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दिल्ली में चुनाव तय, एलजी ने की विधानसभा भंग करने की सिफारिश

नई दिल्ली : आठ महीने से चली आ रही राजनीतिक अनिश्चितता को खत्म करते हुए उपराज्यपाल नजीब जंग ने राष्ट्रपति से दिल्ली विधानसभा को भंग करने की आज सिफारिश की, क्योंकि भाजपा, आप और कांग्रेस ने सरकार के गठन में असमर्थता जताई और चुनावों को प्राथमिकता दी।

जंग द्वारा भेजी गई रिपोर्ट से राजधानी में फिर से चुनाव कराए जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। आप सरकार ने 49 दिन शासन करने के बाद इस्तीफा दे दिया था। इसके चलते फरवरी से यहां राष्ट्रपति शासन लगा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जंग की रिपोर्ट पर जल्द निर्णय लिए जाने की संभावना है।

उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि जंग ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि तीनों मुख्य दलों भाजपा, आप और कांग्रेस ने सरकार बनाने में असमर्थता जताई है तथा बताया है कि वे ताजा चुनावों के लिए तैयार हैं।

सभी तीनों मुख्य दलों की ओर से तजा चुनाव कराए जाने का पक्ष लिए जाने के बाद उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति से विधानसभा भंग करने की सिफारिश की। उच्चतम न्यायालय द्वारा उपराज्यपाल से मुददे् पर तेजी से विचार किए जाने की बात कहे जाने और सरकार के गठन की संभावना तलाशने के लिए उन्हें 11 नवंबर तक का वक्त दिए जाने के मद्देनजर जंग ने कल राजनीतिक दलों से मशविरा किया था।

न्यायालय आप की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसने विधानसभा भंग किए जाने की मांग की थी। सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए भाजपा को एक अवसर देने की पेशकश की, लेकिन पार्टी ने यह कहकर इससे इनकार कर दिया कि उसके पास संख्या नहीं है। उन्होंने बताया कि जंग की पेशकश को स्वीकार नहीं करने का फैसला रविवार को हुई पार्टी के केंद्रीय नेताओं की बैठक में किया गया। पार्टी ने महसूस किया कि उसे चुनाव में उतरना चाहिए, क्योंकि महाराष्ट्र और हरियाणा में जीत के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ गया है।

सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव के पक्ष में थे और आरएसएस ने भी अपना मत व्यक्त किया था कि पार्टी को किसी अनुचित तरीके से सरकार नहीं बनानी चाहिए। वर्तमान में अकाली दल के एकमात्र विधायक को मिलाकर भाजपा के पास 29 विधायक हैं। भाजपा के तीन विधायकों के लोकसभा के लिए निर्वाचित हो जाने के बाद विधानसभा में विधायकों की संख्या 67 रह गई है। ऐसे में सरकार बनाने के लिए भाजपा को पांच और विधायकों की जरूरत थी।

पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में 31 सीटों पर जीत के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत से वह चार सीट पीछे रह गई थी। इसने यह कहकर सरकार बनाने से इनकार कर दिया था कि वह सत्ता के लिए कोई अनुचित तरीका नहीं अपनाएगी। आप ने कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई थी। भाजपा और कांग्रेस के विरोध के चलते लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो पाने पर अरविन्द केजरीवाल के नेतत्व वाली सरकार ने 14 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। दिल्ली में 17 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

जंग ने केजरीवाल नीत मंत्रिपरिषद की विधानसभा भंग करने की सिफारिश का पक्ष नहीं लिया था और विधानसभा को निलंबित रखा था। उपराज्यपाल ने पिछले महीने राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज कर दिल्ली में सरकार बनाने के लिए भाजपा को आमंत्रित करने की अनुमति मांगी थी।

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