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नोटबंदी : संसद सत्र की शुरुआत हंगामेदार होना तय

नई दिल्ली : नोटों की कमी के कारण परेशानियां बढ़ने के बीच संसद के बुधवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के बड़े नोटों को अमान्य करने के सरकार के कदम को लेकर हंगामेदार होना तय दिख रहा है। इस मुद्दे पर एकजुट विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी कर है।

एकजुट तस्वीर पेश करने का प्रयास करते हुए चिर प्रतिद्वन्द्वी तृणमूल कांग्रेस एवं वाम दल तथा सपा एवं बसपा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से बुलाई गई बैठक में साथ आए जो संयुक्त रणनीति बनाने के लिए बुलाई गई थी। हालांकि कांग्रेस की ओर से बुलाई गई 13 विपक्षी दलों की बैठक में इस मुद्दे पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए राष्ट्रपति भवन मार्च के प्रस्ताव पर सहमति बनाने में विफल रही। अधिकांश दल इस मुद्दे पर पहले ही दिन राष्ट्रपति भवन मार्च करके इस मुद्दे के प्रभाव को कम नहीं करना चाहते थे । कांग्रेस समेत इस बैठक में शामिल सभी दलों ने इस मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाने का संकल्प व्यक्त किया जिसके कारण आम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है जिस कदम को सरकार कालाधन को व्यवस्था से हटाने की पहल बता रही है।

सरकार के 500 और 1000 रूपये के नोटों को अमान्य करने के कदम के कारण एटीएम और बैंकों में नकदी की कमी के कारण लोगों को हो रही परेशानियों के बीच कांग्रेस नीत विपक्ष ने आज इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार करने के लिए बैठक की । बड़े नोटों को अमान्य करने के सरकार के कदम के खिलाफ चिर प्रतिद्वन्द्वी तृणमूल कांग्रेस.माकपा और सपा. बसपा के साथ जदयू और द्रमुक समेत 13 विपक्षी दल साथ आए और इन्होंने निर्णय किया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रपति भवन तक मार्च करना अभी जल्दबाजी होगी और इस विषस को पहले पर्याप्त ढंग से संसदीय मंचों पर उठाया जाना चाहिए।

सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी नेताओं से मुलाकात की और कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सहयोग देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इसी मकसद से बड़े नोटों को अमान्य करने का कदम उठाया गया है। संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्वसंध्या पर आयोजित सर्वदलीय बैठक की समापन टिप्पणी में प्रधानमंत्री ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ साथ कराने का समर्थन किया, साथ ही इस बात का चुनाव के सरकारी वित्त पोषण का भी पक्ष लिया और सभी दलों से इस पर चर्चा करने का आग्रह किया।

मोदी ने कहा कि सरकार विपक्ष की ओर से उठाये गए सभी मुद्दों पर चर्चा कराने और जवाब देने को तैयार है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि संसद का यह सत्र सार्थन होगा और इस संदर्भ में पिछले सत्र में जीएसटी विधेयक पारित कराने में सभी दलों के सहयोग को भी याद किया। हालांकि उनके प्रतिद्वन्द्वियों ने इसमें खामियां गिनाया और इस कदम के बारे में सूचना लीक करने का आरोप लगाया।

विभिन्न दलों ने लोकसभा एवं राज्यसभा में अलग अलग कार्यस्थगन नोटिस दिया है और इस बारे में चर्चा कराने और आम लोगों को हो रही परेशानियों को उठाने पर जोर दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘जहां तक राष्ट्रपति भवन तक मार्च का सवाल है, सभी ने सहमति से यह निर्णय किया कि अभी ऐसा करना जल्दबाजी होगी। विपक्षी दल के रूप में हमें आने वाले समय में ऐसा करना चाहिए लेकिन पहले दिन ही नहीं । पहले दिन संसद के भीतर चर्चा होनी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘इस बारे में सर्वसम्मति थी कि संसद में मुद्दे को उठाने से पहले ही दिन इस मुद्दे पर राष्ट्रपति भवन जाने की कोई जरूरत नहीं है।’

मोदी सरकार पर देश में 500 और 1000 रपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला कर देश की जनता को भिखारी बनाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कहा कि वह कल इस मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करेंगी, भले ही अन्य दल उनके साथ जाएं या नहीं। ममता ने नई दिल्ली रवाना होने से पहले यहां हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘कल मैं नोटबंदी के मुद्दे पर राष्ट्रपति से मिलूंगी। मैं अपने 40 सांसदों के साथ उनसे मिलने जाउंगी। मैंने विभिन्न राजनीतिक दलों से बात की है। मैंने राहुल गांधी, नीतीश कुमार, नवीन पटनायक, मुलायम सिंह यादव और अरविंद केजरीवाल से बात की है।’

दक्षिणी मुंबई से शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि ममता ने आज पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को फोन किया और ‘आम लोगों की समस्या उठाने’ के लिए शिवसेना का समर्थन मांगा। सावंत ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘इस कदम से लोगों की फजीहत हो रही है और गरीबों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शुरू में सरकार ने कहा कि दो-तीन दिन में असुविधा समाप्त हो जायेगी लेकिन अब प्रधानमंत्री और 50 दिन तक सहयोग की मांग कर रहे हैं।’ मुद्दे पर पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए सावंत ने कहा कि शिवसेना कालाधन को समाप्त करने के खिलाफ नहीं है लेकिन ‘जिस प्रक्रिया के तहत यह किया जा रहा है, वो ठीक नहीं है। सरकार को इस अव्यवस्था के लिए तैयार रहना चाहिए था।’

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