हो सकता था लेकिन दो आर्मी अफसरों कि बीवियों ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी से इसे टाल दिया। बता दें कि फैमिली क्वार्टर्स में रह रहीं इन महिलाओं की बदौलत ही 'बंधक संकट' ज्यादा बड़ा रूप नहीं ले। ख़बरों के मुताबिक पुलिस की यूनिफॉर्म पहने भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने जब आर्मी यूनिट पर हमला किया, तो उनका मकसद फैमिली क्वॉर्टर्स में घुसना था जिससे वो वहां रह रहे सैनिकों के परिवारों को बंधक बना सकें।
अपने नवजात बच्चों के साथ फैमिली क्वार्टर में रह रहीं दो महिलाओं की बहादुरी ने चलते आतंकियों के मंसूबे पर पानी फिर गया। एक आर्मी अफसर ने बताया, 'दो आर्मी अफसरों की पत्नियों ने साहस दिखाते हुए घर के कुछ सामानों की मदद से अपने क्वार्टर की एंट्री को ब्लॉक कर दिया, जिससे आतंकवादियों के लिए घर में दाखिल होना मुश्किल हो गया।'
अफसर के मुताबिक अगर इन महिलाओं ने मुस्तैदी न दिखाई होती, तो आतंकवादी उन्हें बंधक बनाने में सफल हो जाते और सेना को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते थे।' सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष मेहता ने कहा, 'आतंकवादी दो बिल्डिंग्स में घुसे जिसमें सैनिकों के परिवार रहते हैं। इससे 'बंधक सकंट' जैसे हालात बन गए। इसके बाद सेना ने फौरन कार्रवाई करते हुए वहां से 12 सैनिकों, दो महिलाओं और दो बच्चों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया।'
अधिकारी ने बताया कि जिन दो बच्चों को बचाया गया है उनकी उम्र महज 18 महीने और दो महीने की है। हालांकि, इस रेस्क्यू के दौरान एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए। तीन आतंकवादियों के शव बरामद किए गए हैं और पूरे इलाके की तलाशी के लिए ऑपरेशन चलाया गया। सेना ने सर्च ऑपरेशन खत्म नहीं किया है क्योंकि वह अच्छी तरह पूरे इलाके की तलाशी लेना चाहती है, पर फिलहाल सुबह तक के लिए ऑपरेशन को स्थगित कर दिया गया है।
पत्नियों की बहादुरी से टला संकट
मिली जानकारी के मुताबिक जम्मू के नगरोटा में हुए आतंकवादी हमले में सेना को और बड़ा नुकसान हो सकता था लेकिन दो आर्मी अफसरों कि बीवियों ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी से इसे टाल दिया। बता दें कि फैमिली क्वार्टर्स में रह रहीं इन महिलाओं की बदौलत ही 'बंधक संकट' ज्यादा बड़ा रूप नहीं ले। ख़बरों के मुताबिक पुलिस की यूनिफॉर्म पहने भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने जब आर्मी यूनिट पर हमला किया, तो उनका मकसद फैमिली क्वॉर्टर्स में घुसना था जिससे वो वहां रह रहे सैनिकों के परिवारों को बंधक बना सकें।
अपने नवजात बच्चों के साथ फैमिली क्वार्टर में रह रहीं दो महिलाओं की बहादुरी ने चलते आतंकियों के मंसूबे पर पानी फिर गया। एक आर्मी अफसर ने बताया, 'दो आर्मी अफसरों की पत्नियों ने साहस दिखाते हुए घर के कुछ सामानों की मदद से अपने क्वार्टर की एंट्री को ब्लॉक कर दिया, जिससे आतंकवादियों के लिए घर में दाखिल होना मुश्किल हो गया।'
अफसर के मुताबिक अगर इन महिलाओं ने मुस्तैदी न दिखाई होती, तो आतंकवादी उन्हें बंधक बनाने में सफल हो जाते और सेना को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते थे।' सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष मेहता ने कहा, 'आतंकवादी दो बिल्डिंग्स में घुसे जिसमें सैनिकों के परिवार रहते हैं। इससे 'बंधक सकंट' जैसे हालात बन गए। इसके बाद सेना ने फौरन कार्रवाई करते हुए वहां से 12 सैनिकों, दो महिलाओं और दो बच्चों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया।'
अधिकारी ने बताया कि जिन दो बच्चों को बचाया गया है उनकी उम्र महज 18 महीने और दो महीने की है। हालांकि, इस रेस्क्यू के दौरान एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए। तीन आतंकवादियों के शव बरामद किए गए हैं और पूरे इलाके की तलाशी के लिए ऑपरेशन चलाया गया। सेना ने सर्च ऑपरेशन खत्म नहीं किया है क्योंकि वह अच्छी तरह पूरे इलाके की तलाशी लेना चाहती है, पर फिलहाल सुबह तक के लिए ऑपरेशन को स्थगित कर दिया गया है।
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